news-details

धोखाधड़ी के मामलों में आरोपी और प्रार्थी दोनो पर कार्यवाही होनी चाहिए - मनोज शर्मा

नरेंद्र कुमार देवांगन ग्राम पीसीद के द्वारा थाना कसडोल मे लिखित आवेदन पेश किया कि मेरे द्वारा 2014 में छात्रावास अधीक्षक की नौकरी लगाने लालच देकर ठगते हुए 2 लाख रुपया रामकुमार वर्मा (शिक्षक) ने लिया। जिसपर पुलिस ने भा0द0वि0 की धारा 420 पाये जाने से अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया.

चूँकि मामला रामकुमार वर्मा ग्राम सेमरा का निवासी है जिसका थाना गिधौरी होने के कारण नरेंद्र कुमार देवांगन को गिधौरी में रिपोर्ट दर्ज कराई। नरेंद्र कुमार देवांगन ने बताया कि उसने छात्रावास अधीक्षक की परीक्षा दिया था। इसी दरमियान उसका भाई लोचन देवांगन के संपर्क से रामकुमार वर्मा से मुलाकात हुई, जो कि पीसीद में पढ़ाता था, बातचीत के दौरान नौकरी लगाने के नाम से आपस मे लेनदेन की बात हुई जिसमे नरेंद्र देवांगन, रथराम और दिलचंद तीनो रामकुमार वर्मा के घर पहुच कर 2 लाख रुपया दिया.

दिनबदिन गुजरते गया और नौकरी नही लगते देख रुपया वापसी की मांग की, जिसमे 2 लाख रुपया का चेक 2016 में लोचन देवांगन के नाम से दिया, वह चेक बांउस हो गया जिस पर रामकुमार को पता चला तो उसने 90 हज़ार रुपया नगद वापस किया बाकी रुपया मांगने पर बोला रुपया डूब गया ।

न नौकरी मिली न पूरा रुपया वापस मिला। रकम न मिलने की उम्मीद से नरेंद्र ने कानून का सहारा लिया और थाने में जाकर अपराध दर्ज कराया।

अब सवाल यह है कि क्या प्राथी ने सिर्फ रकम वापसी के लिए शिकयत दर्ज कराई ? यदि नरेंद्र देवांगन को नौकरी मिल जाती तो क्या वह रिश्वत देकर नौकरी पाने का मामला अपराध की श्रेणी में नही आता ? इससे साफ जाहिर होता है नरेंद्र कुमार देवांगन ने अपनी योग्यता को दर किनार करते हुए रुपयो के आधार पर नौकरी हासिल करने के लिए शिक्षक रामकुमार वर्मा का सहारा लिया । ऐसे मामलों में थाना को चाहिए कि दोनों पर प्राथी और अपराधी दोनों पर कार्यवाही करे.




अन्य सम्बंधित खबरें