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बिजली जाए तो जाए शिकायत की तो ले जा सकती है पुलिस !

वेब मोर्चा के संपादक दिलीप शर्मा को आधी रात को घर से लेजाकर थाने में बैठा दिए जाते है, और कारण सामने आता है कि 50 गांवों में 48 घण्टे से ब्लैक आउट के खबर चलाने पर वेब मोर्चा न्यूज़ के संचालक दिलीप शर्मा ख़िलाफ बिजली विभाग के एक अधिकारी सुनील साहू द्वारा रिपोर्ट दर्ज करवाया गया है.

दिलीप शर्मा ने 8 जून को अपने वेब पोर्टल में खबर प्रकाशित किया था कि "लड़खड़ाई बिजली व्यवस्था, महासमुंद में 50 से अधिक गांवों में बीते 48 घंटे से अंधेरा" जिसमे उन्होंने बिजली विभाग के अधिकारियों के रवैये पर लिखा था कि “अधिकांश बिजली कर्मचारी और अफसरों का मोबाइल स्वीच ऑफ है. और जिनका चालू भी है वे फोन रिसीव नहीं कर रहे हैं. महासमुंद ब्लॉक के पटेवा, कोमाखान, बागबाहरा, तेंदूकोना, पिथौरा सहित ग्रामीण अंचलों में बिजली आपूर्ति बेहद खराब है”.

और यह बात शायद बिजली विभाग के अधिकारियों को अच्छी नहीं लगी क्योंकि प्रदेश के मुख्यमंत्री लगातार बिजली समस्या को लेकर बिजली अफसरों पर निलंबन नहीं बर्खास्त करने की चेतावनी दे चुके है. जिसका नतीजा जशपुर जिले में देखने को मिला जहाँ कलेक्टर निलेशकुमार महादेव क्षीरसागर ने विद्युत वितरण कम्पनी के कनिष्ठ अभियंता राकेश रंजन पाण्डे कांसाबेल को काम में लापरवाही बरतने के कारण तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है.

एक पत्रकार के ख़िलाफ अधिकारियों का इस प्रकार का रवैया दर्शाता है कि मानो अब पत्रकारो की स्वतंत्रता पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाने का प्रयास किया जा रहा है.

वहीं बिजली कटौती को लेकर बीते दिनों सोशल मिडिया में अफवाह फैलाने के आरोप में एक व्यक्ति को बुधवार को गिरफ्तार कर लिया गया. उसके खिलाफ आईपीसी के तहत राजद्रोह की धारा 124 ए और सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार की धारा 505/1/2 के तहत कार्रवाई की गई और इसके साथ ही छत्तीसगढ़ देश का ऐसा पहला राज्य बन गया जहां ऐसी कार्रवाई की गई.

एक तरफ मुख्यमंत्री काम में लापरवाही बरतने के लिए निलंबित करने का आदेश देते है, और कहीं लापरवाही की शिकायत पर ही राजद्रोह का मुकदमा दर्ज कर दिया जाता है. और अब तो दूसरों के हित में कलम उठाने वाला भी पुलिस थाने में बैठा दिया जाता है. बस यही रह गई है हमारी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता...      

वैसे तो राज्य में मुख्यमंत्री बनते ही भूपेश बघेल ने अपने निजी सलाहकारों को निर्देश दिया, जल्द से जल्द पत्रकार सुरक्षा कानून पर बने ड्राप्ट का अध्ययन किया जाए और अगले विधानसभा सत्र में इस कानून पर विधयेक लाकर पारित कराया जाए.  मगर क्या होगा तब तक ?




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