news-details

कहाँ से आ रही इतनी भारी मात्र में अवैध शराब.

लगातार शराब पकड़ाना, और शराब पर राजनीति, ये भी तो मुद्दा बनता है, नेताओ का। पुलिस, आबकारी या आम जनता के द्वारा मुखबीरी से भारी मात्रा में शराब का पकड़ाना इस बात से साफ जाहिर होता है कि इस शराब को किसी ब्यापारी के द्वारा मंगाया जाता है। तो उस ब्यापारी का हाथ भाजपा या कांग्रेस से जरूर जुड़ा होगा।

इसके पहले चुनाव में इतनी भारी मात्रा में शराब नही पकड़ी गई। या तो कांग्रेस ने शराब बंदी की दिशा में पहल कर रही है ? या फिर शराब के सहारे भाजपा चुनाव जितने के लिए ये सब कर रही है ? जब से कांग्रेस सरकार बनी है मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ में तब से शराब पकड़ने के मामले बहुत ज्यादा सामने आ रहे है।

पुलिस भारी मात्रा में शराब पकड़ रही है, लेकिन इस बात को शराब के साथ पकड़े जाने वाले ब्यक्ति से क्यो नही कहलवा पा रही है, की ये कांग्रेस के या भाजपा के या किसी नेता के द्वारा भिजवाया जा रहा है। 34(2) का मामला बनाकर अपनी कार्य का इतिश्री कर ले रहे है। आज कही 10 लाख का शराब पकड़ाता है, तो दूसरे दिन पुनः ये माजरा होता है । इससे साफ झलकता है कि शराब बंदी के लिए कानून ब्यवस्था बेहद लचीला है ।

सरकार कहती है शराब से हानि के सिवाय कुछ फायदा नही है। छत्तीसगढ़ में शासन द्वारा अभियान चलाया जा रहा है, शराब के सेवन से दुष्परिणाम क्या-क्या है। फिर भी सरकार दुकान लगा रही है। सुबह से शाम जितनी भीड़ शराब दुकानों में देखने को मिलती उतनी कहीं और नहीं मिलती।  इस मामले में ऐसा कानून बनाया जाय जिससे शराब कोचियों और शराब के ब्यापारियों में ख़ौफ़ हो ।

अभी हो ये रहा है नही पीने वालों की भी लाइन लगी रहती है, कई बार उन लोगो से पुछते है- कि भाई साहब आप तो पीते नही हो क्यो ले रहे हो। तो जवाब मिलता है पीते नही है तो क्या धंधा है हमारा, एक बार मे चार पौआ खरीद सकते है। चार बार आने से 16 पौआ मिल जाता है,  और हम दुगुने दाम में बेचते है। मजे की बात यह है कि चार पौआ लेकर जाओगे तो पुलिस पकड़ती भी नही है। और हमारा धंधा भी बड़े मजे से चलता है। इस तरह के कथन समाज के भीतर कितनी शर्मनाक बात है? इससे कैसे सभ्य समाज की कल्पना की जा सकती है !!!!!!




अन्य सम्बंधित खबरें