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तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों को बोनस, बीमा और छात्रवृत्ति योजना का लाभ दिलाएं: सुश्री उइके

राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने आज यहां राजभवन में वन विभाग के अधिकारियों की बैठक ली और तेंदूपत्ता संग्राहकों की बीमा योजना, छात्रवृत्ति योजना, बोनस राशि तथा अन्य विषयों की समीक्षा की। बैठक में वन विभाग के प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री राकेश चतुर्वेदी, राज्यपाल एवं श्रम विभाग के सचिव श्री सोनमणि बोरा और छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ के प्रबंध संचालक श्री संजय शुक्ला उपस्थित थे। राज्यपाल ने कहा कि तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों को अभी वर्तमान में किसी बीमा योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। उन्हें बीमा योजना का लाभ दिया जाए, ताकि उनके परिवार की सुरक्षा हो सके और अन्य परिस्थितियों में उन्हें सहायता मिल सके।

राज्यपाल ने कहा कि संग्राहक परिवारों के बच्चों के लिए लंबित छात्रवृत्ति योजना की राशि के संबंध में मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए कार्य करना होगा और ऐसी व्यवस्था बनानी होगी कि बच्चों को छात्रवृत्ति की राशि सीधे और समय पर मिल सके, ताकि उनका अपनी पढ़ाई में उपयोग कर सकें। राज्यपाल ने तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों को लंबित प्रोत्साहन राशि (बोनस) के विषय पर चर्चा करते हुए कहा कि इस समय कोविड-19 के कारण तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों को भी अन्य आय का जरिया नहीं होने के कारण आर्थिक आवश्यकताएं हैं। बोनस मिलने से उनकी आवश्यकताएं पूर्ण होंगी। उन्होंने बोनस की राशि जल्द जारी करने के निर्देश दिए।

राज्यपाल सुश्री उइके ने बीजापुर, सुकमा इत्यादि क्षेत्रों में आदिवासियों द्वारा तेंदूपत्ता के पारिश्रमिक के नगद भुगतान किये जाने के विषय पर कहा कि उन क्षेत्रों में बैंकिंग प्रणाली मैदानी क्षेत्रों जैसी नहीं है। साथ ही वहां नेटवर्क की स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण सीधे खाते में भी राशि स्थानांतरित किये जाने में कठिनाई हो रही है। अतः आदिवासियों को जो व्यवस्था सुविधाजनक हो, उसके अनुरूप ही राशि प्रदान करें। राज्यपाल ने उनके द्वारा गोद लिए गए सल्फीपदर गांव में आवश्यक सुविधा मुहैया कराने के निर्देश दिए और कहा कि वन विभाग द्वारा अन्य विभागों से समन्वय करके वहां के निवासियों की मांग पूरी करें। वहां पर आदिवासियों द्वारा जो काली मिर्च की खेती की जा रही है, उसके लिए आवश्यक सहयोग प्रदान करें।

सुश्री उइके ने सामुदायिक वन संसाधन अधिकार की प्रक्रिया में तेजी लाने को कहा। राज्यपाल ने कहा कि वन क्षेत्रों में पाये जाने वाले लघु वनोपजों की विपणन की अच्छी व्यवस्था की जाए और उन्हें उपयुक्त बाजार दिलाएं, जिससे वनोपजों की वास्तविक कीमत मिले। उनके द्वारा संग्रहित वन उत्पादों को प्रत्यक्ष रूप से मार्केट से लिंक करें। आदिवासियों को खादी ग्रामोद्योग आयोग तथा अन्य संस्थाओं से जोड़कर ऋण सहायता दिलाया जाए। साथ ही उनके प्रशिक्षण की व्यवस्था की जानी चाहिए। आदिवासी युवाओं के लिए स्वरोजगार मिले, इसके लिए उन्हें कौशल उन्नयन का प्रशिक्षण दिया जाए, ताकि वे अपने पैरों पर खड़ा होकर आत्मनिर्भर भारत अभियान का हिस्सा बन सके।

प्रधान मुख्य वन संरक्षक चतुर्वेदी ने बताया कि सामुदायिक वन संसाधन अधिकार के विषय में अनुसूचित जाति एवं जनजाति विभाग नोडल विभाग है। इस संबंध में वन विभाग जनजाति विभाग के साथ समन्वय बनाए हुए हैं और विभाग द्वारा पूरा सहयोग प्रदान किया जाएगा। इस संबंध में वन विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के प्रशिक्षण का एक चक्र पूरा हो चुका है।

शुक्ला ने बताया कि पूर्व में तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिए प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना/प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना संग्राहक के मुखिया के लिए संचालित थी, जिसमें केन्द्र सरकार द्वारा 50 प्रतिशत और शेष 50 प्रतिशत राज्य सरकार और लघु वनोपज संघ द्वारा सहायता दी जाती थी। यह योजना एक वर्ष के लिए थी। भारतीय जीवन बीमा निगम केन्द्रीय कार्यालय द्वारा सूचित कर दोनों योजना बंद कर दी गई है। इसके स्थान पर छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ द्वारा तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिए श्रम विभाग के अन्तर्गत असंगठित कामगार अधिनियम के तहत पंजीकृत कर लाभ दिलाया जाएगा। साथ ही छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ द्वारा तेंदूपत्ता संग्राहक सदस्यों के लिए जो बीमा, भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा करवाया जाता था, अब उसे सीधे संग्राहकों को दिये जाने का निर्णय लिया गया है। छात्रवृत्ति के संबंध में जिला यूनियनों को जानकारी प्राप्त हो चुकी है। आगामी 15 दिवस में छात्रवृत्ति की ऑनलाइन भुगतान की कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने बताया कि राज्य में अब 31 लघु वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी की जा रही है। देश में चालू सीजन के दौरान वनोपजों के संग्रहण के मामले में छत्तीसगढ़ प्रथम स्थान में है।




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