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गंभीर कुपोषित बच्ची सुशीला के सुपोषण की ओर बढ़े कदम : लॉकडाउन में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के प्रयासों से बिन मां की बच्ची को मिला नया जीवन

मुख्यमंत्री सुपोषण मिशन कई नन्हे मुन्हों के लिए नया जीवन लेकर आया है। बच्चों की समुचित देखभाल और उचित पोषण से कई गंभीर कुपोषित बच्चों के कदम सुपोषण की ओर बढ़े हैं। इन्ही बच्चों में जगदलपुर नानगुर की 6 माह की मासूम बच्ची सुशीला भी है। बाल विकास परियोजना जगदलपुर ग्रामीण में सेक्टर नानगुर के आंगनबाड़ी केन्द्र चेचालगुर में पंजीबद्ध गर्भवती माता श्रीमती नीलावती ने 25 मार्च 2020 को सुशीला को जन्म दिया था। जन्म के एक सप्ताह बाद ही सुशीला की मां श्रीमती नीलावती की तबीयत खराब होने से मृत्यु हो गई। जन्म के समय सुशीला का वजन 1 किलो 800 ग्राम था जो गंभीर कुपोषण की श्रेणी में था। ऐसी स्थिति में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता श्रीमती जमुना दरियो के सूझबुझ और प्रयास से गंभीर कुपोषित बच्ची सुशीला को मात्र 6 माह में मध्यम कुपोषण की श्रेणी में लाकर उसे नया जीवन दिया है।

श्रीमती नीलावती की मृत्यु के पश्चात् आंगनबाड़ी कार्यकर्ता श्रीमती दरियो के द्वारा नन्ही सुशीला की हालात जानने प्रति सप्ताह गृह भेंट करने लगी और वजन लेते हुए, सुशीला के पिता को औरं उसके परिवार के सदस्यों को सुशीला के देखरेख के संबंध में समझाईश देते रही है। श्रीमती जमुना दरियो द्वारा परिवार के सदस्यों को बताया गया कि कमजोर नवजात शिशु को कंगारू मदर देखभाल की जरूरत है। कंगारू मदर के तहत् शिशु को कपड़े पहनाए बिना शरीर से लगाकर रखने, उसे पालक के बदन के साथ सुरक्षित ढंग से बांध के या संभाल कर सटा के रखा जाता है,इसमें इस बात का ध्यान रखा जाता है कि शिशु को सांस लेने में दिक्कत न हों। साथ ही शिशु को टोपी व मोजे पहनाने की भी सलाह दी गई। परिवार को समझाया गया कि मां का दूध बच्चे के लिए सबसे अच्छा होता है पर सुशीला की मां न होने के कारण उसे बोतल से नियमित दूध पिलाया जाए जिससे उसकी सेहत बनी रहे। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता जमुना द्वारा परिवार के सदस्यों को बोतल को अच्छे से धोने एवं साफ-सफाई रखने तथा दूध के अलावा अन्य किसी भी प्रकार का तरल पदार्थ नहीं दिये जाने की विशेष रूप से समझाईस दी गई।

मुख्यमंत्री सुपोषण मिशन ’’हरिक नानीबेरा (खुशहाल बचपन)’’ अंतर्गत आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं पर्यवेक्षक द्वारा सुशीला की सतत् निगरानी की गई और बच्चे को लेक्टोजेन उपलब्ध कराया जिससे बच्चे में माँ के दूध के अभाव में पोषण की कमी ना हो। साथ में स्वास्थ्य परीक्षण और टीकाकरण करवाया गया। परिणामस्वरूप वर्तमान में अभी 16 सितम्बर 2020 को सुशीला का वजन बढ़कर 5 किलोग्राम हो गया जो कि मध्यम कुपोषण की श्रेणी में है। सुशीला की पोषण स्थिति में निरंतर सुधार होता जा रहा है। लॉकडाउन के दौरान भी बिना माँ की बच्ची की समय पर उचित देखभाल से नया जीवन मिला।




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