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17 लाख 65 हजार के फर्जीवाड़े में महीने भर से सबूत जुटा रही पुलिस !

देश और व्यक्ति के विकास में भ्रष्टाचार सबसे बड़ा अवरोधक है. गाँव में शौचालय बनने से लेकर रक्षा मंत्रालय जैसे विभाग पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगते आये है. मगर उन आरोपों की केवल जाँच चलती रहती है. जाँच में कभी फाइलें चोरी हो जाती है तो कभी आरोपों के चलते बर्खास्त होने वाला वापस बहाल हो जाता है.

पूर्व में भी बसना थाना अंतर्गत ग्राम पंचायत जगदीशपुर के सरपंच असीम सोना पर FIR दर्ज किये गए थे. शौचालय में हुए भ्रष्टाचार के कारण उन्हें सरपंच पद से बर्खास्त भी होना पड़ा था. लेकिन सबूतों के आभाव में के वे कोर्ट से छूट गए और वापस वहां के सरपंच बन गए. लेकिन ग्रामीणों का अभी भी कहना है कि उन्हें शौचालय के पैसे नहीं मिले.

ताजा मामले में  बसना थाने में FIR की गई है. FIR के महीने भर बाद भी आरोपी पुलिस की गिरफ्त से बहार है.  यह FIR बसना ब्लॉक के अंतर्गत ग्राम पंचायत मोहका में हुए भ्र्ष्टाचार और गबन के मामले की है. जाँच के दौरान ग्राम पंचायत मोहका में सरपंच, उप सरपंच, सचिव, रोजगार सहायक, तकनीकी सहायक सहित आठ लोगों की मिलीभगत से 17.65 लाख रुपये की फर्जीवाड़ा का मामला उजागर हुआ. जांच के बाद जनपद सीईओ ने बसना थाना में सरपंच सहित अन्य आरोपियों पे अपराध पंजीबद्ध कराया.  

ग्राम पंचायत मोहका में सीसी रोड निर्माण, तालाब गहरीकरण और पचरी बनवाने के नाम पर बंदरबांट करने का मामला सामने था. यहां पर मंदिर पारा में शासकीय कार्य के तहत सीसी रोड निर्माण, मनरेगा के तहत गौरटेकिया तालाब में गहरीकरण और पचरी बनवाना था, लेकिन राशि की निकासी कर ली गई और निर्माण कार्य नहीं किया गया.

इतने छोटे से गाँव में इतना बड़ा भ्रष्टाचार करने वाले के ख़िलाफ पुलिस 1 महीने से सबूत ही खोज रही है. मगर अब तक कोई ठोस सबूत दिखाने में नाकाम है.

सरायपाली एसडीओपी राजीव शर्मा कहते है कि सबूतों के आभाव में गिरफ्तारी को लेकर जल्दीबाजी नहीं  की जा रही है. अगर गिरफ्तार कर भी लिया जाता है तो सबूतों के आभाव में कोर्ट से उन्हें जमानत मिल जाएगी. बसना प्रभारी से जल्द से जल्द सबूत जुटा कर गिरफ्तार करने को कहा गया है.






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