news-details

छत्तीसगढ़ को यशस्वी राज्य बनाने में सफल होंगे, जहां हर व्यक्ति का स्वावलम्बन राज्य की शक्ति और सामर्थ्य का प्रतीक बनेगा - मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज राजधानी रायपुर के पुलिस परेड ग्राउण्ड में आयोजित मुख्य समारोह को सम्बोधित करते हुए सत्तरवें गणतंत्र दिवस पर राज्य के नागरिकों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि संविधान की रोशनी में गणतंत्र की मजबूती के लगातार प्रयासों से हम छत्तीसगढ़ को ऐसा यशस्वी राज्य बनाने में सफल होंगे, जहां हर व्यक्ति का स्वावलम्बन राज्य की शक्ति और सामर्थ्य का प्रतीक बनेगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए राज्य में ‘गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ का नारा दिया गया है। 

इस अवसर पर प्रदेश के नागरिकों को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने अपना उद्गार छत्तीसगढ़ी भाषा से प्रारंभ किया और कहा कि ‘जम्मो संगी, जहूंरिया, दाई-दीदी, सियान, जवान अउ लइका मन ल जय जोहार’। उन्होंने छत्तीसगढ़ी में कहा कि आज का दिन भारत के गौरवशाली अतीत को याद करने का है, जिसके दो महान अध्याय हैं स्वतंत्रता दिवस-15 अगस्त 1947 तथा गणतंत्र दिवस-26 जनवरी 1950। भारत को आजादी दिलाने के लिए अनगिनत लोगों ने जान की बाजी लगाई थी। भारत का संविधान बनाने में भी अनेक महान विभूतियों का अथक योगदान दर्ज है। देश के सात दशकों के सफर को दिशा देने वाली विभूतियों तथा तन-मन-धन से योगदान देने वाले जन-जन को मैं नमन करता हूँ। भारत की आजादी की लड़ाई की पहली मशाल जलाने में छत्तीसगढ़ के वीरों का योगदान भी दर्ज है। शहीद गैंदसिंह, वीर गुण्डाधूर, शहीद वीर नारायण सिंह ने जो अलख जगाई थी, उससे छत्तीसगढ़ का कोना-कोना और जन-जन स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ गया था।
   
मुख्यमंत्री ने आगे का संदेश हिन्दी भाषा में कहा कि भारत रत्न बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर के नेतृत्व में जब देशभर के सामाजिक और विधिवेत्ता एकजुट हुए थे तो उनमें हमारे छत्तीसगढ़ की विभूतियों ने भी संविधान सभा के सदस्य के रूप में अपनी अमूल्य सेवाएं दी थीं। मैं चाहूंगा कि वर्तमान और भावी पीढ़ियाँ अपनी विरासत से जुड़ाव रखते हुए संविधान निर्माताओं के सपनों को पूरा करने में अपना योगदान दर्ज करें.  हमारे संविधान की प्रस्तावना-‘‘हम भारत के लोग’’ से शुरू होती है जो गणतंत्र में प्रत्येक नागरिक की महŸाा दर्शाती है। हमारी सरकार प्रत्येक नागरिक के स्वाभिमान और उसकी गरिमा के लिए हर संभव उपाय करने के लिए कटिबद्ध है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें ग्राम स्वराज को लेकर महात्मा गांधी की परिकल्पना भी याद है और उनका यह वचन भी याद है-‘‘कोई निर्णय लेने के पहले सबसे गरीब व्यक्ति को याद करो और स्वयं से यह पूछो कि आप जो कदम उठाने जा रहे हो क्या वह उस गरीब व्यक्ति के लिए उपयोगी होगा।’’ मुझे यह कहते हुए संतोष का अनुभव हो रहा है कि विगत एक माह में हमारे सारे फैसले महात्मा गांधी के वचनों की भावना के अनुरूप लिए गए हैं।

कृषि ऋण माफी के फैसले को सभी वर्गों का समर्थन मिला

श्री बघेल ने कहा किसानों को कर्ज के कुचक्र से मुक्ति दिलाए बिना उनकी और गांवों की स्थिति सुधारी नहीं जा सकती। इसलिए हमने मंत्रिपरिषद की पहली बैठक में 16 लाख 65 हजार किसानों का लगभग 6 हजार 230 करोड़ रूपए का अल्पकालिक कृषि ऋण माफ कर दिया। मुझे खुशी है कि हमारे इस फैसले का न सिर्फ किसान परिवारों ने बल्कि प्रदेश के सभी वर्गांे ने समर्थन किया है। यह इस बात का सुखद संकेत है कि प्रदेश अपनी समरसता की मूलधारा पर बना रहना चाहता है, कोई प्रतिगामी विचार, ताकत या सत्ता के बल पर हमारे भाईचारे को क्षति नहीं पहुंचा सकता। मैं चाहूंगा कि आगे भी जरूरतमंद तबकों की मदद के लिए बढ़े हुए हाथों को आपका सहयोग मिले।

रबी फसलों के लिए बंद पड़ी सिंचाई सेवाएं होगी प्रारंभ

मुख्यमंत्री ने घोषणा करते हुए कहा कि किसानों की लगभग 15 वर्षों से लम्बित सिंचाई कर की बकाया राशि को मिलाकर अक्टूबर, 2018 तक सिंचाई कर की 207 करोड़ रूपए की बकाया राशि भी माफ की जाएगी, जिससे लगभग 15 लाख किसानों को राहत मिलेगी। रबी फसल लेने वाले किसानों को कोई तकलीफ न हो इसलिए हमने रबी फसलों के लिए बंद पड़ी सिंचाई सेवाओं को तत्काल प्रभाव से पुनः प्रारंभ करने का निर्णय भी लिया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ को धान के कटोरे के रूप में सम्मान दिलाने वाले अन्नदाताओं का यह हक है कि उन्हें धान का सम्मानजनक दाम मिले। हमने मंत्रि-परिषद् की पहली बैठक में प्रदेश के किसानों से 25 सौ रूपए प्रति क्ंिवटल की दर से धान खरीदने का वादा पूरा किया। केन्द्रीय पूल में चावल खरीदी की मात्रा बढ़ाने का निवेदन भारत सरकार से किया गया है, लेकिन हमारी मांग नामंजूर होने की स्थिति में भी राज्य सरकार अपनी जिम्मेदारियां निभाएगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें अहसास है कि किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए हमें स्थाई व्यवस्था करनी पड़ेगी और ऐसी योजनाएं बनानी पड़ेंगी, जिसके दूरगामी परिणाम मिलें। इसलिए गांवों के विकास के लिए हमने वहां उपलब्ध संसाधनों के ’’वैल्यू एडीशन’’ की नीति अपनाने का संकल्प लिया है और नारा दिया है- ‘‘छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी, नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी, ऐला बचाना हे संगवारी’’। श्री बघेल ने अपने संदेश में कहा कि नालों में बहकर बर्बाद होते पानी को रोकने, पशुधन के संरक्षण एवं संवर्धन, उनसे मिलने वाले उत्पादों के उपयोग, जैविक खाद बनाने, अपर्ने इंधन की व्यवस्था गांव में करने तथा बाड़ी के माध्यम से उद्यानिकी विकास की विस्तृत कार्य योजना बना रहे हैं, जिससे गांवों में स्वावलंबन की नई सुबह होगी। इस क्रम में सभी ग्राम पंचायतों में गायों के आश्रय तथा चारागाह की व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं। ग्राम सभाओं के माध्यम से इसके लिए जमीन सुरक्षित की जा रही है। इस कार्य में मनरेगा का उपयोग सुनिश्चित करने के लिए भी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। इस प्रकार यह केवल नारा नहीं बल्कि गांवों की समृद्धि का सुनिश्चित रास्ता होगा।

कृषि विभाग का नाम बदलकर ‘‘कृषि विकास, किसान कल्याण
और जैव प्रौद्योगिकी विभाग’’ किया गया

मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि से संबंधित समस्त योजनाओं का लक्ष्य अन्नदाताओं का स्वावलंबन और खुशहाली हो। इसलिए कृषि विभाग का नाम बदलकर ‘‘कृषि विकास, किसान कल्याण और जैव प्रौद्योगिकी विभाग’’ किया गया है जिससे किसान कल्याण का लक्ष्य सदा हमारी नजरों के सामने रहे।

तेन्दूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक दर 25 सौ रूपए
प्रति मानक बोरा से बढ़ाकर 4 हजार रूपए करने का निर्णय

वन अंचलों में जीवन की धड़कन वहां परम्परागत रूप से रहने वाले अनुसूचित जनजाति के लोगों से है। लेकिन विडम्बना है कि प्रदेश में जंगल को बचाने वाली इस बड़ी आबादी की बुनियादी जरूरतें पूरा होने का अभियान भी डेढ़ दशक पिछड़ गया है। वन अधिकारों की मान्यता से संबंधित अधिनियम का उचित ढंग से क्रियान्वयन सुनिश्चित करने, पट्टा निरस्ती मामलों पर पुनर्विचार, सामुदायिक वन अधिकार प्रदान करने, कृषि हेतु खाद, बीज, कृषि उपकरण, समतलीकरण, सिंचाई सुविधाएं प्रदान करने जैसे कार्यो में तेजी लाई जाएगी। तेन्दूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक दर 25 सौ रूपए प्रति मानक बोरा से बढ़ाकर 4 हजार रूपए करने का निर्णय लिया गया है। इन फैसलों से किसानों तथा वनोपज पर आश्रित आदिवासी भाई-बहनों का आर्थिक सशक्तीकरण होगा। उन्होंने कहा पांचवीं अनुसूची वाले क्षेत्रों में सरगुजा तथा बस्तर संभाग के जिलों की तरह कोरबा जिले में भी जिला कैडर में भर्ती की सुविधा देने का निर्णय लिया है। साथ ही इन सभी जिलों में भर्ती की अवधि दो वर्ष बढ़ा दी गई है।

झीरम घाटी की दुःखदायी घटना से पीड़ित परिवारों को
शीघ्र न्याय दिलाने एस.आई.टी. जांच

मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसा कहा जाता है कि न्याय दिलाने में देरी अपने-आप में एक अन्याय है। प्रदेश के जनमानस में अनेक प्रसंगों को लेकर बेचैनी थी और उनकी न्याय पाने की उम्मीद धूमिल हो चली थी। हमने झीरम घाटी की दुःखदायी घटना से पीड़ित परिवारों को शीघ्र न्याय दिलाने की दिशा में मजबूत कदम उठाते हुए एस.आई.टी. जांच की घोषणा की है। भारत में सार्वजनिक वितरण प्रणाली को कमजोर आय वर्ग के लोगों के लिए आशा और आस्था का विषय बनाया गया था लेकिन छŸाीसगढ़ में यह भी अन्याय का सबब बन गई थी और इसका संचालन करने वाली संस्था नागरिक आपूर्ति निगम (नान) की कार्यप्रणाली को लेकर अनेक प्रश्नचिन्ह लगे थे, इसलिए हमने ’’नान घोटाले’’ की एस.आई.टी. जांच की घोषणा की।

जिला खनिज संस्थान न्यास की जाएगी समीक्षा

खनिज धारित क्षेत्रों में खनन से प्रभावित होने वाले पर्यावरण तथा जनता के हितों की रक्षा के लिए जिला खनिज संस्थान न्यास (डीएमएफ) का गठन किया गया था। इस निधि में नवम्बर 2018 तक 3 हजार 336 करोड़ रूपए का अंशदान प्राप्त हुआ और 2 हजार 400 करोड़ रूपए की राशि खर्च की गई। वास्तव में यह राशि एक तरह से खनन प्रभावित आबादी को हुई क्षति की भरपाई के लिए थी, लेकिन इसका उपयोग काफी गैर जिम्मेदारी से किया गया। इसलिए हमने इस पूरे मामले की समीक्षा का निर्णय लिया है और अनावश्यक निर्माण कार्य पर रोक लगा दी है ताकि जनता का पैसा जनहित में इस्तेमाल किया जा सके। उन्होंने कहा कि हमने वायदा किया था कि चिटफंड कम्पनियों के खिलाफ कार्यवाही करेंगे तथा ऐसे निर्दोष स्थानीय युवाओं के खिलाफ दर्ज प्रकरण वापस लेंगे जो अभिकर्ता के रूप में इन कम्पनियों से जुड़े थे। अगले एक माह में यह कार्यवाही पूर्ण कर ली जाएगी।

5 डिसमिल से कम भू-खण्डों की खरीदी, बिक्री,
हस्तांतरण, पंजीकरण से रोक हटाई गई

मुख्यमंत्री ने कहा कि कम आय वाली जनता को अपनी ही छोटी-छोटी संपत्तियों के क्रय-विक्रय से वंचित किए जाने जैसे प्रकरण पर हमने तत्काल कदम उठाया और 5 डिसमिल से कम भू-खण्डों की खरीदी, बिक्री, हस्तांतरण, पंजीकरण से रोक हटा दी। जमीन के डायवर्सन की प्रक्रिया का भी सरलीकरण किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि पं. जवाहरलाल नेहरू ने सार्वजनिक उपक्रमों के माध्यम से बड़े उद्योगों, शिक्षा संस्थानों की स्थापना की नींव रखी थी। वे इन्हें आधुनिक भारत का मंदिर कहते थे। समग्र, समावेशी और सर्वांगीण विकास के लिए स्थापित किए गए भिलाई स्टील प्लान्ट ने 1959 से अब-तक 200 मिलियन टन हॉट मेटल का उत्पादन करके एक कीर्तिमान बनाया है। इसी प्रकार बाल्को, एनटीपीसी के बिजलीघर, गंगरेल बांध, मिनीमाता हसदेव बांगो बांध, राज्य के बिजलीघर, एनएमडीसी और एसईसीएल जैसे सार्वजनिक उपक्रमों तथा अन्य संस्थाओं का राष्ट्र निर्माण में योगदान को कोई भुला नहीं सकता। उद्योगों की स्थापना, बांधों का निर्माण, बिजली घर, सड़क, रेलवे, विमानन, टेलीकॉम जैसी अधोसंरचना का विस्तार हमारी परम्परा है। हम तेजी से इस सिलसिले को आगे बढ़ाएंगे।

लोहण्डीगुड़ा एवं प्रभावित 10 गांवों के आदिवासी किसानों की 1764 हेक्टेयर से अधिक जमीन वापस की जाएगी

हमारे सामने बस्तर के लोहण्डीगुड़ा जैसे उदाहरण भी हैं जहां पूर्व राज्य सरकार ने देश की प्रमुख औद्योगिक संस्था से वृहद उद्योग लगाने के लिए 17 सौ से अधिक किसानों की जमीन अधिग्रहित कर ली। दस सालों में न उद्योग लगा, न किसानों को जमीन वापस मिली और न ही आदर्श पुनर्वास कानून का पालन हुआ। संस्था ने उद्योग लगाने से असहमति जाहिर कर दी, लेकिन आदिवासी किसानों को उनकी जमीन वापस नहीं की गई। हमने सरकार में आते ही प्रभावित 10 गांवों के 1764 हेक्टेयर से अधिक जमीन वापस करने का निर्णय लिया ताकि आदिवासियों को न्याय मिल सके। भविष्य में उद्योगों की वास्तविक जरूरत के आधार पर उन्हें सहयोग करने, प्रदेश में पूंजी निवेश आमंत्रित करने के लिए हम हर संभव प्रयास करेंगे। आज रायपुर में आयोजित इस समारोह में हमारे साथ लोहण्डीगुड़ा क्षेत्र के लगभग 50 परिवार बैठे हैं जिन्हें भूअधिकार पुस्तिका देकर हम अपना वादा पूरा कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति अंचलों में समन्वित विकास के लिए विकास प्राधिकरणों के अध्यक्ष मुख्यमंत्री को बनाने की परम्परा भी हमने बदलने का निर्णय लिया है ताकि इन अंचलों के विधायकों की इसमें प्रमुख भूमिका हो और वे स्थानीय आवश्यकताओं का बेहतर ढंग से आकलन करते हुए प्राधिकरणों के कार्यों को बेहतर परिणाम मूलक बना सकें। प्रदेश के उद्योगों एवं स्थानीय उत्पाद को बढ़ावा देने के लिये शासकीय विभागों में ’’जेम’’ के स्थान पर छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक विकास निगम से सामग्री खरीदी का निर्णय लिया गया है। इसके लिये छत्तीसगढ़ भंडार क्रय नियम 2002 में संशोधन किया गया है तथा छह माह के भीतर ऑनलाइन सामग्री क्रय करने के लिए नया पोर्टल बनाया जाएगा।

मैं एक बार फिर महात्मा गांधी के ’’ट्रस्टीशिप’’ के सिद्धान्त की याद दिलाना चाहता हूँ। गांधी जी ने कहा था कि ‘सरकार को राज्य के संसाधनों के ट्रस्टी की हैसियत से काम करना चाहिए।’ हमारा कर्त्तव्य है कि सरकारी खर्चों में मितव्ययिता बरतें। इसलिए हमने ऐसे प्रकरणों पर जाँच के आदेश दिए हैं, जिनमें भ्रष्टाचार के प्रथम दृष्टया प्रमाण मिले हैं। मैं चाहूंगा कि सरकारी अमला पूरी ईमानदारी से अपनी लोक-सेवक की भूमिका निभाएं। लोक निधि जनता के खून-पसीने की कमाई से आती है, इसका सुविचारित, अनुशासित सदुपयोग सुनिश्चित किया जाए। आम जनता को लाल-फीताशाही तथा सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने से बचाने के लिए ‘छत्तीसगढ़ लोक सेवा गारंटी अधिनियम’ के तहत निर्धारित समय-सीमा में कार्य सुनिश्चित कराया जाएगा। इसमें कोताही बरतने वाले बड़े से बड़े अधिकारी को नहीं बख्शा जाएगा, क्योंकि जनता की रोजमर्रा की परेशानियां दूर करना हमारी पहली प्राथमिकता है।

पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने की कार्यवाही प्रारंभ

सशक्त और स्वस्थ लोकतंत्र के चार प्रमुख आधार माने गए हैं-विधायिका, न्यायपालिका, कार्यपालिका और पत्रकारिता (मीडिया)। हमारा संकल्प है कि इन चारों आधारों को मजबूत करेंगे और सबको अपनी निर्धारित जिम्मेदारियों के निर्वाह हेतु आवश्यक वातावरण, संसाधन तथा सुविधाएं उपलब्ध कराएंगे। विगत कुछ वर्षो में प्रदेश में अभिव्यक्ति की आजादी पर खतरा बहुत बढ़ा है। मेरा मानना है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता लोकतंत्र की पहली शर्त है इसलिए हमने स्वतंत्र प्रेस के समर्थन में पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने की कार्यवाही प्रारंभ कर दी है।

महाविद्यालयों के सहायक प्राध्यापकों के
रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू


मुख्यमंत्री ने कहा गणतंत्र की मजबूती और तरक्की में गुणवतापूर्ण शिक्षा की बड़ी भूमिका है। लेकिन विडम्बना है कि राज्य में प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा व्यवस्था तक अनेक विसंगतियां हैं, जिसका असर रोजगार के अवसरों से लेकर अच्छे नागरिकों के निर्माण तक में पड़ रहा है। इस दिशा में पहला कदम उठाते हुए हमने प्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों में रिक्त 40 प्रतिशत सहायक प्राध्यापकों के पदों को लोक सेवा आयोग के माध्यम से भरने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। उन्होंने कहा कि राज्य में स्कूल शिक्षा विभाग में 15 हजार शिक्षकों की भर्ती भी शीघ्र कराई जाएगी। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ नागरिक हमारे समाज के अभिन्न अंग हैं, उनकी देखभाल हमें कर्Ÿाव्य भावना से करना है। इसलिए हमने एक नई पहल करते हुए गंभीर रूप से बीमार वयोवृद्ध नागरिकों के रहने तथा उपचार के लिए ‘‘पैलेटिव केयर यूनिट’’ बनाने का निर्णय लिया है जहाँ उनके नियमित स्वास्थ्य परीक्षण, उपचार, दवाओं, मनोरंजन के साधन तथा टेलीविजन आदि की व्यवस्था होगी।

शराबबंदी की दृष्टि से दो नई समितियाँ गठित

शराब बंदी को लेकर हमारी सरकार बहुत सावधानी और सजगता से आगे बढ़ रही है। सबसे पहले तो शराबबंदी के नाम पर बनाई गई सरकारी समिति द्वारा दिए गए प्रतिवेदन का अध्ययन किया गया, जिसकी अनुशंसाएं शराब की खपत बढ़ाने वाली थीं। राज्य सरकार ने तत्काल उस समिति की अनुशंसा को रद्द करते हुए दो नई समितियाँ गठित करने की घोषणा की है। इनमें से एक सर्वदलीय राजनीतिक समिति होगी और दूसरी समिति समाज के विभिन्न वर्गों से होगी। राजनीतिक समिति उन राज्यों में अध्ययन करेगी, जहां शराब बंदी की गई थी, लेकिन सफल नहीं हुई। यह समिति विफलताओं के कारणों का अध्ययन करेगी। सामाजिक समिति शराब बंदी में सामाजिक चेतना जागृत करने के तरीके सुझाएगी। शराब-सेवन की बुराइयों के बारे में व्यापक जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।


लोकआस्थाओं का सम्मान करते हुए ’’माघी पुन्नी मेला’’ की गौरवशाली पहचान वापस दिलाने की पहल

हमारी लोक संस्कृति और हमारे पुरखों से जुड़ी धरोहरों को बचाए रखते हुए ही हम सार्थक विकास कर सकते हैं। ’’माघी पुन्नी मेला’ हमारी जन आस्था का विषय है। पूर्व में इसका नाम बदलकर कुंभ (कल्प) किया गया था। हमने लोकआस्थाओं का सम्मान करते हुए ’’माघी पुन्नी मेला’’ की गौरवशाली पहचान वापस दिलाने की पहल की है। अमर शहीद वीर नारायण सिंह की जन्म और कर्मभूमि सोनाखान को खनन के नाम पर नष्ट करना भी जनभावनाओं के खिलाफ है इसलिए हमने इसकी समीक्षा का निर्णय लिया है।

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर संत कबीर, बाबा गुरू घासीदास, गहिरा गुरू, राजिम माता, बिलासा माता, कर्मा माता, मिनी माता आदि विभूतियों को याद किया, जिनके प्रभाव से छत्तीसगढ़ में समरसता, सौहार्द्र, भाईचारे व आपसी समन्वय के संस्कार रचे-बसे हैं। जब साम्प्रदायिक शक्तियों के तांडव से देश उबल रहा था, तब छत्तीसगढ़ शांति का द्वीप बना हुआ था। हम अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यक, पिछड़ा वर्ग, महिलाओं तथा ऐसे तमाम लोगों के अधिकारों की रक्षा को अपना परम कर्त्तव्य मानते हैं। उन्होंने कहा कि हमारा संकल्प है कि नक्सलवाद के नाम पर संविधान विरोधी तत्वों की हिंसक गतिविधियों का अंत करेंगे, लेकिन इस बात का पूरा ध्यान रखेंगे कि हमारे आदिवासी भाई-बहनों, पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, सुरक्षा बलों के जवानों आदि सभी पक्षों की भावनाओं को पूरी संजीदगी से सुनकर ही स्थाई समाधान की ओर कदम बढ़ाया जाए। गणतंत्र की मूलभावना का पूरा आदर करना हमारी महती जिम्मेदारी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे संविधान की रोशनी में गणतंत्र की मजबूती के लगातार प्रयासों से हम छत्तीसगढ़ को ऐसा यशस्वी राज्य बनाने में सफल होंगे, जहां हर व्यक्ति का स्वावलम्बन राज्य की शक्ति और सामर्थ्य का प्रतीक बनेगा।





अन्य सम्बंधित खबरें