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कितना हुआ है ग्राम पंचायत अंकोरी का विकास ? क्या इनका चुनाव बहिष्कार उचित है.

लोकतंत्र में मताधिकार ही सबसे बड़ा अधिकार है, लेकिन चुनावी समय में अब चुनाव बहिष्कार की बात आम होने लगी है. लोग भावावेश में मतदान का बहिष्कार तक का निर्णय कर लेते हैं और पांच साल में अपनी सरकार चुनने के लिए मिलने वाले मौके को गंवा देते हैं इससे अधिक गंभीर बात क्या होगी.आखिर लोगों को भी अपने दायित्व को समझना होगा. सब कुछ सरकार पर ही लादना कितना सही है ?

भले ही हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का दावा करें पर लाख प्रयासों के बावजूद लोकतंत्र के प्रति आम आदमी की निष्ठा अभी तक जागरूक नही हो रही है. पिछले दिनों ही सर्वोच्च न्यायालय की एक महत्वपूर्ण टिप्पणी आई कि जो मतदान नहीं करते उन्हें सरकार के खिलाफ कुछ कहने या मांगने का भी हक नहीं है. चुनाव आयोग भी मतदान के प्रति लगातार चलाए जाने वाले केम्पेन के बावजूद मतदान का प्रतिशत कभी शत प्रतिशत नहीं ला पाती है. बहाने या सरकार को कोसने से ज्यादा जरूरी अपने मताधिकार का प्रयोग कर सही व्यक्ति को चुनना है.

चुनाव बहिष्कार का मामला पिछले दिनों बसना विधानसभा के कुछ गाँव में ज्यादा देखने को मिला है हाल ही मैं बसना जनपद के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत अंकोरी में लोगों द्वारा चुनाव बहिष्कार की बातें सामने आ रही है. लोगों की मांग यहाँ प्रधानमंत्री फ़सल बीमा के तहत दी जाने  वाली राशि और जर्जर अवस्था में बसना से पदमपुर रोड की दोहरीकरण की मांग कर रहें है. इसके लिए वे लगातार अपने जनप्रतिनिधियों तक अपनी मांगों को पहुँचा सकते है मगर लोकतंत्र में मतदान का बहिष्कार इन्हें ज्यादा उचित लग रहा है.

ऐसा भी नहीं है कि ग्राम पंचायत अंकोरी में किसी भी प्रकार का कोई विकास कार्य नहीं हुआ है, ग्राम पंचायत अंकोरी में प्रधानमंत्री आवास के तहत बीते 4 वर्षों में कुल 207 आवास गृह में से 174 बन चुके है, बाकि के बचे भी जल्द बनकर तैयार होने वाले है. इसके साथ ही यहाँ शौचालय, 12 लाख की लागत से राजीव गांधी सेवा केन्द्र भवन निर्माण, 1.13 लाख रुपये का नलकूप की बकाया विद्युत बिल भुगतान, विधायक मत से 1 लाख रुपये में डबरी तालाब में पचरी निर्माण, समग्र विकास योजना के तहत 5 लाख रुपए का सी.सी रोड, लगभग 5 लाख रूपये से सामुदायिक भवन का निर्माण और 10 लाख रुपये से शाला आहाता निर्माण.

स्वास्थ बीमा सहित उज्ज्वला जैसी अन्य योजनायों का भी लाभ इन्हें मिला होगा मगर यह जानकारियां ही उपलब्ध हो पाई. देखा जाए तो इन ग्रामीणों ने सरकार द्वारा चलाई जाने वाली योजनाओं का लाभ तो लिए है लेकिन जब इस लोकतंत्र के लिए मतदान की बात आई तो ये बहिष्कार की बातें करने लगे. हलाकि की चुनाव बहिष्कार की बात पूरा गाँव कर रहा है या केवल कुछ लोग यह तो चुनाव के समय पता चलेगा.

पदमपुर रोड के दोहरीकरण की मांग बसना नगर सहित अन्य कई गाँव की भी मांग है. मगर क्या इसके लिए चुनाव का बहिष्कार करना उचित है ?




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