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गौठान समिति कर रही है टेकनार गौठान में वर्मीकम्पोस्ट खाद बनाने सहित साग-सब्जी का उत्पादन

अभी तक 5 क्विंटल वर्मीकम्पोस्ट खाद का किया विक्रय

किसानों ने गौठान के लिये 15 ट्रॉली पैंरा किया दान

गांव के किसान रबी सीजन में ले रहे हैं चना, मक्का एवं मूंग की पैदावार

प्रदेश में मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मंशानुरूप जिले में गौठानों को बहुउद्देश्यीय गतिविधि केन्द्र के रूप में विकसित करने के लिये सकारात्मक पहल किया जा रहा है। इस दिशा में कलेक्टर श्री टोपेश्वर वर्मा के निर्देशानुसार जिले के हरेक ब्लॉक के एक गौठान को मॉडल गौठान बनाने के साथ ही अन्य गौठानों को विकसित किये जाने प्रयास किया जा रहा है। इसी कड़ी में दन्तेवाड़ा ब्लॉक के टेकनार गौठान को मॉडल गौठान बनाया जा रहा है और इस गौठान में गौठान समिति तथा महिला समूह द्वारा वर्मीकम्पोस्ट खाद बनाने के साथ ही साग-सब्जी उत्पादन किया जा रहा है। करीब तीन एकड़ रकबा में विस्तारित इस गौठान में पालतू पशुओं के लिये पीने का पानी, पैंरा-चारा की व्यवस्था की गई है।

वहीं मवेशियों की देखरेख हेतु एक निर्धन महिला बुधनी नाग को मानदेय पर रखा गया है। टेकनार गौठान के लिये गांव के श्री बच्चनसिंह नागेश जो स्वयं गौठान समिति के अध्यक्ष हैं उनके साथ ही रतिराम, कायोबाई, बदरूराम, भीमसेन आदि 10 किसानों ने करीब 10 ट्रॉली धान पैंरा दान किया है। इस गौठान में गौठान समिति के सदस्यों के समझाईश से ग्रामीण अब हर दिन सुबह अपने पालतू मवेशियों को लेकर आते हैं और 11 बजे के बाद फिर से चराने के लिये वापस ले जाते हैं। उक्त अवधि में गौठान पर मवेशियों को पैंरा-चारा सहित पानी दिया जाता है। वहीं पशुपालन विभाग के मैदानी अमले के सहयोग से इन पालतू पशुओं का स्वास्थ्य जांच कर उपचार भी किया जाता है। इसके साथ ही पालतू पशुओं का टीकाकरण करने सहित कृत्रिम गर्भाधान भी किया जा रहा है।यही वजह है कि इस गौठान में जय गांवदई महिला समूह द्वारा पालतू मवेशियों के गोबर से वर्मीकम्पोस्ट खाद बनाया जा रहा है और विक्रय भी किया जा रहा है।

इस महिला समूह ने अभी तक 10 क्विंटल वर्मीकम्पोस्ट खाद बनाकर 10 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से 5 क्विंटल खाद विक्रय किया है। इस महिला समूह की सचिव सुनीता नेताम ने बताया कि कृषि विभाग द्वारा उपलब्ध कराये गये वर्मी बेड और नाडेप टैंक के जरिये बढि़या जैविक खाद निर्मित कर रहे हैं। इसके साथ ही गौठान में स्थापित सोलर सिंचाई पम्प के माध्यम से गौठान के खाली जगह पर बैंगन, मिर्ची, मूली, पालक, मेथी, लालभाजी, धनिया इत्यादि साग-सब्जी की पैदावार ले रहे हैं। उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों में गोबर के गमले, दीये, धूपबत्ती बनाने के लिये समूह के सदस्यों ने निर्णय लिया है। इस महिला समूह की गौठान के क्रियाकलापों में व्यापक भागीदारी को मद्देनजर रखते हुए गौठान परिसर में ग्राम पंचायत द्वारा डीएमएफ के तहत 11 लाख रुपये की लागत से वर्किंग शेड निर्मित किया जा रहा है, जिससे महिला समूह को अपने उत्पादक गतिविधियां संचालित करने में सहूलियत होगी।

टेकनार गौठान समिति के सदस्य गणेश नेताम और दिलीप नाग बताते हैं कि गौठान में मवेशियों को रखने और देखरेख करने की समझाईश देने के बाद गांव के किसान अब सहर्ष अपने मवेशियों को गौठान में लेकर आने के साथ ही एक निर्धारित समय में चराने के लिये वापस लेकर चले जाते हैं। इससे अब गांव के किसान रबी सीजन में फसल लेने के लिये आगे आ रहे हैं और जयपाल, बनसिंह, सीताराम, मनबल आदि किसानों ने लगभग 28 एकड़ रकबा में चना, मक्का, मूंग की पैदावार लिया है। वहीं अन्य किसान अपने लघु सिंचाई संसाधन के माध्यम से साग-सब्जी की पैदावार ले रहे हैं। गौठान को एक बहुउद्देश्यीय गतिविधि केन्द्र बनाने के बारे में गौठान समिति के अध्यक्ष बच्चनसिंह नागेश कहते हैं कि ग्रामीण आर्थिक व्यवस्था को सुदृढ़ करने की दिशा में सरकार की यह सकारात्मक पहल है, बस इस ओर ग्रामीणों और किसानों में जनजागरूकता निर्मित कर उनकी व्यापक सहभागिता को बढ़ावा देने की जरूरत है।

ज्ञातव्य है कि जिले के अंतर्गत दन्तेवाड़ा ब्लॉक में मंडोली, मेटापाल, टेकनार, भैरमबन्द, पोन्दूम एवं मटेनार, गीदम ब्लॉक में कारली, बड़ेकारली,जपोड़ी, हारम, कटुलनार, मुचनार, बिंजाम एवं झोडि़याबाड़म, कुआकोंडा ब्लॉक में नकुलनार, समेली, मैलावाड़ा एवं कुआकोंडा और कटेकल्याण ब्लॉक में गाटम, मोखपाल नाकापारा, बड़ेगुडरा एवं कटेकल्याण में गौठान विकसित किया जा रहा है। इन गौठानों में कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभागों के मैदानी अमले द्वारा गौठान समितियों को विभिन्न आर्थिक गतिविधियों के लिये आवश्यक परामर्श दी जा रही है।




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