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बारनयापारा मामला - पत्रकार वार्ता में रेंजर रौतिया और सहयोगियों को बर्खास्त कर गिरफ्तार करने की मांग

बार अभ्यारण्य के अंदर बसे ग्रामीणों को वन विभाग द्वारा लगातार प्रताड़ित किया जा रहा हैं। जिसके चलते 23-1-18 से जन संघर्ष समिति बारनवापारा क्षेत्र और दलित आदिवासी मंच के द्वारा के कसडोल ब्लॉक के ग्राम बया में अनिश्चित कालीन धरना पर बैठे हैं।

उनकी मांग है कि आदिवासी परिवार के विरुद्ध झूठा प्रकरण वापस लिया जाए। मारपीट करने वालों के विरुद्ध मामला दर्ज किया जाए। रेंजर रौतिया और सहयोगियों को बर्खास्त कर गिरफ्तार करने की मांग की। सभी वन अपराध निरस्त किया जाए। व्यक्तिगत और सामुदायिक वन अधिकारों की मान्यता दी जाए।

इस मामले को लेकर छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के नेता आलोक शुक्ला ने गुरुवार को पत्रकार वार्ता में कहा कि 15 जनवरी को बारनवापारा अभ्यारण्य के ग्राम रामपुर में वन विभाग के रेंजर संजय रौतिया ने वन अमले के साथ मिलकर आदिवासी राजकुमार कौंध के साथ मारपीट की। मामले की शिकायत लिखाने पीडि़त और ग्रामवासी थाने पहुंचे, लेकिन उनकी शिकायत नहीं सुनकर वन विभाग के इशारे पर पीडि़त परिवार के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। जब पीड़ित को इलाज के लिए रायपुर ला रहे थे तो पुलिस विभाग की ओर से चार गाड़ियों में आकर झलप के पास पीड़ित के वाहन को रोककर अपने साथ ले गए।

शुक्ला ने कहा कि पीडि़त आदिवासी और उनके परिवार को वन अधिकार मान्यता कानून 2006 के अंतर्गत न्याय नहीं मिल रहा है। 




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