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देश के 14 राज्यों के अधिकारियों ने नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी का किया अध्ययन

राज्य वन अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान, रायपुर में आज भारतीय वन सेवा के उच्च अधिकारियों के लिए ‘‘सतत् मानव विकास में वानिकी का योगदान’’ विषय पर दो दिवसीय अखिल भारतीय अनिवार्य प्रशिक्षण कार्यशाला का समापन किया गया। प्रशिक्षण में देश के विभिन्न राज्यों तमिलनाडू, त्रिपुरा, महाराष्ट्र, झारखण्ड, गुजरात, केरल, मणिपुर, मेघालय, मध्यप्रदेश, असम, उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक तथा उड़ीसा राज्य के कुल 22 भारतीय वन सेवा के उच्च अधिकारियों ने भाग लेकर प्रशिक्षण प्राप्त किया। कार्यशाला में वानिकी संबंधी महत्वपूर्ण तकनीकी सत्रों के साथ-साथ प्रदेश में वानिकी के क्षेत्र में किए जा रहे नवाचारों तथा छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी योजना ‘‘छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी - नरवा, गरूवा, घुरवा बाडी- ऐला बचाना है संगवारी’’ का अध्ययन भी कराया गया।   

कार्यशाला के समापन सत्र में आयुक्त एवं सचिव, मनरेगा, श्री टी.सी. महावर ने अपने उद्बोधन में सतत् मानव विकास के लिए वानिकी की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ जैसे राज्य जहां पर 44 प्रतिशत वन आच्छादित क्षेत्र है और 33 प्रतिशत जनजातियां निवास करती हैं, ऐसे में वनों से प्राप्त होने वाले वनोपजों एवं अन्य वस्तुएं न केवल स्थानीय लोगों की आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं बल्कि उनकी आजीविका का भी आधार है। सम्पूर्ण विश्व में जहॉं जलवायु परिवर्तन एक गंभीर समस्या के रुप में परिलक्षित हो रहा है ऐसे में वनों के विकास एवं कुशल प्रबंधन की आवश्यकता और भी प्रासंगिक है। राज्य वन अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान, रायपुर द्वारा लगातार इस क्षेत्र में सराहनीय कार्य किये जा रहे हैं। 

आयुक्त श्री महावर ने  कहा कि कार्यशाला में विभिन्न राज्यों से आये वन अधिकारियों को प्रशिक्षण में प्रदान की गई जानकारी उनके राज्यों में वानिकी के क्षेत्र में नवाचारों को स्थापित करनें में सहायक होगी। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा वनों एवं ग्रामीण वनांचलों में निवासरत लोगों के पुनरोद्धार एवं सतत् विकास के लिए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के मार्गदर्शन में राज्य की महत्वपूर्ण ‘‘छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी - नरवा, गरूवा, घुरवा बाडी- ऐला बचाना है संगवारी के उद्देश्य के साथ छत्तीसगढ़ में सतत् विकास के लिए एक अभिनव परियोजना’’ का क्रियान्वयन किया जा रहा है जिससे न केवल स्थानीय प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण एवं संवर्धन सुनिश्चित होगा बल्कि उन पर आधारित कार्यों से स्थानीय जनता को आजीविका के साधन भी उपलब्ध होंगे। आज संम्पूर्ण देश में इस योजना को समझने सीखने एवं अपने-अपने क्षेत्रों में क्रियान्वयित करने की आवश्यकता है। 

कार्यशाला के अंतिम तकनीकी सत्र में ’’सतत मानव विकास में वानिकी का योगदान एवं अनुशंसा’’ विषय पर चर्चा हेतु पैनल परिचर्चा का आयोजन किया गया, जिसमें पैनल अध्यक्ष के रूप में निवृत्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख डॉ. आर. के सिंह, सेवा तथा पैनल विशेषज्ञ के रूप में सचिव राज्यपाल एवं संसदीय कार्य श्री सोनमणी बोरा सम्मिलित हुये। प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन बल प्रमुख) तथा निदेशक राज्य वन अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान श्री मुदित कुमार सिंह और पूर्व प्रमुख सचिव, पंचायत एवं ग्रामीण विकास श्री पी. सी मिश्रा उपस्थित थे। कार्यक्रम में अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं अतिरिक्त संचालक, राज्य वन अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान श्री जे.ए.सी.एस राव ने आभार प्रदर्शन किया।






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