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बैनर पोस्टर हुआ कम, वोट मांगने घर-घर पहुंच रहे हैं कार्यकर्ता

सोशल मीडिया का भी लिया जा रहा है सहारा

सरायपाली.पहले के चुनावों में जिस तरह से बैनर, पोस्टर, दीवाल लेखन का काम चलता था वह अब बहुत कम दिखाई दे रहा है. प्रत्याशी एवं कार्यकर्ता सीधे मतदाताओं के पास पहुंचकर रूबरू हो रहे हैं. अपने लिए वोट भी मांग रहे हैं. कार्यकर्ता घर-घर तो प्रत्याशी चौक चौराहों तथा गांव की गलियों में पहुंचकर जनसभा ले रहे हैं. सरायपाली विधानसभा में प्रमुख रूप से मुकाबला पिछले बार की भांति इस बार भी भाजपा एवं कांग्रेस में होने की संभावना है. हालांकि चुनाव मैदान में आम आदमी पार्टी एवं शिवसेना ने भी अपने उम्मीदवार खडे किए हैं. लेकिन राजनीतिक फीजा फिलहाल भाजपा कांग्रेस की ही ज्यादा चल रही है. चुनाव प्रचार करने के लिए राजनीतिक दल अपनी पूरी ताकत झोंक दिए हैं.

शहर एवं गांव में बैनर पोस्टर का अभाव दिखाई दे रहा है. पार्टी के कार्यकर्ता सीधे मतदाताओं के पास जाकर अपनी बात रख रहे हैं. कुछ पार्टी के पदाधिकारियों का कहना है कि बैनर पोस्टर को शरारती तत्व निकाल लेते हैं जिसकी वजह से वह दिखाई नही देता. कुछ स्थानों पर पोस्टर बैनर लगाया गया था. लेकिन जब ग्रामीण कार्यकर्ताओं से पूछा गया तो किसी ने निकाल लिए जाने की बात सामने आई. इस तरह की शिकायतें आमतौर पर कुछ समय से आ रही है. पिछले कुछ कार्यक्रमों में यहां पर पहुंचे विभिन्न पार्टियों के जनसभा के दौरान शहर में सड़क किनारे लगे बडे-बडे फ्लेक्स बैनर को उखाड़कर ले जाते हुए देखे गए. इसके चलते भी बडे कटआउट फ्लेक्स आदि लगाने में प्रत्याशी ध्यान नहीं दे रहे हैं. दीवाल लेखन कराने में भी प्रत्याशियों का ध्यान अब नहीं रहा है. केवल चुनिंदा जगहों पर ही देखने को मिल रहा है.

गांव-गांव प्रचार करने के अलावा इन दिनों चल रहे धान खरीदी केंद्रो में भी प्रत्याशी एवं कार्यकर्ता वहां मौजूद किसानों के पास जाकर मुलाकात कर रहे हैं. कई जगहों में अभी जानकारी आई है कि ऐसे भी लोग है जो चुनाव समय का फायदा उठाने के लिए कई प्रत्याशियों के संपर्क में रहते हैं. विधानसभा चुनाव को कई मतदाता पंचायत चुनाव की भांति भांपते हुए उस तरह का माहौल खोज रहे हैं. फिलहाल सभी दलों द्वारा जोर शोर से प्रचार किया जा रहा है. लेकिन मतदाता खामोशी ओढे हुए हैं. आचार संहिता के पहले कई गांव के दीवाल में संभावित प्रत्याशी अपना-अपना बैनर पोस्टर, दीवाल लेखन कर कई तीज त्यौहारों का उल्लेख करते हुए लगवाए थे, जो आचार संहिता लगते ही सभी बैनर, पोस्टर दीवाल लेखन हटा दिए गए. उसके बाद विभिन्न पार्टी के प्रत्याशियों द्वारा चुनाव प्रचार संबंधित बैनर पोस्टर नहीं दिख रहे हैं.




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