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न्यायालय ने जेके प्रशासन से कहा: कुछ इलाकों में 4जी इंटरनेट सेवा बहाल करने की संभावनायें तलाशे

उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को जम्मू कश्मीर प्रशासन से कहा कि केन्द्र शासित प्रदेश के कुछ इलाकों में 4जी इंटरनेट सेवा बहाल करने की संभावना तलाशी जाये। जम्मू कश्मीर प्रशासन ने केन्द्र शासित प्रदेश में नये उपराज्यपाल की नियुक्ति होने के तथ्य के मद्देनजर निर्देश प्राप्त करने के लिये कुछ समय देने का अनुरोध किया।

जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल पद से जी सी मुर्मू द्वारा बुधवार को त्याग पत्र देने के बाद मनोज सिन्हा को उनके स्थान पर नया उपराज्यपाल नियुक्त किया गया । मुर्मू को बृहस्पतिवार को नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक नियुक्त किया गया है।

जम्मू कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म करके उसे दो केन्द्र शासित प्रदेशों-जम्मू कश्मीर और लद्दाख में विभक्त करने की केन्द्र सरकार द्वारा पिछले साल अगस्त में की गयी घोषणा के बाद से यहां उच्चगति वाली इंटरनेट सेवा निलंबित है।

न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान प्रशासन से कहा कि उपराज्यपाल बदले जाने से कुछ नहीं बदला है, क्योंकि इस मसले पर गौर करने के विशेष समिति है।

पीठ घाटी में 4जी इंटरनेट सेवा बहाल करने के मसले पर न्यायालय के 11 मई के आदेश का अनुपालन नहीं किये जाने के कारण केन्द्रीय गृह सचिव और जम्मू कश्मीर के मुख्य सचिव के खिलाफ अवमानना कार्यवाही के लिये गैर सरकारी संगठन फाउण्डेशन फॉर मीडिया प्रोफेशनल्स की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

पीठ ने संक्षिप्त सुनवाई के बाद इस मामले को 11 अगस्त के लिये सूचीबद्ध कर दिया लेकिन यह भी स्पष्ट किया कि इसे सुनवाई के लिए अब और स्थगित नहीं किया जायेगा।

सुनवाई शुरू होते ही प्रशासन की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस केन्द्र शासित प्रदेश में नये उपराज्यपाल की नियुक्ति हुयी है, इसलिए उन्हें आवश्यक निर्देश प्राप्त करने के लिये कुछ समय चाहिए।

इस पर पीठ ने कहा कि उपराज्यपाल बदले जाने से वहां की स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ है क्योंकि इस विषय पर विशेष समिति पहले से ही काम कर रही है।

पीठ ने कहा कि न्यायालय यह नहीं कह सकता कि वहां की जमीनी स्थिति कैसी है लेकिन इस मामले में और विलंब नहीं होना चाहिए।

पीठ ने मेहता से कहा कि वह आवश्यक निर्देश प्राप्त करें कि क्या कुछ क्षेत्रों में 4जी इंटरनेट सेवा बहाल की जा सकती है।

मेहता ने कहा कि इस मसले को लटकाये रखने की कोई मंशा नहीं है क्योंकि शीर्ष अदालत के आदेश पर अक्षरश: अमल किया जा चुका है और इस बारे मे भी वह आवश्यक निर्देश प्राप्त करेंगे।

पीठ ने मेहता से कहा कि उन्हें इस बारे में भी स्पष्टीकरण देना होगा कि पूर्व उपराज्यपाल ने किन परिस्थितियों में कथित रूप से यह कहा था कि 4जी इंटरनेट सेवा बहाल की जा सकती है ओर इस बयान का क्या आधार था।

याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने प्र्रशासन द्वारा इस मामले में बार बार समय मांगे जाने का मुद्दा उठाया।

इस पर पीठ ने अहमदी से दो दिन और इंतजार करने का आग्रह करते हुये कहा कि उन्हें भी इस बदलाव की जानकारी होगी।

पीठ ने कहा कि वैसे देखा जाये तो इस मामले का निस्तारण किया जा सकता है लेकिन न्यायालय यह समझना चाहता कि मुर्मू ने किन परिस्थितियों में कथित बयान दिया था।

मेहता ने कहा कि इससे पहले उन्होंने इस याचिका पर अपना जवाब दाखिल किया था लेकिन इसके बाद उपराज्यपाल ने और इंटरव्यू दिया था।

इससे पहले, 28 जुलाई को केन्द्र और जम्मू कश्मीर प्रशासन ने न्यायालय से कहा था कि वे जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मुर्मू और भाजपा नेता राम माधव के उन बयानों की सत्यता का पता लगायेगा जिनके अनुसार घाटी में 4जी इंटरनेट सेवा बहाल की जा सकती है। केन्द्र ने इसके साथ ही गैर सरकारी संगठन की याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिये कुछ समय देने का अनुरोध किया था।

केंद्र सरकार और जम्मू कश्मीर प्रशासन ने 16 जुलाई को न्यायालय को सूचित कियाा था कि इस केंद्र शासित प्रदेश में 4जी इंटरनेट सेवा बहाल करने के मुद्दे पर शीर्ष अदालत के निर्देश के अनुसार एक विशेष समिति का गठन किया जा चुका है।

अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने जम्मू कश्मीर में आतंकवादी घटनाएं बढ़ने का दावा करते हुये कहा था कि प्रशासन के अधिकारियों के विरुद्ध कोई अवमानना का मामला नहीं बनता क्योंकि उन्होंने शीर्ष अदालत के 11 मई के निर्देशों का पालन किया है।

न्यायालय ने 11 मई को जम्मू कश्मीर में 4जी इंटरनेट सेवाओं को बहाल करने की याचिकाओं पर विचार करने के लिए केंद्रीय गृह सचिव की अध्यक्षता में ‘विशेष समिति’ के गठन का आदेश दिया था।




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