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शहीद भगत सिंह की पुण्यतिथि पर विचार गोष्ठी

पिथौरा/ शहीदे आजम भगत सिंह की पुण्यतिथि पर श्रृंखला साहित्य मंच पिथौरा द्वारा विचार गोष्ठी आयोजित की गई। स्थानीय रितेश स्टूडियो में आयोजित इस गोष्ठी का विषय था " भगत सिंह का चिंतन और हमारी राष्ट्रीय चेतना " । श्रृंखला साहित्य मंच पिथौरा विगत 30 वर्षों से शहीद भगत सिंह की पुण्यतिथि पर कार्यक्रम आयोजित करते आ रहा है। इसी श्रृंखला में इस वर्ष भी यह गोष्ठी आयोजित हुई । गोष्ठी का शुभारंभ भगत सिंह के चित्र पर माल्यार्पण के साथ हुआ । प्रथम वक्ता के रूप में श्रृंखला साहित्य मंच के वरिष्ठ साहित्यकार अनूप दीक्षित ने कहा कि मात्र 23 वर्ष की आयु में ही भगतसिंह के विचारों में परिपक्वता आ गई थी। आज के युवा इस उम्र में मस्ती और मटरगश्ती में समय बिता देते हैं। ऐसे समय में भगत सिंह की विचारधारा और उनके आदर्शों को युवाओं के बीच प्रचारित व प्रसारित करने की आवश्यकता है।

अगले में क्रम में रचनाकार एफ ए नंद ने कहा कि भगत सिंह ने बम फेंककर किसी को आहत नहीं किया , वे बम के धमाके से बहरी सरकार को जनता की आवाज सुनाना चाहते थे । यह भगत सिंह की क्रांति का आदर्श था । आज़ हमारे युवाओं में राष्ट्रीय चेतना जगाने के लिए भगत सिंह के आदर्शों की आवश्यकता है।

कवि एस के नीरज ने भगत सिंह की शहादत पर अपने विचार रखते हुए कहा कि भगत सिंह का चिन्तन देश की आजादी के साथ गरीब सर्वहारा के लिए था । वंचित व्यक्तियों की सामाजिक आर्थिक मजबूती से ही देश की आजादी का सही परिणाम निकलेगा भगत सिंह की सोच इसी दिशा में थी ।

श्रृंखला के पत्रकार कवि संतोष गुप्ता ने कहा शहीद भगत सिंह के सपनों का भारत आज दिखाई नहीं देता हमारे युवा शहीद भगत सिंह, शहीद राजगुरु एवं शहीद सुखदेव के विचारों से प्रेरणा प्राप्त करेंगे कभी हमारा देश एक आदर्श देश के रूप में स्थापित होगा। 

सुपरिचित साहित्यकार शिवानंद महंती ने कहा कि मात्र 23 वर्ष की आयु में ही भगतसिंह एक श्रेष्ठ चिंतनशील युवक के रूप में सामने आते हैं, यह उनकी अध्ययनशीलता का परिणाम था । आज के युवा को दिग्भ्रमित करने के लिए अनेक कारक हैं।

विभिन्न राजनीतिक दलों के सत्ता लोलुप दांव पेंच में फंसे युवाओं को शहीद भगतसिंह के विचारों से अवगत कराना पड़ेगा ।

        श्रृंखला के युवा रचनाकार संजय गोयल ने इस अवसर पर एक अच्छी कविता पढी उसकी पंक्तियां देखिए:-
              'भगत सिंह आओ ........
              फिर कोई इंसानियत का बम फोड़ दो../
              मेरे देश को फिर से आकर जोड़ दो......//
       
अगले क्रम में श्रृंखला साहित्य मंच के प्रखर वक्ता उमेश दीक्षित ने कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हमारे देश की जनता में राष्ट्रीय चेतना तो विकसित हुई है, किंतु हमारी व्यवस्था में पर्याप्त सुधार नहीं हुआ है । भगत सिंह के सपनों और सिद्धान्तों का अनुसरण करते हुए शोषण और गरीबी मुक्त भारत के निर्माण के लिए हमारी सरकारों को बहुत कुछ करने की आवश्यकता है।

गोष्ठी का सफल संचालन कर रहे श्रृंखला अध्यक्ष प्रवीण प्रवाह ने कहा की भगत सिंह एवं उनके क्रांतिकारी मित्रों के सामने प्रमुख लक्ष्य था साम्राज्यवाद का सर्वनाश और आजादी के पश्चात पूंजीवादी शोषण और गरीबी से मुक्त एक मजबूत भारत का निर्माण । भगत सिंह एवं उनके मित्रों की शहादत के परिणाम स्वरूप हमें साम्राज्य वाद से तो मुक्ति मिल गई किंतु अभी भी हमारा देश पूंजीवादी व्यवस्था के चंगुल में जकड़ा हुआ है । युवाओं में देशभक्ति की भावना जागृत करने एवं समतामूलक मजबूत राष्ट्र निर्माण के लिए भगत सिंह के आदर्शों को अपनाना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।

गोष्टी के अंत में उपस्थित सदस्यों द्वारा शहीद भगत सिंह, शहीद राजगुरु एवं शहीद सुखदेव को मौन रख कर श्रद्धांजली अर्पित की गई ।




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