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गौरक्षा के लिए संघर्षरत उमेश बिसेन का तस्करों के ख़िलाफ पद यात्रा.

उमेश बिसेन कई वर्षों से गौरक्षा के प्रति संघर्षरत है, गो-धन को लेकर उनकी आस्था, विश्वास और लगन ने छत्तीसगढ़ राज्य का हर व्यक्ति परिचित है. गौरक्षा के प्रति स्वभाव का नतीजा है कि कई बार तस्करों द्वारा झूठे आरोपों में इन्हें फँसाने का प्रयास किया गया. यहाँ तक की धारा 376 जैसे अपराध में भी इन्हें फँसाने की कोशिश की गई. इसके बावजूद आज भी वे बेहिचक गौरक्षा के लिए समर्पित है.

गौपालक परिवार से संबंध होने के कारण अल्पआयु से ही ये गौसेवा में जुड़े रहे जहाँ से इन्हें गौरक्षा के प्रेरणा मिली. जिसके दायित्व का निर्वहन वे आज भी कर रहें है.

गौतस्करी को लेकर छत्तीसगढ़ में सबसे चर्चित जिला है महासमुंद, कभी रात के में अँधेरे डरा धमकाकर तो कभी दिन के उजाले में बेखौफ होकर, तस्करों से अपने हर उस कारनामों को अंजाम दिया जैसा वे चाहते है. कई बार ये तस्कर पकड़े भी गए, मगर लचर कानून व्यवस्था के चलते इनके हौसले चरम पर है.

तस्करों के इस हौसले को तोड़ने और पूर्ण रूप से राज्य में गौतस्करी रोकने का बेड़ा अब उमेश बिसेन ने उठा लिया है. जान से मारने की धमकी मिलने के बावजूद, तस्करों के ख़िलाफ अभियान चलाते हुए कल उन्होंने छतीसगढ़ राज्य के अंतिम छोर सरायपाली से अपनी पद यात्रा की शुरुआत कर उन्हें संदेश दे दिया है.

यह पद यात्रा सरायपाली से लेकर रायपुर तक चलेगी जहाँ वे मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल से मिलकर गौ तस्करी को रोकने की बात करेंगे. उमेश बिसेन ने बताया कि किसी भी तरह से इस तस्करी को रोकना होगा, महासमुंद के सीमांत क्षेत्रों में अब अंतराष्ट्रीय स्तर पर गौतस्करी की जा रही है. और इस तस्करी से मिलने वाले पैसों को राष्ट्र के ख़िलाफ उपयोग में लाया जा रहा है.




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