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राष्ट्रीय पोषण माह 2020 : हर घर में हो पोषण वाटिका का विकास : ‘मोर घर मोर बाड़ी विषय‘ पर वेबिनार आयोजित

महिला एवं बाल विकास द्वारा यूनिसेफ के सहयोग से पोषण माह के दौरान डिजिटल प्लेटफार्म के माध्यम से विभिन्न गतिविधियों का आयोजन कर जागरूकता और व्यवहार परिवर्तन का प्रयास किया जा रहा है। इसी कड़ी में 21 सितम्बर को डिजिटल मीट के माध्यम से ’मोर घर मोर बाड़ी’ विषय पर ऑनलाइन वेबिनार आयोजित किया गया। इसमें विभागीय संचालक श्रीमती दिव्या उमेश मिश्रा,नेहरू युवक केन्द्र के संचालक  श्रीकान्त पाण्डे सहित तकनीकी विशेषज्ञ डॉ. मंजीत बल कौर ने अपने विचार साझा किये। वेबमीट में सभी जिलों के विभागीय मैदानी अमले ने भी भाग लिया।

श्रीमती दिव्या मिश्रा ने कहा कि सर्वांगीण विकास के लिए स्वास्थ वातावरण का होना आवश्यक है। राज्य में किये जा रहे प्रयास से कुपोषण में कमी आई है,लेकिन इसमें तेजी से बदलाव के लिए इसके विरूद्ध जन आंदोलन के रूप में मिशन मोड में काम करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि पोषण माह के दौरान हमें जनभागीदारी को विकसित करने का एक सुअवसर मिला है। कुपोषित मां से कुपोषित बच्चे की संभावना बढ़ जाती है। बालिका कुपोषित होती है तो यह चक्र चलता रहता है। इसे दूर करने के लिए जरूरी है कि हमारी थाली पौष्टिकता और पोषक तत्वों के विभिन्न रंगों से भरी हो। इसके लिए व्यक्तिगत जागरूकता और व्यवहार परिवर्तन जरूरी है। पोषण के लिए लोगों को जागरूक करने साथ लोगों को समर्थ बनाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जी द्वारा शुरू की गई नरवा गरवा घुरवा बारी योजना का अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है। योजना से लोग आर्थिक रूप से ही नहीं शारीरिक रूप से सशक्त हो रहे हैं और इससे जनसमुदाय भी आपस में जुड़ रहे हैं।

नेहरू युवक केन्द्र के संचालक  श्रीकान्त पाण्डे ने कहा कि फूड हैबिड को बदले बिना कुपोषण से लड़ना मुश्किल है। इसके लिए युवक युवतियों को पेड़-पौधे लगाने के लिए आगे आना होगा। वह नेहरू युवक केन्द्र के साढ़े चार हजार युवक-युवती क्लब के माध्यम से कुपोषण के विरूद्ध काम करेंगे। उन्होंने 5 पौधे प्रत्येक युवक-युवतियों को लगाने का भी लक्ष्य दिया है। वंचित तबकों के लिए काम कर रहीं रहीं डॉ.मनजीत कौर बल ने कहा कि कोविड कुपोषण को प्रभावित कर रहा है, इसलिए कुपोषण के विरूद्ध हमें दोगुनी ताकत से आना पड़ेगा। बाड़ी का उद्देश्य बेचने के उद्देश्य से ही नहीं उपभोग के उद्देश्य से भी होना चाहिए। उन्होंने पारे-मोहल्ले में पोषण बाड़ी का पुर्नजीवन और लाभ को प्रात्साहित करने पर बल दिया। इसके साथ ही सालों से सामाजिक श्रेत्र में काम कर रहे  सरोज महापात्र ने सिंचाई एवं प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन और स्वसहायता समूहों को मोटिवेट करने पर प्रकाश डाला। अनुसंधान आधारित काम कर रहे  परेश कुमार ने सामाजिक संप्र्रेक्षण और लोगों में गतिशीलता लाने के बारे में समझाया। यूनिसेफ के  अभिषेक सिंह ने व्यवहार परिवर्तन पर लोगों को प्रेरित करने पर अपने विचार रखे।




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