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रायपुर तक चलने वाले एसी बसों के टीवी बने शो-पिस, किराया वही लेकिन यात्रियों से छिनी जा रही है सुविधाऐं

सरायपाली. राष्ट्रीय राजमार्ग 53 में चलने वाली सरायपाली से रायपुर तक मेट्रो एवं रॉयल की ए सी बसों में लगे टी वी चलना अब बंद हो गया है. शुरूवात में यात्रियों के मनोरंजन के लिए लगे टी वी देखकर रायपुर तक का सफर कब कट जाता था पता नही चलता था लेकिन अब लगभग सभी बसों में लगे टी वी शोपिस नजर आ रहे है.

सरायपाली से ए सी बसों की शुरूवात होते ही ढाई घंटे में ही रायपुर पहुंच रहे हैं. शुरूवाती दौर में टी वी पर मूवी का आनंद जिस तरह से यात्री ले रहे थे वह अब नजर नही आ रहा है. ए सी वाहन तथा जल्दी पहुंचने की वजह से लोग रायपुर तक का किराया 200 रूपये आसानी से देते हैं लेकिन अब बिना टीवी के 200 रूपये इन बसों में देने से यात्रियों में नाराजगी देखी जा रही है.

सरायपाली से सुबह रायपुर के लिए सुबह 7 बजे से लेकर प्रत्येक घंटे के अंतराल में शाम के 6 बजे तक बसें चलती हैं. यह बसें नॉन स्टॉप चलती हैं लेकिन यात्रियों को बस में पूरी सुविधा न देकर किराया बराबर लिया जा रहा है. सवारियों द्वारा परिचालक से टी वी नही चलने को लेकर उन्हें डिस्काउंट रेट में टिकट काटने के लिए जब कहा जाता है तो उनके द्वारा ए सी की सुविधा बताई जाती है. कई बार तो इसे लेकर यात्रियों के साथ बस परिचालकों की नोंक झोंक भी दिखाई देखने को मिली है.

कुछ दिनों पूर्व ही ऑनलाइन बस टिकट में भी बढ़ोत्तरी की गयी है जो घर बैठे मन चाहे सीट बुक करना चाहते हैं उन्हें 50 रूपये का अतिरिक्त चार्ज लग रहा है. इसके अलावा लोकल बसों की भांति इसमें भी ठूस ठूसकर सवारियां ली जाती हैं.

टीवी चालू करने को लेकर परिचालक से होती है नोकझोंक

बीते दिनों सरायपाली से रायपुर जा रहे एक सवारी ने टी वी नही चलने के बारे में परिचालक को पूछा तो वह ठीक से जबाब दिया. इसके बाद पुनरू उसे टी वी न चलने का कारण पूछा गया तो उसने खुद को नया परिचालक होने का हवाला देते हुए इसके बारे में अनभिज्ञता जताई. तब यात्री ने बस मालिक का दूरभाष नंबर मांगा तो परिचालक ने दूरभाष नंबर नही होना बताकर पल्ला झाड़ दिया.

बस में सवारी करने वाले यात्रियों का कहना है कि सभी सुविधाओं के साथ बस की शुरूवात की गयी थी तो अब वह सुविधा क्यों छिनी जा रही है. इसके वावजूद यात्रियों से किराया उतनी ही ली जा रही है. कई बार परिचालकों की मनमानी के चलते टिकट लेकर सीट में बैठे रहते हैं उन्हें भी बसना-पिथौरा में अपने पहचान के लोगों की सीट बदल दी जाती है.




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