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“कोरोना से संघर्ष किसी के लिए भी अच्छा अनुभव नहीं लेकिन अस्पताल की देखभाल, सेवा और व्यवस्थित इलाज याद रहेगा जिंदगी भर”

माना कोविड अस्पताल में उपचार से ठीक हुए राजधानी के दो युवाओं ने साझा किए अपने अनुभव, डॉक्टर से लेकर सफाई कर्मी तक को दिया धन्यवाद

“संक्रमण के खतरों के बीच काबिले-तारीफ है कोरोना वारियर्स का जज्बा, हर पल बढ़ाया मनोबल”

प्लाज्मा दान के लिए भी तैयार हैं दोनों युवा

कोरोना को मात देकर माना कोविड अस्पताल से हाल ही में डिस्चार्ज हुए शहर के दो युवाओं ने वहां कोविड-19 से अपने संघर्ष के अनुभव साझा किए हैं। दोनों युवाओं ने अस्पताल की व्यवस्था और वहां मरीजों की सेवा में लगे स्टॉफ की खुले दिल से सराहना की है। उन्होंने अच्छी सुविधाओं, इलाज, देखभाल और लगातार मनोबल बढ़ाने के लिए अस्पताल प्रबंधन, डॉक्टरों व नर्सों के साथ ही भोजन देने वालों, सफाई कर्मियों तथा एंबुलेंस कर्मियों को तहेदिल से धन्यवाद दिया है। कोविड-19 के मरीजों के इलाज के लिए ये दोनों प्लाज्मा दान के लिए भी तैयार हैं।

मौदहापारा थाने में पदस्थ निरीक्षक  यदुमणि सिदार माना अस्पताल से 28 जुलाई को डिस्चार्ज हुए हैं। अभी वे दस दिनों के होम-आइसोलेशन में हैं। कोरोना से अपनी लड़ाई का अनुभव साझा करते हुए वे कहते हैं कि जब कोरोना पाजिटिव्ह आने की खबर मिली तो वे घबरा गए थे। एक पल के लिए तो यकीन भी नहीं हुआ क्योंकि उनमें कोरोना संक्रमण के कोई लक्षण नहीं थे। ड्यूटी के दौरान उन्होंने खुद को संक्रमण से बचाने पूरी सावधानी बरती थी। अस्पताल में भर्ती होने के साथ ही सकारात्मक माहौल मिलने लगा। परिजनों, दोस्तों और मेडिकल क्षेत्र से जुड़े परिचितों से बातचीत ने भी उनका हौसला बढ़ाया। यूं तो कोरोना से संघर्ष किसी के लिए भी अच्छा अनुभव नहीं है, लेकिन अस्पताल की देखभाल, सेवा और व्यवस्थित इलाज जिंदगी भर याद रहेगा।

अस्पताल में इलाज के दौरान के अपने अनुभव के बारे में  सिदार कहते हैं कि वहां सारी चीजें बहुत व्यवस्थित थीं। समय पर दवाईयां, नाश्ता और खाना मिलता था। साफ-सफाई भी अच्छी थी। डॉक्टरों व नर्सों के साथ ही बांकी स्टॉफ का भी व्यवहार बेहद सहयोगात्मक, दोस्ताना और मनोबल बढ़ाने वाला था। इतनी अच्छी देखभाल और सेवा के लिए मैं आजीवन उन सबका शुक्रगुजार रहूंगा। 19 जुलाई को भर्ती होने के बाद दस दिनों के इलाज के बाद मुझे 28 जुलाई को अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया। अभी मैं दस दिनों के होम-आइसोलेशन में हूं। इसके पूरा होते ही मैं ड्यूटी ज्वाइन कर लूंगा।

माना कोविड अस्पताल में इलाज के बाद गुढ़ियारी के  विक्रांत पाण्डेय 6 अगस्त को डिस्चार्ज हुए हैं। एक निजी कंपनी में सहायक प्रबंधक  पाण्डेय को वहां 29 जुलाई को भर्ती किया गया था। अस्पताल में इलाज के अपने अनुभव साझा करते हुए वे कहते हैं – “पहले दिन से ही मेरा अच्छा इलाज और देखभाल किया गया। अस्पताल का माहौल बेहद सकारात्मक था। अच्छी व्यवस्था के साथ ही वहां ड्यूटी पर तैनात सभी अधिकारियों, कर्मचारियों और मेडिकल स्टॉफ का व्यवहार अच्छा था। मैं अस्पताल में मरीजों की सेवा और उपचार कर रहे सभी लोगों को नमन करता हूं जो संक्रमण के खतरों के बीच अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा रहे हैं। पीपीई किट की भीषण गर्मी झेलते अस्पताल में भर्ती हर मरीज को कोरोना मुक्त करने में लगे हैं।“

 पाण्डेय कहते हैं – “कोरोना महामारी के इस दौर में डॉक्टरों और मेडिकल टीमों की सेवा भुलाई नहीं जा सकती। संक्रमण के खतरों के बीच भी उनका जज्बा काबिले-तारीफ है। ईश्वर को किसी ने नहीं देखा है। वे भी पीपीई किट में छिपे इन लोगों जैसे ही होंगे।“ वे कहते हैं कोविड-19 पीड़ितों के इलाज में किसी भी तरह की सहायता के लिए वे हमेशा तैयार हैं। इस काम से उन्हें बेहद खुशी होगी। (कोरोना को मात देने वाले इन दोनों व्यक्तियों ने अपना नाम और तस्वीर जाहिर करने की सहमति दी है।)




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