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सहकारी समितियों से ऋण लेने के बाद अब किसानों की जमीन बन रही बंधक, खसरा समय पर उपलब्ध न होने के कारण धीमी गति से चल रहा है कार्य.

सरायपाली. जिला सहकारी केन्द्रीय बैंकों से ऋण लेने वाले किसानों की जमीन को बंधक बनाने का काम अब शुरू हुआ है. इस सीजन में ऋण देने के पूर्व ही बंधक बनाने का आदेश समितियों को मिला था लेकिन शुरूवाती दौर में किसानों को खाद बीज न मिलने की समस्या को देखते हुए इसे लटका दिया गया. अब किसानों को ऋण देने के बाद जमीन को बंधक बनाया जा रहा है. सभी सहकारी समितियों में इसके लिए सॉप्टवेयर भी पहुंच चुका है. तोरेसिंहा एवं सरायपाली जिला सहकारी केन्द्रीय बैंकों के अधीन कुल 24 सहकारी समितियों में किसानों को अल्पकालीन ऋण दिया जाता है.

इस वर्ष किसानों के अल्पकालीन ऋण कांग्रेस शासन की ओर से माफ किए जाने के बाद कई किसान जो पूर्व में राष्ट्रीयकृत एवं व्यवसायिक बैंकों से ऋण प्राप्त करते थे वे भी सहकारी समितियों की ओर रूख करते दिखाई दिए हैं. कुछ वर्ष पूर्व तक जमीन बंधक नही बनाए जाने के कारण कि सान जिला सहकारी बैंकों के साथ-साथ राष्ट्रीयकृत एवं प्राइवेट बैंकों से ऋण प्राप्त कर लेते थे. इसकी जानकारी इस वर्ष खुलकर सामने आई है.

सूत्रों के अनुसार फसल बीमा करवाने वाले बीमा कंपनियों को जब गांव के कुल जमीन के रकबे से ज्यादा फसल बीमा का भुगतान करना पड़ा, तो इसकी पोल खुल गई. वहीं एक ही किसान जब सहकारी समितियों को धोखे में रखकर राष्ट्रीयकृत बैंक एवं व्यावसायिक बैंको से कृषि ऋण लिए हैं उनको कर्जमाफी का दोहरा लाभ मिला है. इसके चलते राज्य शासन ने सहकारी समितियों से जुड़े किसानों की जमीन बंधक बनाने का फैसला लिया. इस वजह से अब किसानों को एक ही बैंक से कृषि ऋण मिल सकेगा. अब तक सरायपाली के कई सोसाइटियों में 20 से 25 प्रतिशत किसानों की जमीन ही बंधक बनाया जा चुका है. सितम्बर तक सभी किसानों का ऑनलाइन -ऋण चढ़ाए जाने की कोशिश चल रही है. किसानों के द्वारा नक्शा, खसरा समय पर उपलब्ध नही कराने से भी यह काम धीमी गति से चल रहा है.

जमीन बिक्री करने में होगी परेशानी

सहकारी समितियों से ऋण लेने वाले किसानों की जमीन बंधक बनाए जाने के बाद भले ही शासन को फायदा होगा लेकि न इससे किसानों की मुश्किलें भी बढ़ेगी. उन्हें जमीन बिक्री करने में परेशानी होगी. किसानों को जमीन बेचने की आवश्यकता होने पर उन्हें बैंक एवं पटवारियों के पास जाना पड़ेगा, इसके लिए उन्हें काफी दिक्कतें होंगी. वर्तमान में किसानों को जमीन बेचने की आवश्यकता पड़ने पर वे सीधे बेच देते थे. लेकिन अब इसमें पाबंदी लग जाएगी.







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