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बसना नगर पंचायत में कब्ज़ा जमाने के बाद संपत की नजर अब पिथौरा और बसना जनपद पर.

बसना नगर पंचायत में अपना कब्ज़ा जमाने के बाद नीलांचल सेवा समिति अब बसना और पिथौरा के जनपद सदस्य का चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों पर नजर बनाये रखी है, मिली जानकारी के अनुसार नीलांचल सेवा सेवा समिति के संरक्षक संपत अग्रवाल अब बसना और पिथौरा जनपद चुनाव में कुछ प्रत्याशियों की चुनाव के लिए समर्थन देंगे.

गौरतलब है कि नीलांचल सेवा समिति पुरे बसना विधानसभा में अपना वर्चस्व हासिल कर चुकी है,     नगरीय निकाय चुनाव में भी संपत अग्रवाल ने बसना के नीलांचल सेवा समिति के सदस्यों को चुनावी मैदान में उतरा था जिसके बाद सबसे अधिक पार्षद नीलांचल सेवा समिति द्वारा चुने गए पार्षद जीतकर आये और बसना नगर पंचायत में नीलांचल का कब्ज़ा हो गया.

वहीं विधानसभा चुनाव में संपत के भारतीय जनता पार्टी से टिकट नहीं मिलने के कारण उन्होंने बागी होकर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपना चुनाव लड़ा था जिसके बाद से अब तक संपत बीजेपी के लिए खतरे की घंटी बने हुए है.

नगर पंचायत चुनाव के बाद संपत की बीजेपी में वापसी को लेकर चर्चाएँ तो चल रही थी लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं, संपत की वापसी तो नहीं हुई लेकिन नतीजे देखकर कहा जा सकता है कि बीजेपी से कुछ पार्षदों ने नीलांचल के सदस्य को अपना समर्थन दिया.

ऐसे में अगर संपत जनपद सदस्य के प्रत्याशियों को भी लेकर अपना समर्थन देते है और उनके समर्थित प्रत्याशी बीजेपी समर्थित प्रत्याशियों से अधिक क्षेत्र से जीतकर आते है तो यह बीजेपी के लिए एक और करारी हार होगी.

बीजेपी ने बीते दिनों महासमुंद के जिलाध्यक्ष की कमान पूर्व संसदीय सचिव एवं बसना विधायक रूपकुमारी चौधरी को दी थी, लेकिन उनके नेतृत्व में बसना नगर पंचायत के चुनाव में बीजेपी से केवल 3 ही पार्षद जीतकर आये जबकि पिथौरा में भी बीजेपी का प्रदर्शन बुरा रहा और कांग्रेस ने बहुमत हासिल कर निर्विरोध अपना अध्यक्ष और उपाध्यक्ष बनाने  में कामयाब रही. हलाकि जिले में बाकि जगह बीजेपी का प्रदर्शन अच्छा रहा लेकिन ऐसा कहा जा सकता है कि रूपकुमारी अपने क्षेत्र में बीजेपी की अपेक्षाओं के पूर्ण कार्य नहीं कर पाई. हलाकि देखने वाली बात यह होगी कि जनपद और जिला चुनाव में बीजेपी यहाँ से कैसे कमाल कर पाती है.

वहीं जहाँ संपत ने अपने निर्दलीय उम्मीदार खड़े कर बसना में नीलांचल का अध्यक्ष बना दिया तो दूसरी तरफ बीजेपी सरायपाली में बहुमत के बावजूद अपना अध्यक्ष नहीं बना पाई. यदि आने वाले समय में संपत बसना और पिथौरा क्षेत्र के जनपद प्रत्याशियों के लिए चुनाव प्रचार करते दिखते है तो यह बीजेपी के लिए सबसे बड़ी परेशानी की बात होगी. और इसका फायदा कांग्रेस को भी मिल सकता है.

ज्ञात हो कि विगत विधानसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने भी संपत के बागी होने पर उन्हें नजरंदाज करते हुए कहा था कि ये कोई नगर पंचायत का चुनाव नहीं है कि कोई भी आकर लड़ ले, जिसके बाद से संपत ने बसना विधानसभा  अब ऐसी स्थिति बना ली है कि अब बीजेपी को चुनाव से पहले संपत के बारें में सोचना पड़ेगा.




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