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डॉ चोपड़ा और भेखलाल की हो सकती है घर वापसी, तो संपत की क्यों नही ! कौन है रोड़ा ?

कल राजनाथ सिंह के बसना आगमन पर बसना विधानसभा से बाग़ी प्रत्याशी संपत अग्रवाल की घर वापसी की अटकलें लगाई जा रही थी. राजनाथ सिंह आये लोगों एवं कार्यकर्ताओं को संबोधित किये मगर संपत अग्रवाल के घर वापसी की कोई बात नहीं हुई.

सूत्रों के अनुसार कुछ कार्यकर्ता संपत अग्रवाल की घर वापसी के ख़िलाफ है, तो कई समर्थन में. बहोत से कार्यकर्ता संपत अग्रवाल के साथ, बीजेपी में घर वापसी की राह देख रहें है. मगर फैसला यहाँ आला कमान लेती है.

गौरतलब है कि खल्लारी से बागी हुए प्रत्याशी भेखलाल साहू और पूर्व विधायक डॉ. विमल चोपड़ा की बीजेपी में घर वापसी हो चुकी है. लोकसभा चुनाव के ठीक पहले इनकी घर वापसी से क्षेत्र के भाजपाइयों में हर्ष व्याप्त है.

घर वापसी के बाद डॉ. विमल चोपड़ा ने कहा कि मैं भाजपा समर्थक हूं और मेरे कार्यकर्ता भी मेरे विचारधारा पर काम करते हैं. आज मैं भारतीय जनता पार्टी में प्रवेश कर लिया हूं और पूरे निष्ठा से भारतीय जनता पार्टी में काम करूंगा.

लेकिन सवाल यहाँ यह है कि जब अन्य बागी कार्यकर्ताओं की बीजेपी में वापसी हो सकती है तो संपत की क्यों नहीं ?  हाल में में हुए विधानसभा चुनाव में बसना विधानसभा से आला कमान द्वारा उतारा गया पैराशूट प्रत्याशी को लोगों ने नाकारा और बीजेपी को तीसरे स्थान पर ला खड़ा किया.

निर्दलीय प्रत्याशी संपत और बीजेपी के प्रत्याशी डी.सी पटेल के बीच भी वोट का अंतर काफ़ी ज्यादा देखने को मिला. जहाँ पूरी पार्टी मिलकर केवल 35 हजार वोट ला पाई जबकि संपत अग्रवाल ने 50 हजार से अधिक मत हासिल किये.    

अपने प्रत्याशी के प्रचार के लिए हेमामालिनी से लेकर रमन सिंह तक आये. मगर अपने प्रत्याशी की जीत तय नहीं कर पाए, इसके बावजूद पार्टी की भ्रान्ति दुर नहीं हुई. शायद कुछ कार्यकर्ताओं को आगामी विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी बनने या बनाने की इच्छा अभी से हो गई है जो कि संपत की घर वापसी के साथ ख़त्म हो सकती है.

संपत अग्रवाल नीलांचल सेवा समिति के अध्यक्ष है जो अपनी समिति से 1 लाख़ सदस्य रखने का दावा करते है. उनकी विचारधारा और भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा भी सामान है. उनकी घर वापसी से बीजेपी के लिए भी फायदेमंद रहेगा और पार्टी के कार्यकर्ता मजबूत होंगे.






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