महिला मतदाताओ ने अपनी समस्याएं बताते हुए कहा की जो भी प्रत्याशी या पार्टी इन समस्याओं को दूर करने में रूचि दिखाएंगे उन्हें ही वे अपना नेता चुनेंगे.
सरायपाली. विधानसभा चुनाव के लिए अब कुछ ही दिन शेष हैं. प्रत्याशियों के द्वारा जोर शोर से प्रचार प्रसार किया जा रहा है. लगभग सभी प्रत्याशी गांव-गांव जाकर आमजनों से मिल रहे हैं. लेकिन प्रत्याशियों के सामने मतदाताओं की भी कई तरह के स्थानीय मांग सामने आ रही है. सभी दल के प्रत्याशी घोषणा पत्र एवं ग्रामीणों की समस्याओं के अलावा विकास की बात को लेकर भी लोगों के बीच पहुंच रहे हैं. लेकिन आज भी कई ऐसी मांग मतदाताओं द्वारा की जा रही है जो न तो घोषणा पत्र में है और न ही पूर्व में किए गए विकास कार्यों में वह नजर आया है. विशेषकर महिला मतदाताओं की मांग प्रत्याशियों के लिए एक तरह की चुनौती भी है. कुछ महिलाओं ने अपने विचार इस तरह से प्रकट किए.
अन्नपूर्णा प्रधान एम ए द्वितीय सेमेस्टर ने नवभारत से चर्चा के दौरान बताया कि वे इस समय सोच समझकर ही मतदान करेंगी. सरायपाली में वर्षों से की जा रही कन्या महाविद्यालय का मांग, जिसे आजतक किसी ने भी उच्च स्तर तक नहीं उठाया है. जो प्रत्याशी लड़कियों के उच्च शिक्षा को ध्यान में रखते हुए यहां कन्या महाविद्यालय को प्राथमिकता देंगे उसे ही वे अपना मत देंगी.
देव प्रिया साहू बीए द्वितीय वर्ष ने बताया कि महाविद्यालय के छात्राओं को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए यहां एक भी गर्ल्स हॉस्टल नहीं है, जिसके चलते काफी दूर से आकर यहां पढ़ाई करने वाले छात्राओं को रूकने में असुविधा होती है. छात्राओं की इस असुविधा को जो भी गंभीरता से लेंगे उन्हें ही उनका मत मिलेगा.
शोभा गौर ने बताया कि सभी लोगों के लिए सरकार रोजगार उपलब्ध करवाती है लेकिन महिलाओं के लिए रोजगार की ओर किसी ने भी अभी तक ध्यान नहीं दिया है. आज भी कई ऐसे परिवार हैं जिनके मुखिया का स्वास्थ्य खराब होने से महिलाओं के सामने रोजी रोटी की समस्या उत्पन्न हो जाती है. महिलाओं के लिए रोजगार के संसाधन उपलब्ध करवाने की ओर जो भी पहल करेगा उसे ही वो अपना नेता चुनेंगी.
भूमिसुता बेहरा ने कहा कि क्षेत्र में सार्वजनिक शौचालयों की कमी है, जिसके चलते मोहल्ले में होने वाले सार्वजनिक उत्सवों के दौरान प्रसाधन के अभाव में महिलाओं को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
सुजाता एवं सराबनी बेहरा ने बताया कि सरायपाली में विशेषकर महिलाओं के कार्य करने के लिए किसी तरह का उद्योग नहीं है. जिसके कारण बहुत सी महिलाएं कार्यक्षमता होते हुए भी आत्मनिर्भर नहीं हो पा रही हैं. अत: यहां महिलाओं के रोजगार के लिए उद्योग की विशेष आवश्यकता महसूस की जा रही है.
महिला मतदाताओं ने इस प्रकार अपनी समस्याएं बताते हुए कहा कि जो भी प्रत्याशी या पार्टी इन समस्याओं को दूर करने में रूचि दिखाएंगे उन्हें ही वे अपना नेता चुनेंगे.