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ब्यारे के अभाव में ग्रामीणों ने सड़क को ही बना दिया ब्यारा, राहगीरों के लिए बढ़ा खतरा, कभी भी हो सकता है गंभीर हादसा.

सरायपाली. इन दिनों ग्रामीण अंचल में छोटे किस्म के धान की कटाई प्रारंभ हो गई है. आगामी 1 नवम्बर से धान की खरीदी भी प्रारंभ हो जाएगी, जिसे ध्यान में रखते हुए कई किसान ब्यारा (कोठार) के अभाव में धान को सुखाने के लिए डामरीकृत रोड को ही ब्यारा की तरह उपयोग कर रहे हैं. पालीडीह एवं सिरपुर में दर्जनों किसान रोड में ही धान की मिंजाई एवं सुखाने का कार्य के अलावा धान की रखवाली के लिए रतजगा भी कर रहे हैं. 

विगत दो-तीन दिनों से अंचल में किसान छोटे किस्म के धानों की कटाई प्रारंभ कर दिए हैं. सूखे खेत में हार्वेस्टर से तो वहीं गीले खेतों में हँसिया से धान कटाई का कार्य चल रहा है. किसानों को इस वर्ष 15 दिन पहले धान की खरीदी करने का मौका दिया गया है. जिससे किसान धान खरीदी के सप्ताह भर पूर्व से धान बेचने की तैयारी में जुट गए हैं. कुछ स्थानों पर हार्वेस्टर से कटे धान को जगह की कमी के चलते डामरीकृत रोड में सुखाने का कार्य किया जा रहा है तो कुछ किसान ब्यारा के अभाव में धान मिंजाई एवं सुखाई दोनों कार्यों के लिए रोड का उपयोग कर रहे हैं. ग्रामीण किसान अपने धान की देख-रेख के लिए बकायदा लाईट एवं खाट की व्यवस्था रोड पर ही कर रखे हैं. लेकिन उनके द्वारा की गई यह व्यवस्था राहगीरों के लिए रात में खतरे से कम नही है. नजर हटते ही राहगीरों को बडेÞ हादसे का शिकार होना पड़ सकता है. पालीडीह एवं सिरपुर में रोड के एक छोर पर लगभग 50 से 60 मीटर तक धान को सुखाया जा रहा है. दिन में तो किसी तरह का हादसे का खतरा नहीं मंडराता लेकिन रात में किसानों द्वारा सुखाया गए इस धान से तेज रफ्तार वाहन अनियंत्रित होकर पलट सकते हैं. इसके अलावा धान के ऊपर वाहन चल जाने से रखवाली कर रहे किसानों एवं वाहन चालकों को हमेशा खतरा बना रहता है. 


हार्वेस्टर से धान कटाई के कारण कम हो गई है ब्यारा की उपयोगिता
कुछ वर्षों पूर्व तक ब्यारा में ही धान की मिंजाई की जाती थी, जिसके लिए किसान धान कटाई के सप्ताह भर पूर्व से ही ब्यारा की साफ-सफाई के साथ लिपाई-पुताई का कार्य प्रारंभ कर देते थे. धान कटाई के बाद पूरा धान ब्यारा में आता था, जहाँ खरही लगाकर धान को रखा जाता था. इसके लिए ब्यारा की उपयोगिता काफी बढ़ गई थी. लेकिन जब से हार्वेस्टर से धान कटाई का कार्य प्रारंभ हुआ है, तब से ब्यारा की उपयोगिता भी कम ही गई है. लोग हार्वेस्टर से धान कटाई के बाद कई बार सीधे मण्डी में धान बेचने के लिए भी चले जाते हैं. यही कारण है कि अब धान रखने व सुखाने के लिए ब्यारों की भी कमी हो गई है. आगामी 7 नवम्बर को दीपावली का भी पर्व है, जिसके चलते कुछ किसान शुरूवाती दौर में ही धान बेचकर काम में कुछ राहत पाने का प्रयास करेंगे. अधिक ांश जगहों पर तो आज भी किसान अपने खेतों की फसल बचाने में दिनरात एक कर पानी लगाने की जुगत में लगे हुए हैं.




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