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विधि विरूद्ध संघर्षक बालकों ने मूवी देख कर नशे को किया अलविदा

बाल संप्रेषण गृह में तंबाकू नशा उन्मूलन की सराहनीय पहल

शासकीय बाल संप्रेषण गृह में लगी नशा उन्मूलन वीडियो पाठशाला

वाद-विवाद, चित्रकारी और प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताओं के जरिए तंबाकू के दुष्परिणाम बतला कर  विधि विरूद्ध संघर्षक बालकों ने दिया नशा उन्मूलन का संदेश

महासमुंद 15.02.2020/ कुछ समय पहले तक बाल आवासियों की कारगुजारियों को लेकर सुर्खियों में रहने वाले शासकीय बाल संप्रेषण गृह (बालक) का माहौल अब बदल सा गया है। पदाधिकारियों ने यहां के विधि विरूद्ध संघर्षक बालकों को सुधारने के लिए बरौडाबजार स्थित बाल संप्रेषण गृह (बालक) के नवीन भवन में नशा उन्मूलन की अनुकरणीय पहल शुरू की है। बता दें कि हाल ही में महिला एवं बाल विकास विभाग ने स्वास्थ्य विभाग की ओर पत्र प्रेषित कर नशा उन्मूलन कार्यशाला आयोजित करने का प्रस्ताव भेजा था।

इसी तारतम्य में 14 फरवरी 2020 को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ एसपी वारे के निर्देशानुसार जिला कार्यक्रम प्रबंधक संदीप ताम्रकार के मार्गदर्शन एवं गैर संचारी रोग कार्यक्रम की जिला सलाहकार अदीबा बट्ट की अगुआई में शासकीय सामाजिक कार्यकर्ता असीम श्रीवास्तव द्वारा शासकीय बाल संप्रेषण गृह में तंबाकू नशा उन्मूलन जागरूकता कार्यशाला आयोजित की गई। सर्व प्रथम बालकों ने स्मार्ट टीवी पर तंबाकू एवं अन्य नशे के दुष्परिणाम संबंधी चलचित्र संदेश देखे।

इसके बाद उन्हें मनोवैज्ञानिक तरीके से स्वयं पर नियंत्रण रखने के दौरान नशे की तलब होने पर सुधार गृह में उपलब्ध घरेलू उपाय जैसे “विटीमिन सी“ से भर-पूर “नीबू और आंवले“ जैसी खट्टी चीजों सहित सौंफ, लौंग भुजी हुई अजवाइन और इलायची आदि का सेवन करने की सलाह दी गई। साथ ही तनाव से दूर रहने के तरीके बताए गए और संप्रेषण गृह से बाहर निकलने के बाद पुनः नशे के आकर्षण में आने की बजाए अपने आस-पास के लोगों को भी इसके चंगुल से निकालने के लिए बतौर एंटी टोबैको वॉलेंटियर अपनी भुमिका सुनिश्चित कर नई पहचान बनाने को लक्षित किया गया।

दूसरी पाली में बालकों के बीच “एफजीडी यानी कि फोकस ग्रुप डिस्कशन“ करवाया गया। सभी ने नशा छोड़ने के विषय पर अपने-अपने विचार रखे। इस दौरान कुछ बालकों ने चित्रकारी की तो कुछ ने प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में अपना हुनर दिखा कर तंबाकू नशा-मुक्ति के लिये प्रेरक संदेश प्रेषित किया। जिन्हें कोट्पा अधिनियम 2003 के चेतावनी बोर्ड के साथ सुधार गृह की दीवारों में चस्पा भी किया गया। इस अवसर पर शासकीय बाल संप्रेषण गृह (बालक) की सलाहकार मेघा शर्मा द्वारा उत्साहवर्धन के लिए विजयी रहे प्रतियोगियों को तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम द्वारा प्रदत्त शील्ड, मैडल्स, टिफिन बॉक्स, कंपास बॉक्स और कलर्स देकर पुरस्कृत किया गया। लेखापाल सह भंडार रक्षक गोविंद कुमार साहू ने बताया कि कार्यशाला में 18 वर्ष से कम आयु के 17 विधि विरूद्ध संघर्षक बालकों ने भाग लिया। इस दौरान बाल संप्रेषण गृह के बावर्ची केवल धु्रव ने सराहनीय सहयोग प्रदान किया।

उल्लेखनीय है कि जिला कार्यकम अधिकारी महिला एवं बाल विकास एवं प्रभारी अधिकारी बालक संप्रेषण गृह श्री मनोज सिन्हा ने भी इस तरह की कार्यशालाओं को जरूरी बताते हुए व्यवस्थागत सहयोग प्रदान करने की सहमति दी है। वहीं, राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के जिला नोडल अधिकारी डॉ अनिरुद्ध कसार के मुताबिक दोनों विभागों के समन्वय एवं सहमति से जागरूकता कार्यशालाओं को प्राथमिकता के आधार पर आयोजित किया जाएगा।

मैडम मेरी जांच कीजिये मैं नशा छोडूंगा

कार्यशाला के प्रभावी होने का असर तत्काल प्रभाव से दिखा। तीन बालक मौके पर उपस्थित मनोवैज्ञानिक सलाहकार श्रीमती मेद्या ताम्रकार के समक्ष पहुंचे और स्व-स्फूर्त हो कर “स्मोकराइजर यानी धूम्रपान दुष्प्रभाव मापक उपकरण“ से अपनी जांच कराई। नाम गोपनीय रखने की शर्त पर श्रीमती ताम्रकार ने बताया कि उनमें से दो बालकां ने गांजे की लत होने की बात स्वीकार की, लेकिन बाल संप्रेषण गृह में नशा युक्त सामग्री उपलब्ध नहीं होने से उनमें अपने-आप ही नियंत्रण की स्थिति बन रही है। ऐसे ही यहां प्रवेश के पूर्व रोजाना एक कट्टा मतलब करीब तीन दर्जन बीड़ी पी जाने वाले एक अन्य बालक को भी संप्रेषण गृह से बाहर निकलने के बाद नशा छोड़ने के लिये तीन महीने तक डायरी अंकन करते रहने की समझाइश दी गई है।




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