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महासमुन्द जिले में धड़ल्ले से बिक रही अवैध शराब

बड़ा सवाल क्या समूचे जिले में अवैध शराब के कई माफियाओं के बड़े वर्ग के ऊपर प्रमुख आबकारी अधिकारी का शह प्राप्त है?. एक बड़े कारोबार का अवतार ले चुके अवैध शराब बिक्री का काला धंधा जिसमे जिले के सैकड़ो लोग संलिप्त है, विभागीय स्तर में जब कार्यवाही की बात की जाए तो विभाग की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लग जाता है.

गौरतलब है कि कई शिकायतों के बाद जिले में स्थित कुछ शहरी इलाकों के कई होटलों में अवैध शराब बिकना बंद नहीं हुआ. बल्कि अधिकारियों ने औपचारिकता पूर्वक छोटी मछलियों 'नौकर' व गरीब तबके के लोगों पर कार्यवाही कर कुछ खानापूर्ति केस बनाया गया, सवाल है कि क्या एक विशेष गरीब वर्ग ही शराब बेचता है या कार्यवाही ही उनपर होती है ? 

क्या इस धंधे में संलिप्त रसूखदार लोगों को बचाने हेतु जहमत की जाती है, मामला जो भी हो अब मानो आबकारी विभाग पर आम जनता का भरोसा टूट चुका है.

जिले के कप्तान सक्रिय
आदर्श आचार संहिता के मद्देनजर जिले के कप्तान श्रीमान संतोष सिंह लगातार कार्यवाही करवा रहे हैं दूसरी ओर मौन बैठे आबकारी विभाग जिले में शो पीस बनकर शोभा बढ़ा रहे है.

जिले में बेख़ौफ़ माफिया
ज्ञात हो कि महासमुंद जिले के अंतर्गत एनएच 53 में स्थित कई होटलों में शराब का खुलेआम विक्रय किया जाता है. पिथौरा बस स्टैंड स्थित कुछ होटलों में अवैध शराब की बिक्री की जाती है जहाँ अब तक छोटी कार्यवाही की गयी. बसना स्थित हाइवे किनारे समेत बस स्टैंड के समीप ठेलो में अवैध रूप से मादक पदार्थों की बिक्री की जाती है जहाँ कार्यवाही न होना समझ से परे है. सराईपाली में स्थित चौक चौराहों में अवैध शराब बिक्री की खुलेआम शिकायत रहती है आम आदमी अपनी जान जोखिम में डाल कर जब उम्मीदवश विभाग से शिकायत करता है तब
विभाग द्वारा अनदेखी करना कई प्रकार के संदेहों को जन्म दे रहा है.।

आबकारी अधिकारी द्वारा सिर्फ आश्वासन
विभाग द्वारा कार्यवाही का आश्वासन देकर भी बहानेबाजी करना स्पष्ट मानसिकता दर्शाता है नाम न छापने की शर्त पर सीजी संदेश के प्रतिनिधि को बताया गया कि जिले के आबकारी अधिकारी प्रवीण से लगातार कई बार अवैध शराब की शिकायतों के बाद भी कार्यवाही नहीं की गई ऐसे और भी अनेक उदाहरण है जो कार्यवाही के अभाव में खुलेआम शराब बेचकर शहर का माहौल बिगाड़ रहे है.




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