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क्षेत्र में रेल लाइन के लिए विधायक किस्मत लाल नन्द ने लिखा पत्र, 1962 से की जा रही मांग, क्षेत्र वासियों के लिए अब भी सपना.

बताया जाता है कि सन 1962 से सरायपाली, बसना और पिथौरा में रेल्वे लाइन की माँग की जा रही है, सदैव सभी राजनीतिक दलों का सहयोग और समर्थन रहने के बावजूद आज भी रेल पहुँचने का सपना क्षेत्र वासियों के लिए सपना ही रह गया है.

पिछले कई सालों से सरायपाली बसना के विधायक और महासमुन्द के सांसदों द्वारा बार-बार  केंद्र सरकार में बैठे रेल्वे मंत्रियों को एक पीड़ितों के तरह आवेदन लिखकर यह बताना पड़ता है रायपुर-सरायपाली-बरगढ़ रेल लाइन के बनने से दुरी कम हो जाएगी. लोगों को रोजगार मिलेगा, और विकास होगा. लेकिन केन्द्र ने अब तब इस ओर रेल लाइन लाने के लिए कोई खासी पहल नहीं की है.

गौरतलब है कि बरगढ़-महासमुंद से बरगढ़ रेललाइन जोड़ने की बात बीते पांच दशकों से चल रही है. कांग्रेस और भाजपा दोनों ने ही इस मुद्दे को समय-समय पर उठाया. साल 2012 की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने बजट में बरगढ़ महासमुंद रेल लाइन सर्वे के लिए प्रावधान किया, मगर राजनीति इच्छाशक्ति के अभाव में यह मांग और यह सर्वे सिर्फ कागजों तक सिमट कर रह गया.

1962 से लगातार उठ रहा है यह मुद्दा: सरायपाली के पूर्व विधायक डॉ हरिदास भारद्वाज ने विधानसभा में अशासकीय प्रस्ताव महासमुंद बागबाहरा बरगढ़ रेल लाइन के लिए सर्व सम्मति से पास करवाया था. बरगढ़ से बागबाहरा जोड के लिए सर्वे साल 1962 में पहली बार होना बताया जाता है. उसके बाद भूतपूर्व मुख्यमंत्री श्यामाचरण शुक्ल ने जब बाम्बे से हावड़ा रेललाइन का तिहरीकरण हो रहा था, तब एक लाइन बागबाहरा से बरगढ़ जोड़कर इस लाइन को उसी बजट में निर्माण की मांग की थी.

पूर्व सांसद चंद्रशेखर साहू और सांसद चंदू लाल साहू ने भी इस मुद्दे को उठाया था. पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी भी जब महासमुंद के सांसद बने तो उन्होंने भी इस मुद्दे को उठाया. कांग्रेस की प्रदेश सचिव रही नंदिनी साहू ने दिल्ली जाकर सोनिया गांधी और रेल मंत्रालय में इस मांग को रखा था. छत्तीसगढ़ चैंबर आफ कामर्स ने रेल राज्यमंत्री से रायपुर में मिलकर यह बात उठाई थी.

अब सरायपाली विधायक श्री किश्मत लाल नन्द ने आज एक पत्र लिखकर समय के मांग को देखते हुए एक बार फिर रेल मंत्री को गुहार लगा रहे है और जल्द से जल्द सरायपाली, बसना और पिथौरा को रेल्वे लाइन से जोड़ने की मांग कर रहे है.




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