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अतिरिक्त तनाव से दूर रखता है ’नवजीवन’, जागरूकता कार्यशाला नवजीवन अभियान कर रहा ’स्वस्थ जीवन शैली’ अपनाने की अपील

महासमुंद, 13 अगस्त 2019/ग्राम पंचायत झलप में जीवन कौशल प्रशिक्षण के दौरान स्वास्थ्य विभाग के सोशल वर्कर असीम श्रीवास्तव ’रबर-बैंड’ का उदाहरण दे कर कहते हैं कि ’जब मैं इसे थोड़ा बल लगा कर खींचता हूँ, तब यह किसी वस्तु को बांधने में उपयोग आती है और यदि क्षमता से ज्यादा खींचू तो अतिरिक्त तनाव की वजह से यह टूट जाती है। प्रकृति का यही नियम हम पर भी लागू होता है। जहाँ क्षमता के दायरे में तनाव, हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है, वहीं जरूरत से ज्यादा होने पर पीड़ा भी अनुभूत कराता है। यह कई कारणों से हमारे समक्ष प्रस्तुत होता है। उपयुक्त प्रबंधन के अभाव में तनाव का प्रमुख कारण माना जाता है। हमें चाहिए कि सहन-सीमा से बढ़ने के पहले ही इसे नियंत्रित कर लें और स्वयं के साथ दूसरों का भी जीवन सुरक्षित रखें।

मनोवैज्ञानिक सुझावों के बाद योग प्रशिक्षक श्री देवकुमार डड़सेना ने अभियान क्रियान्वयन हेतु कार्रवाई पर जोर दिया। स्टाफ नर्स कु.जागृति साहू ने बताया कि आत्महत्या रोकथाम हेतु संचालित ’नवजीवन अभियान’ कलेक्टर श्री सुनील कुमार जैन की अप्रतिम पहल है। एसपी साहब भी इसमें विशेष रुचि ले रहे हैं। प्रशिक्षणार्थियों को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.आर.के.परदल के निर्देशानुसार सखा-सखी के रूप में तनावग्रस्त संदिग्ध लोगों पहचान कर उन्हें निःशुल्क परामर्श एवं इलाज की सुविधा मुहैय्या करानी है।

मनोरोग विशेषज्ञ एवं नोडल अधिकारी, राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम डॉ. छत्रपाल चंद्राकर ने बताया कि तनावग्रस्त स्थति में एक गिलास ठंडा पानी पिएं, गहरी सांस लें और उस स्थान को थोड़ी देर के लिए छोड़ दें, फिर अपना पसंदीदा काम मन लगाकर करने लगें। तात्कालिक रूप से तनाव प्रबंधन हो जाएगा। अगर लंबे समय से अवसादग्रस्त हैं तो, प्रतिदिन स्वयं के लिए थोड़ा समय अवश्य निकालें। खुली हवा में टहलना, मद्धम संगीत, संतुलित आहार-विहार, हल्का व्यायाम, योग एवं ध्यान इत्यादि का अभ्यास आपको अतिरिक्त तनाव से मुक्त रखेगा।

उन्होंने बताया कि क्या नहीं करना चाहिए। नशा उन्माद उत्पन्न कर आनंद का भ्रम पैदा करता है। इससे तनाव का स्तर घटता नहीं अपितु और भी बढ़ जाता है। इसलिए सिगरेट, बीड़ी, गांजा, तंबाकू या शराब इत्यादि किसी भी तरह का नशा कभी नहीं करें। जब ज्यादा तनाव महसूस कर रहे हों, उस समय कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय न लें। इस अवस्था में लिए फैसले अक्सर गलत हो जाते हैं। गुमसुम-अकेला तो बिल्कुल भी न रहें। समस्या को टालें नहीं, उसका जल्द से जल्द हल निकलने की कोशिश करें। इस अवसर पर बड़ी संख्या में आंगनबाड़ी व स्वास्थ्य कार्यकर्ता, मितानिन, आर.एच.ओ. महिला एवं बाल विकास कर्मचारी एवं शिक्षक उपस्थित थे।  




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