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सावन माह में शिव भक्त कावरियों के लिये बोल बम सेवा समिति में माध्यम से क्षेत्र के लोग कर रहे श्रम दान.

शिव भक्त कावरियों के लिए क्षेत्र के बोल बम सेवा समिति द्वारा प्रसाद भोजन की व्यवस्था के लिए लगे हुए है. इस समिति के माध्यम से कई और समितियां अपना श्रम दान करने का कार्य कर रही है. इसी के तहत तेली युवा मंच फुलझर के युवाओं द्वारा बोल बम काँवरिया सेवा समिति ओडिशा सीमा पर सल्हेझरिया नाला के पास श्रम दान करते हुए कावरियों की सेवा में लगे हुए है.

आने वाला सोमवार सावन इस वर्ष का अंतिम सावन सोमवार है. इस अंतिम सावन सोमवार के पावन अवसर पर अधिक से अधिक लोग कांवर पैदल यात्रा निकालकर शिव को जल अर्पित करते है. फुलझर अंचल के अधिकांश लोग ओडिशा के नरसिंहनाथ से जल लाकर अपने-अपने गाँव के मंदिरों में अर्पित करते है.

यात्रा के दौरान जब कावरिया सल्हेझरिया नाला के पास पहुँचते है तो वह अपने राज्य छत्तीसगढ़ में प्रवेश कर जाते है इस नाले को ओडिशा और छतीसगढ़ का सीमांत बताया जाता है. इस नाले का नजारा सावन के महीने में सौंदर्य से परिपूर्ण रहता है इसके अलावा इस नाले में जल प्रवाह 12 महीने रहता है.

इस नाले से लगकर छतीसगढ़ शासन द्वारा दो बड़े-बड़े कक्ष भी बनाये गए है जिसे सावन के महीने में कावरियों के लिए पंडाल से सजाकर समितियों द्वारा भोजन और विश्राम का आयोजन किया जाता है. यहाँ एक बोर की भी व्यवस्था की गई है जिससे कावड़िया यात्रियों को पीने के पानी की भी व्यवस्था रहती है. सल्हेझरिया नाला से लेकर गढ़फुलझर का नजारा प्रकृति और हरे-भरे खेतों से भरा होता है.            

क्यों की जाती है कांवर यात्रा.

ऐसी मान्यता है कि सावन माह में कांवर से जल लेकर शिव लिंग में चढाने से कई जन्मों का पाप कट जाता है भारत देश में सावन माह में करोड़ो कि संख्या में हर घर से गरीब, अमीर, बच्चे, बूढ़े, नवजवान, महिलाएं सभी कांवर में जल भरकर शिव जी पर अर्पित करते हैं. कई गाँव से सैकड़ो कि संख्या में कांवरिया निकलते है. ये सभी बस, ट्रेक्टर, आदि जैसे वाहनों से जल उठाने के स्थान पहुंचकर 50 से 100 किलोमीटर तक की पैदल यात्रा करते है.

मान्यता के अनुसार शिव जी भी काँवरिया भक्तो के सेवा के लिए खुद कोई ना कोई रूप में आकर भक्तो के सेवा करते है इसलिए शिव भक्तों के इस कावड़ यात्रा में कई सेवा के बड़े-बड़े पंडाल लगाकर काँवरिया की सेवा करते है.

महासमुन्द के गांव से अलग-अलग राज्य और तीर्थ स्थलों में जाकर जल प्रवाह किया जाता है जब काँवरिया गाँव लौटते है तो बहुत से जगह सम्मान के साथ भोजन पानी का व्यवस्था किया जाता है और शिव भक्तों को भगवान की रूप में देखा जाता है और आरतियां भी की जाती है. शिव भक्तों के श्रद्धा का क्या कहना यहां के भक्त तो उस कांवर को भी सुरक्षित रख कर रोज पूजा करते है.




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