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मोदी के नाम पर बची छत्तीसगढ़ में बीजेपी की डूबती नैया, क्या कहेंगे चुन्नीलाल की जीत को ? रमन नहीं ये मोदी है !

महागठबंधन पूर्ण रूप से धाराशायी देश में फ़िर एक बार मोदी सरकार बनने के साथ छत्तीसगढ़ में बीजेपी की ऐसी वापसी हुई है मानो यहाँ बीजेपी की डूबती नैया बच गयी. विधानसभा चुनाव में हार के बाद लोगों का मानना था कि देश में भले ही मोदी की वापसी हो सकती है लेकिन छत्तीसगढ़ में बीजेपी की हार तय है.

शुरू में यह मुकाबला 8-3 का बताया जा रहा था, मगर एग्जिट पोल के नतीजों में बीजेपी बढ़त में दिखाया गया और लगभग सभी एग्जिट पोलों पर ओसतन 6 से 7 सीट बीजेपी को मिलने का अनुमान लगाया जा रहा था. और जब नतीजे आये तो बीजेपी ने 9 सीटों पर अपने राष्ट्रवाद और विकास का परचम लहरा दिया.

बीजेपी ने महासमुंद से चुन्नीलाल को टिकट दे दो दिया, मगर कार्यकर्ताओं में उनकी जीत को लेकर शंका की स्थिति हमेशा बनी रही. विधानसभा चुनाव में बागी कार्यकर्ताओं के चले जाने से क्षेत्र में बीजेपी के प्रचार से कांग्रेस का प्रचार कहीं ज्यादा रहा. ये ठीक वैसा था जैसा कि जैसे विधानसभा चुनाव में बल्ले-बल्ले  तो बीजेपी की थी लेकिन जीत गई कांग्रेस.

कांग्रेस ने महासमुंद सीट से धनेन्द्र साहू को टिकट दे दिया जिनका राजनैतिक अनुभव इतना ज्यादा था कि वे पहले 5 बार विधायक भी रह चुके है और वर्त्तमान में भी विधायक है, और क्षेत्र में साहू समाज का आकलन करते हुए धनेन्द्र साहू को टिकट दे दिया, जिसके बाद बीजेपी ने खल्लारी के पूर्व विधायक चुन्नीलाल साहू को टिकट दे दिया गया जिसे की जातिगत समीकरण माना जा रहा था.     
बसना के ग्राम गढ़फुलझर में जब चुन्नीलाल साहू पहुंचे थे तो उन्होंने वहां कहा था कि मुझे बीजेपी से टिकट मिलेगा ऐसी उम्मीद नहीं थी मगर किस्मत देखिये इन्हें टिकट भी मिली और जीत भी गए. जहाँ विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने से कार्यकर्ता नाराज थे शायद उनके मन में भी कहीं ना कहीं ये बात थी कि रमन नहीं ये मोदी है.

राज्य में नमो की ऐसी सुनामी चली की कुछ बागी वापस आये और जो नहीं आ पाए उन्होंने भी बाहर से मोदी के लिए खूब दमखम लगाया. ना केवल कार्यकर्ता जो कार्यकर्ता नहीं थे वे भी बीजेपी के प्रचार में जुड़ते चले गए. कांग्रेस से जुड़े हुए ऐसे कई लोग है जिनके प्रधानमंत्री आवास बने और आवास के बहार उस आवास की लिखी हुई जानकारी यह कहती है कि विकास तो हो रहा है भले ही आप प्रचार कांग्रेस के लिए करें. मगर कहीं ना कहीं प्रचार तो बीजेपी का ही हो रहा है.

इस क्षेत्र की जनता ने कांग्रेस को शायद इसलिए चुना की हो सकता है वो रमन से बेहतर विकास करें. मगर कांग्रेस क्षेत्र की समस्या भूल “राफेल”, “चौकीदार चोर”, “अभिव्यक्ति की आजादी का खतरा”, “15 लाख” जैसी बातों में उलझाये रखा.

कर्जमाफी से जीत के बाद इस लोकतंत्र में रहने वाले मतदाताओं को शायद कांग्रेस रिश्वतखोर समझने लगी और 72 हजार देकर न्याय करने की बात कही. मगर लोगों की सोच देखिये ना 15 लाख मांगे ना कहा कि हमें 72 हजार चाहिए. उल्टा 15 लाख वाले सवाल पर कांग्रेस की ऐसी बेज्जती हुई की मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय की नैया ले डुबी.

गाँव में तो मानों मोदी की ऐसी लहर दिखाई देती है कि वहां प्रचार के लिए किसी को जाने की आवश्यकता नहीं राष्ट्रवाद तो अब लोगों के रग-रग में समां चूका है. इसके बाद सामने आती है विकास की एक ऐसी तस्वीर जो आपको भावूक भी कर सकती है. बसना के समीप गाँव के एक व्यक्ति ने बताया कि कुछ भी हो जाए वोट तो वो मोदी को ही देगा. जिसका कारण उनसे संजीवनी कोष के माध्यम से मिले उसके बेटे की जिंदगी को बताया. और ऐसे लोग जब प्रचार करते है तो उन्हें जवाब भी दे पाना मुश्किल होता है.

खैर अब कांग्रेस को यह समझना होगा कि राज्य की जनता ने उन्हें यहाँ के विकास के लिए चुना है, कई वर्षों से पूरा क्षेत्र यहाँ पानी के लिए तरस रहा है. जो कि आने वाले समय में मुसीबतें ला सकता है.




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