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कर्जमाफी के नाम पर ग़बन !

एक तरफ कांग्रेस की सरकार किसानों को राहत देने के लिए कर्ज माफ कर रही है. दूसरी ओर सहकारी समितियों में मैनेजर और व्यवस्थापक मिलकर किसानों के जमा पूंजियो को खाते से गायब करने में लगे है.

मामला है बसना विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत गढ़फुलझर का जहाँ सहकारी समिति और मैनेजर के ऊपर आरोप तब लगा जब 30 जुलाई को गढ़फुलझर समिति में ऋण माफी का त्यौहार मनाया जा रहा था. जिसमे इस समिति से पीड़ित एक किसान जोगेश्वर साव भी त्यौहार में शामिल होने पहुँचा.  

इस दौरान जोगेश्वर साव ने जो किया वह हैरान कर देने वाला था. जोगेश्वर साव ने ऋण माफी के त्यौहार के बीच में ही एक रशीद लेकर ऋण माफी की मांग समिति के व्यवस्थापक से करने लगा. जिस पर व्यवस्थापक द्वारा उस रशीद को छिनते हुए कर्ज माफ होने का हवाला देते हुए पैसे लौटाने की बात कही.

दरअसल प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति गढ़फुलझर के ग्राम कुरचुन्डी के कृषक जोगेश्वर साव का गढ़फुलझर समिति में लगभग 55 हजार रुपये कृषि ऋण था. भगतराम ने अपना धान बेचकर 52 हजार 500 रुपये नकद व्यवस्थापक राधेश्याम साव के पास कार्यालय में जमा कर दिया था. जिसके बाद उसका 2500 रूपए बकाया था. मगर व्यवस्थापक द्वारा किसान को पुरे पैसे चुकाने के बाद रसीद देने की बात कही गई.

इसके बाद शासन द्वारा कर्ज माफी की घोषणा हुई. यह सुनकर जोगेश्वर साव भी अपने चुकाए 52 हजार 500 रूपए मांगने व्यवस्थापक के पास पहुंचा. व्यवस्थापक ने कुछ दिनों में राशि वापस करने की बात कही. किसान ने कई बार व्यवस्थापक के दफ्तर के चक्कर काटते रहे लेकिन उसे सिर्फ आश्वासन ही मिला. बार-बार आश्वाशन दिए जाने के बाद व्यवस्थापक द्वारा किसान को एक फर्जी रसीद दे दी गई. मगर कर्ज माफी का लाभ नहीं मिल पाया.

जानकारी के अनुसार व्यवस्थापक राधेश्याम साव जिस भी समिति में रहे हैं उस पर कई आरोप लग चुके हैं. उनके खिलाफ घोटाले की कई शिकायत सामने आ चुकी है. उन्हें इस प्रकार की शिकायतों पर सिंघनपुर समिति से निलंबित भी किया जा चुका है. वहीं इसके बाद बहाल होने पर बड़ेडाभा समिति में सिलक की राशि में गड़बड़ी, तोषगांव समिति में धान घोटाला जैसे अनेक शिकायत इनके खिलाफ मिलते रहे हैं.




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