news-details

सरायपाली विधानसभा से निर्वाचित होकर मध्यप्रदेश के पहले मुख्यमंत्री पंडित रविशंकर शुक्ल की जयंती आज.

अविभाजित मध्यप्रदेश के सागर में पुराना चमेली मोहल्ले में 2 अगस्त 1877 को जन्मे “पं. रविशंकर शुक्ल” की प्रारंभिक शिक्षा सागर, रायपुर एवम राजनांदगांव में हुई, जबलपुर से इंटर पास किये फिर हिस्लाप कॉलेज नागपुर से बीए की उपाधि प्राप्त की. स्नातक होने के बाद उन्होंने कानून का अध्यन भी किया.

पढ़ाई पूरी होने के बाद शुक्ल जी ने विशेष अधिकारी नियुक्ति हेतु चीफ कमिशनर को आवेदन लिखा. चीफ कमिशनर उनसे मिल कर इतने प्रभावित हुए की 50 रुपय मासिक पर क्लर्क के पद पर नियुक्ति मिली. इस दौरान शुक्ल जी सरायपाली क्षेत्र में सूखा राहत कार्य का निरीक्षण कार्य करने आये थे. उनकी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा के लिये शुक्ल जी को पदोन्नत कर नायाब तहसीलदार बना दिया गया.

सन 1898 से 1901 के बीच पंडित शुक्ल ब्रिटिश शासन में नायाब तहसीलदार के पद पर थे. ब्रिटिश शासन में यह पद भारतीयों के लिए निर्धरि‍त था. तब किसी गाँव के पुनर्गठन के बाद कमाविश्दार के स्थान पर नायब तहसीलदार नियुक्त किया करते थे.

इस पद रहते हुए उनका अफसरशाही को इतने करीब से देखा कि उनका मन सरकारी नौकरी के मोह से उठ गया और उन्होंने नौकरी छोड़ दी. सन 1901 में नौकरी छोड़ कर उन्होंने कुछ वर्षों तक अध्यापन का कार्य किया. और सन 1905 के बाद पंडित शुक्ल वकालत के साथ-साथ आज़ादी के आंदोलन में शामिल हो गए.

सन 1921 में जब रायपुर में पहली बार चुनाव हुए और शुक्ल जी जिला कांग्रेस के मंत्री बने. उनकी सक्रियता राजनीति में बढ़ती जा रही थी उसके साथ ही सामाजिक और शैक्षणिक सुधारों पर भी उनका पूरा ध्यान था.

पंडित शुक्ल स्वतंत्रता की लड़ाई में अपने कर्तव्यों से कभी पीछे नही हटे और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बनकर भारत को अंग्रेजों से आजाद करवाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान निभाया.

इसके बाद 15 अगस्त 1947 से 31 अक्टुबर 1956 तक पंडित शुक्ल सीपी और बेरार के प्रथम मुख्यमंत्री रहे. सेन्ट्रल प्रोविंस एवं बेरार (मध्य भारत) ब्रिटिश आधीन भारत का एक प्रांत था. यह प्रांत मध्य भारत के उन राज्यों से बना था, जिन्हें अंग्रेजों ने मराठों एवं मुग़लों से जीता था. इस प्रांत की राजधानी नागपुर थी. आजादी के बाद यहाँ के प्रथम मुख्यमंत्री रविशंकर शुक्ल जी थे.

इसी बीच 1950 को संविधान लागू हुआ और 1951-52 में हुए पहले आम चुनावों में पंडित रविशंकर शुक्ल वर्त्तमान छत्तीसगढ़ के सरायपाली विधानसभा से निर्वाचित होकर दोबारा मुख्यमंत्री बने.

इसके बाद सन 1956 में रविशंकर शुक्ल जी राज्य पुर्नगठन के बाद गठित नए मध्य प्रदेश में पहले मुख्यमंत्री बनाए गए जिसकी राजधानी भोपाल बनी.

जानकारी के अनुसार उनके कार्यकाल में बैलाडिला खदानों को हैदराबाद के निजामो को सौंपने की गुप्त योजना का पर्दाफाश हुआ और समझौता निरस्त हो गया अन्यथा छत्तीसगढ़ का यह हिस्सा हैदराबाद में होता. भिलाई इस्पात संयंत्र की स्थापना भी इनके कार्यकाल की बड़ी उपलब्धि है.

जानकारी के अनुसार 1951-52 के विस चुनाव के बाद सीपी एण्ड बरार की राजधानी नागपुर पहुँचने के लिए पंडित रविशंकर शुक्ल और ठा. प्यारेलाल सिंह एक ही रेल से नागपुर राजधानी साथ-साथ जाते थे और विधानसभा में पक्ष और विपक्ष की भूमिका निभाते थे. ठा. प्यारेलाल सिंह 1951-52 के चुनाव में वे नेता प्रतिपक्ष बने थे.

आज प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने पंडित रविशंकर शुक्ल जयंती पर प्रदेशवासियों को बघाई और शुभकामनाएं दी हैं.

मुख्यमंत्री श्री बघेल ने पंडित शुक्ल को श्रद्धा पूर्वक याद करते हुए उनके द्वारा स्वतंत्रता संग्राम के दौरान दिए गए योगदान का स्मरण का स्मरण किया. उन्होंने आजादी के बाद सेन्ट्रल प्रोविंन्स एवं बरार राज्य और अविभाजित मध्यप्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री के रूप में देश के विस्तृत क्षेत्र को उल्लेखनीय सेवाएं दी. पंडित शुक्ल ने स्वाधीनता आंदोलन के समय छत्तीसगढ़ के सामाजिक जागरूकता के साथ साथ पत्रकारिता और वकालत के माध्यम से अथक सेवा की उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा. 




अन्य सम्बंधित खबरें