महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री शिवाजीराव पाटिल निलंगेकर का निधन
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री शिवाजीराव पाटिल निलंगेकर का बीमारी के कारण बुधवार को यहां निधन हो गया। वह 89 वर्ष के थे।
उनके परिवार के सूत्रों ने बताया कि निलंगेकर का यहां एक निजी अस्पताल में निधन हुआ।
वह जुलाई में कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए थे लेकिन बाद में स्वस्थ हो
गए थे और जांच में संक्रमित न पाए जाने के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी
दे दी गई थी।
मराठावाड़ा क्षेत्र के लातुर से वरिष्ठ कांग्रेस नेता निलंगेकर जून 1985 से मार्च 1986 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे।
निलंगेकर ने अपनी बेटी और उसकी दोस्त ‘‘की मदद के लिए’’ 1985 में एमडी
परीक्षा के नतीजों में छेड़छाड़ के आरोप लगने के कारण मुख्यमंत्री पद से
इस्तीफा दे दिया था।
वह जुलाई में कोविड-19 वैश्विक महामारी की चपेट में आए और उन्हें इलाज के लिए पुणे ले जाया गया।
पुणे के अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि उन्हें दिल का दौरा पड़ा और साथ ही उनके गुर्दे ने अचानक काम करना बंद कर दिया।
पूर्व
मुख्यमंत्री दिवंगत वसंतदादा पाटिल के इस्तीफा देने के बाद निलंगेकर
मुख्यमंत्री बने थे। वह वसंतदादा पाटिल के करीबी सहयोगी थे जिन्होंने उनकी
जानकारी के बिना प्रभु राउ को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नियुक्त किए जाने के
विरोध में इस्तीफा दे दिया था।
उस समय निलंगेकर राज्य विधायिका के किसी भी सदन के सदस्य नहीं थे।
1991 में उन्हें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया और वे एक साल तक इस पद पर रहे।
वह
2003 में सुशील कुमार शिंदे के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल में राजस्व मंत्री
बने। 2014 उन्हें अपने पोते संभाजी पाटिल निलंगेकर से हार का सामना करना
पड़ा जो उस समय निलंगा विधानसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार थे।
उससे पहले 1962 से शिवाजीराव पाटिल निलंगेकर निलंगा सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे थे।
संभाजी को देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री बनाया गया।
निलंगेकर
के निधन पर शोक जताते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और राजस्व मंत्री
बालासाहेब थोराट ने कहा कि उनके निधन के साथ ही राज्य ने एक ऐसा नेता खो
दिया जिसके पास विकास और अनुशासन की दूरदृष्टि थी।
उपमुख्यमंत्री
अजित पवार ने कहा कि निलंगेकर ऐसे नेता थे जिन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन के
साथ ही राज्य के विकास में हिस्सेदारी निभाई। उनके निधन से राज्य ने दो
पीढ़ियों को जोड़ने वाला मार्गदर्शक खो दिया।