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न्यायधीशों ने सिखाए तनाव प्रबंधन के गुण

जाने अपने अधिकारः- समस्या हो तो तनाव लेने की जगह टोल फ्री नंबर 15100 पर लें न्यायिक अमले से मदद।

"माननीय न्यायधीशों ने मानसिक रोग व अवसाद से पीड़ित व्यक्तित्व के लिए भी न्यायिक प्रक्रिया में प्रदत्त विशेष प्रावधानों के बारे में किया जागरूक"

महासमुंद। वह बुद्धिजीवी वर्ग जो समाज को सही दिशा देने में सबसे अहम भूमिका प्रदाताओं सम्माननीय ओहदे में विराजमान है। आमतौर पर पीड़ित न्याय की गुहार लगाने इनके समक्ष प्रस्तुत होते हैं। किंतु अब समाज में अपराधिक प्रवित्ति कम करने के साथ-साथ इसकी संभावनाओं पर भी अंकुश लगाने न्यायधीश वर्ग स्वयं जन-सामान्य के बीच उपस्थित होकर स्वस्थ्य जीवन कौशल शैली के गुण सिखला रहा है। वे न्यायालय के साथ अब लोगों के दुख-दूर करने के लिए भी विशेष कक्षाओं में जानकारी साझा कर रहे हैं।

इस कड़ी में शनिवार को एक भव्य कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिमें राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के अुनुभवी सलाहाकारों के साथ न्यायिक वर्ग से माननीय न्यायधीश महोदय श्री हेमंत कुमार रात्रे तथा प्रथम श्रेणी मजिस्टेट एवं न्यायधीश माननीय मो. जहांगीर तिगाला, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने गरिमामय उपस्थिति दी। उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों को अपने शब्दों में संबोधित करते हुए ऐसे रास्ते दिखलाए जो किसी तनाव ग्रस्त व्यक्ति को निराशा की गर्त में जाकर आत्महत्या जैसे गलत कदम उठाने से रोकने में कारगर साबित होते हैं। समझाया कि तनाव, मांग और संसाधनों के बीच असंतुलन के परिणामस्वरूप भी होता है, कभी-कभी हम अपने अधिकार भी जान व समझ नहीं पाते और मजबूर होकर स्वयं को मनो-विकार की ओर धकेल देते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हम जागरूक नहीं हैं और समाज मे रह कर भी स्वयं को समाज से पृथक रखने की कोशिश में लगे हैं। इन सबसे परे न्यायिक प्रक्रिया किसी के साथ भेद-भाव नहीं करती तो अपको चाहिए कि स्वयं के साथ लोगों के बीच भी इन सुविधाओं का प्रसार करें, जो विशेष कर मनो-विकार से पीड़ितों के लिए प्रदत्त न्यायिक सेवाओं का दूसरा महत्वपूर्ण कर्तव्य है। इसके लिए उन्होंने टोल फ्री नंबर 15100 के बारे में भी जानकारी दी। जहां, संचर्क करने पर निशुल्क, सलाह, मार्गदर्शन सहित अन्य न्यायिक सुविधाएं प्राप्त की जा सकती हैं। उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों सहित गणमान्य नागरिकों सभी से भी इसका लाभ लेने की अपील की।

सभा में उपस्थित पेशेवर सलाहकारों ने बताया कि हमें यह समक्षना चाहिए कि तनाव प्रबंधन, विकास के विचार पर भी आधारित है। यह एक सीधी प्रतिक्रिया नहीं है बल्कि एक संसाधन है, जिसमें सहने की क्षमता का उचित अनुपात, पक्ष को बदलने की क्षमता और मध्यस्थता की अनुमति से नियंत्रण पाया जा सकता है।

बढ़ते क्रम में राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर के विद्वानों और शोधकताओं के प्रत्यक्ष अनुभव साक्षा करते हुए जिला कार्यक्रम प्रबंधक एवं नवजीवन अभियान के नोडल अधिकारी श्री संदीप ताम्रकार ने कहा कि आत्महत्या रोकने के लिए कलेक्टर श्री सुनील कुमार जैन की पहल नवजीवन एक बहुत ही अच्छा मंच है। इसके अंतर्गत हमें स्वयं के साथ स्थानीय निवासियों में एक प्रभावी तनाव प्रबंधन कार्यक्रम को विकसित करना है। जिसके लिए सबसे पहले यह आवश्यक है कि व्यक्ति के अन्दर केन्द्रित कारकों की पहचान हो जो तनाव पर प्रभावी ढंग से हस्तक्षेप करते हैं और फिर धीरे-धीरे उन पर नियंत्रण करते जाएं। कार्यक्रम के माध्यम से हम सभी को तनावग्रसित लोगों की मदद करनी है। तनाव पैदा करने वाले कारकों के प्रति अपनी धारणा बदलने और तनाव से निपटने के लिए, कौशल प्रदान करने से उनके आत्मविश्वास में सुधार होगा और आत्महत्या जैसी घटनाएं निसंदेह कम होगी।

उल्लेखनीय है कि आत्महत्याएं रोकने के लिए तनाव प्रबंधन कर स्थानीय लोगों में स्वस्थ जीवन कौशल शैली का संचार करने वाली अभियान नवजीवन की पहल अब, विस्तृत रूप में अन्य संस्थाओं और विभागों को भी इस दिशा में जोड़ती जा रही है। साथ ही साथ विभन्न वर्ग व समुदाय के जागरूक व्यक्तित्व भी स्वेच्छा के इस जन-कल्याणकारी कार्यक्रम में अपनी भमिका सुनिश्चित कर सहभागिता देने के लिए सामने आ रहे हैं।

इस दौरान सभाकक्ष में बड़ी संख्या में प्रशिक्षणार्थियों सहित विभागीय अधिकारियों में माननीय न्यायधीश महोदय श्री हेमंत कुमार रात्रे, प्रथम श्रेणी मजिस्टेट एवं न्यायधीश माननीय मो. जहांगीर तिगाला सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, विश्व स्वास्थ्य संगठन की केंद्रीय सलाहकार सुश्री आत्रेयी गांगुली, गैर संचारी रोग राज्य सलाहकार सुश्री सुमी जैन, जिला कार्यक्रम प्रबंधक एवं नोडल अधिकारी नवजीवन श्री संदीप ताम्रकार, जिला सलाहकार सुश्री अदीबा बट्ट, शासकीय सामाजिक कार्यकर्ता असीम श्रीवास्तव सहित अन्य उपस्थित रहे।

विशेष पखवाड़े में नालसा की जागरूकता

उक्त ध्येय की प्राप्ति के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण विशेष रुचि ले रहा है। जिसमें 14 नवंबर से 30 नवंबर तक नालसा के अंतर्गत वाइड अवेक पखवाड़ा मनाया जा रहा है। तस्करी और वाणिज्यिक योन शोषण, असंगठित श्रमिकों के अधिकार, बच्चों से मैत्रीपूर्ण विधिक सेवायें व संरक्षण, मनोविकार पीड़ितों की मदद, गरीबी एवं नशा उन्मूलन सहित संबंधित अन्य मुद्दों पर पीड़ितों के अधिकार व प्रदाय की जाने वाली विधिक सुविधाओं के बारे विस्तार से जानकारी देते हुए जागरूकता लाने का प्रयास किया जाएगा।





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