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अगर 30 की आयु पार कर चुके हैं तो मधुमेह की निशुल्क जांच जरूर कराएं, 14 नवंबर विश्व मधुमेह दिवस के अवसर पर जिला अस्पताल में सेवाएं देंगे विशेषज्ञ चिकित्सक

˝30 की उम्र पार करने के बाद भी निरोगी काया बनाए रखने के लिए परहेज के साथ सावधानी बरतना भी जरूरी है। इस ओर मधुमेह जैसी बीमारियों के बढ़ते प्रकरण देख गुरूवार को जिला अस्पताल में आयोजित है मधुमेह निशुल्क जांच व उपचार शिविर˝

महासमुंद। देखा जाता है कि बदलते परिवेश और वातावरण में हम खुद को ढ़ालने के लिए बहुतेरे प्रयास करते हैं, लेकिन भाग-दौड़ भरी व्यस्त जीवनशैली में अक्सर अपने अनमोल शरीर का वांछित रख-रखाव करना भी भूल जाते हैं। नतीजतन अनियमित दिनचर्या व खान-पान के चलते कई मर्तबा 30 की उम्र पार करते-करते मधुमेह जैसी बीमारियों को शरीर में घर करने का मौका मिल जाता है। मधुमेह पीड़ितों को आंखों में दिक्कत, किडनी, लिवर व पैर आदि में समस्या होना आम बात है। अन्य बीमारियों को निमंत्रण देना भी इसका एक और बुरा पक्ष है। विशेषज्ञों की राय में पहले यह बीमारी 40 की उम्र के बाद ही होती थी, लेकिन आज-कल युवाओं और बच्चों में भी इसका मिलना चिंता का बड़ा कारण बन गया है।

उक्त मुद्दे पर प्रकाश डालते हुए सिविल सर्जन सह अस्पताल अधीक्षक डॉ आरके परदल ने बताया कि पीड़ा बढ़ जाने के बाद इलाज करवाने में अपेक्षाकृत अधिक धन और समय खर्च करना पड़ जाता है। ऐसे में गुरूवार के दिन 14 नवंबर को विश्व मधुमेह दिवस के अवसर पर मधुमेह अर्थात डायबटीज पीड़ित मरीजों की निशुल्क जांच, उपचार व दवा वितरण के लिए जिला अस्पताल में एक विशाल स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें कम से कम समय में बिना आर्थिक व्यय किए स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध होंगी। उन्होंने मधुमेह पीड़ितों के अलावे 30 वर्ष की आयु से अधिक उम्र के उन सभी नागरिकों से भी शिविर में आकर स्वास्थ्य लाभ लेने की अपील की है, जो मधुमेह संभावित हो सकते हैं। अधिकारिक सू़त्रों के मुताबिक सुचारू संचाल के लिए स्वास्थ्यकर्मियों को उनकी विशेषता के अनुरूप कार्यभार सौंपा गया है। जिसमें मुख्य रूप से अनुभवी चिकित्सा विशेषज्ञ निशुल्क उपचार करेंगे। अस्पताल सलाहकार डॉ. निखिल पुरी गोस्वामी ने बताया कि उचित प्रबंधन के लिए परिसर में एक विशाल पंडाल लगाया गया है। पंजीयन, परामर्श व जांच इत्यादि के लिए पृथक काउंटरों की व्यवस्था भी होगी। आवश्यक संसाधनों के साथ पर्याप्त मात्रा में दवा भंडारण भी किया गया है। मरीजों को उपचार करवाने में कोई असुविधा न हो इसके लिए हेल्प-डेस्क जानकारी जैसी व्यवस्थाओं के प्रबंध भी किए गए हैं।

इधर, जिला कार्यक्रम प्रबंधक श्री संदीप ताम्रकार से मिली जानकारी के अनुसार मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ एसपी वारे के निर्देशानुसार जिले के समस्त प्राथमिक व उप स्वास्थ्य केंद्रों में भी इसी तरह की सुविधाएं उपलब्ध रहेंगी। यह व्यवस्था उन मरीजों के लिए होगी जो आज दिनांक को जिला अस्पताल तक आ पाने में असमर्थता महसूस कर रहे हैं। वे अपने ही क्षेत्र में इन सुविधाओं का लाभ ले सकेंगे।

 

मधुमेह कैसे होता है

जब शरीर के पैंक्रियाज में इंसुलिन का पहुंचना कम हो जाता है तो खून में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है। इस स्थिति को मधुमेह या डायबिटीज कहा जाता है। बता दें कि इंसुलिन वह हार्मोन है जो शरीर में शुगर की मात्रा को नियंत्रित कर भोजन को एनर्जी में बदलने का कार्य करता है।

 

मधुमेह के प्रकार

टाइप वनः- इन्सुलिन पर निर्भर मधुमेह:-

इसमें अग्नाशय पर्याप्त मात्रा में इन्सुलिन का निर्माण नहीं कर पाता है। ऐसे रोगियों को इन्सुलिन देकर शर्करा के स्तर को नियंत्रित किया जाता है।

टाइप टूः- इन्सुलिन पर अनिर्भर मधुमेह:-

इसमें अग्नाशय से पर्याप्त इन्सुलिन निकलता तो है लेकिन वह ठीक से इस्तेमाल नहीं हो पाता। ऐसे रोगियों में दवाओं के जरिए शर्करा की मात्रा नियंत्रित की जाती है।

विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक आंकड़े

वैश्विक स्तर पर मधुमेह के 90 प्रतिशत मामले टाइप 2 मधुमेह के होते हैं। जबकि, शेष 10 प्रतिशत प्राथमिक रूप से मधुमेह मेलिटस टाइप 1 के मिलते हैं।

- भारतीय परिप्रेक्ष्य में विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2015 में 69.2 मिलियन नागरिक मधुमेह से पीड़ित पाए गए थे। वहीं, वर्ष 2030 तक मधुमेह टाइप-2 से पीड़ित मरीजों की संख्या 98 मिलियन तक पहुंचने के अनुमान हैं।

 

मधुमेह के सबसे आम संकेतों में शामिल हैं-

- बहुत ज्यादा और बार-बार प्यास लगना।

- बार-बार पेशाब आना।

- लगातार भूख लगना।

- दृष्टी धुंधली होना।

- अकारण थकावट महसूस होना।

- तेजी से वजन कम होना।

- घाव ठीक न होना या देर से घाव ठीक होना।

- बार-बार पेशाब या रक्त में संक्रमण होना।

 

पता लगाने किए जाएंगे ये परीक्षण

- खाली पेट में रक्त में शर्करा की मात्रा जाँच।

- भोजन लेने या 75 से 100 ग्राम ग्लूकोज लेने के बाद रक्त में शर्करा की जाँच।

 

ऐसे हुई थी विश्व मधुमेह दिवस की शुरूआत

14 नवंबर बेन्टिंग का जन्म दिन है। जिन्होंने 1921 में अपने कैनेडियन सहयोगियों के साथ मिल कर इन्सुलिन की खोज की थी। इस महान खोज को अक्षुण रखने के लिए हर साल 14 नवंबर को विश्व मधुमेह दिवस मनाया जाता है।





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