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28 साल पहले नहीं दी थी 100 रूपये की रिश्वत ! इसलिए भटकना पड़ रहा है अब तक.

भारत में भ्रष्टाचार खेल इनता पुराना है कि जब आज भी 28 साल पुरानी कहानी खुलती है तो एकदम ताजी लगती है. आजादी के बाद से ही भ्रष्टाचार की जड़े पंचायत स्तर तक इस कदर धंस चुकी थी कि भ्रष्टाचार कर रहे लोग नियमों को अपने कलम की जागीर समझते थे. जिसके चलते इमानदारी से जीने वाला व्यक्ति दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर होने लगा और भ्रष्टाचारियों की मौज रही.

मामला है बसना तहसील अंतर्गत ग्राम पंचायत रुपापाली का जहाँ अब से लगभग 30 साल पहले सन 1991 में लगभग 22 एकड़ भूमि को काबिल काश्त (शासकीय भूमि) घोषित किया गया था. जिस बात की जानकारी गाँव के उसत राम बरिहा को चली. जिसके बाद उन्होंने उस काबिल काश्त भूमि से कुछ भूमि अपने जीवन यापन के लिए मांगी. नियम के तहत सरकारी कृषि योग्य भूमि का भूमिहीन व्यक्तियों के कृषि हेतु राज्य सरकार द्वारा निःशुल्क आवंटन किया जाना था.

नियम और प्रक्रिया के तहत उसत राम बरिहा को नोटिस भेजकर उक्त भूमि में किसी को आपत्ति नहीं होने के कारण उसके पक्ष में फैसला सुनाते हुए 5 एकड़ भूमि देने का निर्णय किया गया. मगर आवंटन किये गए उस 5 एकड़ भूमि पर आज लगभग 30 साल बाद भी कब्ज़ा नहीं हो पाया.

जब उसत राम ने भूमि की मांग की थी तब ग्राम पंचायत रुपापाली सरायपाली तहसील, जिला रायपुर और शासन मध्यप्रदेश हुआ करता था. उस समय इस बात की शिकायत उन्होंने रायपुर जिले के कलेक्टर रहे ओ.पी. तिवारी से लेकर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह तक से की थी. और अब छत्तीसगढ़ बनने के बाद महासमुंद जिले के कई कलेक्टर को भी अपनी व्यथा सुना चुके है. मगर हुआ कुछ नहीं.

उसत राम बरिहा ने बताया कि सन 1993 में जमीन के निरक्षण, सीमांकन एवं रिकार्ड्स के लिए एक पटवारी उनके पास आया और इसके बदले 100 रुपये देने की बात कही जिसे उसत राम बरिहा ने देने से इनकार कर दिया. और 100 रुपये नहीं देने के कारण पटवारी ने प्रक्रिया आगे नहीं बढाई. जिसका नतीजा आज तक उसत राम की भुगतना पड़ रहा है.

उसत राम बरिहा ने पटवारी पर 100 रुपये रिश्वत के अलावा यह भी आरोप लगाया है कि निरिक्षण के आंशिक नक़ल की भी कॉपी उस पटवारी ने गायब कर दी. जिसे कई सालों से आवेदन देने के बावजूद वह नहीं मिल रही है. उत्तम बरिहा ने बताया कि अगर वह नक़ल की कॉपी भी उसे मिल जाती तो उसका काम हो जाता.

मगर अब 30 साल बाद भी उन्हें उम्मीद है कि जीत उनकी ही होगी. उन्होंने ने बताया कि जब वे 26-27 साल ले थे तब उन्होंने जमीन की मांग की थी और अब लगभग 56 साल के हो चुके है. और इंसाफ के इंतज़ार में है. उसत राम बरिहा ने बताया कि अगर मामले की सही जाँच की जाए तो सबकी नींद उड़ जाएगी.




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