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महासमुंद : लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं में नहीं है उत्साह ! क्या केवल मोदी के नाम पर मिलेगी जीत ?

छत्तीसगढ़ में हुए विधानसभा चुनाव में हार के बाद बीजेपी के उत्साह में लगातार गिरावट देखी जा सकती है. कभी पार्टी में सर्वे सर्वा कहे जाने वाले नेता अब ना तो बीजेपी का प्रचार करते दिख रहे है और ना ही पार्टी की आवश्यक गतिविधियों में शामिल हो रहे है.

छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के पहले  कार्यकर्ताओं में इतना आत्मविश्वास था कि उन्हें लगने लगा बीजेपी से पार्टी टिकट किसी भी व्यक्ति को मिलने पर वह आसानी से जीत हासिल कर सकता है. जिसके चलते कई स्थानीय नेता वर्षों तक घुम-घुम कर लगातार जन संपर्क किये और लगातार मिडिया में अपडेट पाते रहे.

विधानसभा टिकट मिलने के पहले कई कार्यकर्ता लगातार अपने आप को संभावित प्रत्याशी बताकर बीजेपी के लिए मुश्किलों का अम्बार खड़ा करते रहे, और अंत में टिकट ना मिलने पर पार्टी के साथ निश्वार्थ भावना से काम करना छोड़ कर कई विधानसभा में कार्यकर्ता अपने गुटों को साथ लेकर पार्टी से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ा और अपनी जीत में कम बीजेपी के हार में अहम् भूमिका निभाई. कई कार्यकर्ता ऐसे भी रहे जिन्हें टिकट ना मिलने पर वे अपने सक्रिय विधानसभा को छोड़कर अन्य विधानसभा में प्रचार के लिए खुद से गए या किसी प्रकार के अंतर्कलह से बचने के लिए पार्टी ने उन्हें भेजा यह एक रहस्य का विषय है.

और अंत में पार्टी ने स्वार्थ से भरे कार्यकर्ताओं को टिकट दिया जहाँ से उनकी हार से  निश्चित हो गई. ऐसा ही एक उदहारण देखने को मिलता है महासमुंद लोकसभा के बसना विधानसभा में जहाँ पार्टी ने पैराशूट प्रत्याशी उतारकर जीत के सपने देख रही थी, प्रत्याशी भी ऐसा था जिसने अपने स्वार्थपूर्ति हेतु विधानसभा के दो ब्लाक में विधानसभा चुनाव से पहले तक  निःशुल्क छात्रों को शिक्षा दी और हार के बाद इस प्रकार अदृश्य हुए की आज की उनके फेसबुक पेज के कवर फ़ोटो पर आज भी बसना विधानसभा से अपने लिए वोट मांगते नजर आते है. इसके साथ उनके निःशुल्क कक्षाएं भी समाप्त हो गई.

अब लोकसभा चुनाव समीप है लेकिन कार्यकर्ताओं में अब भी कोई उत्साह नहीं दिख रहा. कार्यकर्ताओं की नाराजगी भले ही जुबां पर ना आ रही हो लेकिन माहौल से ऐसा प्रतीत होता है कि उनके ह्रदय पर किसी ने आघात किया हो.

सोशल मिडिया में भी महासमुंद लोकसभा में कांग्रेस ज्यादा हावी दिख रही है. हालाकि विधानसभा चुनाव में  कांग्रेस उत्साह और प्रचार दोनों ही बीजेपी से कम रहा लेकिन जीत कांग्रेस को मिली. फिलहाल कुछ लोगों का मानना यह है कि वोट इस प्रत्याशी नहीं बल्कि मोदी के नाम पर पड़ेंगे. और कार्यकर्ताओं के अलावा ऐसे कई लोग है जो पार्टी से जुड़े नहीं है मगर कार्यकर्ताओं से अधिक प्रचार करते नजर आ रहे है. जिसे देखकर लगता है कि यदि महासमुंद लोकसभा से बीजेपी को जीत मिलती है तो केवल मोदी दम पर, कार्यकर्ताओं में वो दम ख़म नजर नहीं आ रहा अब.




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