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निजी चिकित्सक धड़ल्ले से कर रहे हाई डोज एंटीबायोटिक का उपयोग, कूड़ेदान में मिली खाली शीशियां..

जगन्नाथ यादव. सरायपाली से करीब 15 किमी दूर ग्राम बिजातीपाली के एक कच्चे मार्ग में बड़े अस्पतालों में गंभीर मरीजों के लिए उपयोग किए जाने वाले हाई डोज एंटीबायोटिक इंजेक्शन की खाली शीशी सैकड़ों की संख्या में सड़क के किनारे कूड़ेदान में देखी गई. मोहल्लेवासियों ने केंदुवा के एक निजी चिकित्सक द्वारा उक्त खाली शीशीयों को फेंके जाने की बात कही है. उक्त इंजेक्शन से मरीजों की जान-जाने का भी खतरा रहता है और शरीर में कई तरह के गंभीर साइड इफेक्ट होने की भी संभावना भी रहती है. लेकिन ग्रामीण अंचल के एक निजी चिकित्सक धड़ल्ले से उसका उपयोग कर रहे हैं, जबकि उक्त इंजेक्शन को लगाने का अधिकार सरायपाली के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में भी नहीं है.


ग्रामीण सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार हाल ही में बिजातीपाली ग्राम पंचायत के कच्ची सड़क में मुरूमीकरण का कार्य हो रहा है. उसी मार्ग के किनारे एक पीपल के पेड़ के नीचे काफी मात्रा में हाई डोज एंटीबायोटिक इंजेक्शन सेप्ट्रीजोन एंड टेजोबेक्टम फिनेसिफ टी 1.125 जी, की खाली शीशी देखी गई. जब स्वास्थ्य विभाग से इस इंजेक्शन के बारे में जानकारी ली गई तो पता चला कि यह हाई डोज इंजेक्शन का उपयोग सरायपाली अंचल में नहीं होता. उक्त इंजेक्शन का उपयोग मेकाहारा या सुपर स्पेशलिस्ट अस्पतालों में गंभीर मरीजों के लिए किया जाता है. यहाँ तक कि उक्त इंजेक्शन को लगाने का अधिकार सरायपाली सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में भी नहीं है. ऐसी स्थिति में ग्रामीण अंचल में हाई डोज इंजेक्शन की शीशी पाया जाना मरीजों के लिए खतरे से कम नहीं है. उक्त इंजेक्शन से गुर्दा, लीवर फेल होने एवं शरीर के कई हिस्सों में भी साईड इफेक्ट होने का खतरा रहता है. यहाँ तक कि मरीजों की जान भी जा सकती है. ग्रामीणों से पूछने पर उन्होंने क्षेत्र के एक निजी चिकित्सक के द्वारा उक्त शीशी फेंकने की बात कही गई. जब उस चिकित्सक की जानकारी ली गई तो उसका क्लिनिक सील था, लेकिन उसके द्वारा क्लिनिक के बाहर ही मरीजों का इलाज किया जा रहा था.


उक्त चिकित्सक रमेश पटेल से पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि इस इंजेक्शन का उपयोग उस क्षेत्र के सभी निजी चिकित्सक करते हैं और विशेष रूप से टायफाइड, बुखार व घाव सुखाने के लिए इसका उपयोग किया जाता है. जब उनसे चिकित्सकीय योग्यता के बारे में पूछा गया तो उन्होंने अपनी डिग्री बीईएमएस बताया और कहा कि यह इंजेक्शन लगाना उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है, बावजूद लगाते हैं. उन्होंने बताया कि बीईएमएस के अंतर्गत वे एलोपैथिक का कोई भी इलाज नहीं कर सकते, यहाँ तक कि पैरासिटामोल भी देने का अधिकार नहीं है. वहीं बिजातीपाली के कच्चे मार्ग पर बड़ी मात्रा में इंजेक्शन की खाली शीशी फेंकने की बात पर उन्होंने कहा कि बहुत दिनों से फेंक रहे हैं और उस क्षेत्र के सभी डॉक्टर वहाँ पर ही फेंकते हैं.

उनका क्लीनिक सील होने के बारे में बताया कि दो माह पूर्व कोरोना पॉजिटिव मरीज का इलाज किया गया था, इसलिए सील है. इस संबंध में बीएमओ डॉ अमृत रोहेल्डर से चर्चा करने पर उन्होंने कहा कि उक्त इंजेक्शन को बड़े अस्पतालों जैसे मेकाहारा, सुपर स्पेशलिस्ट को ही लगाने का अधिकार है. सरायपाली स्वास्थ्य केन्द्र में भी उसे नहीं लगा सकते. केंदुवा के बिजातीपाली में इस तरह के इंजेक्शन की खाली शीशी मिलना गंभीर विषय है. इसकी जाँच करवाई जाएगी और उक्त शीशीयों को जब्ती के लिए भी स्वास्थ्यकर्मियों को निर्देशित किया गया है. वह इंजेक्शन किस मेडिकल से लिया जाता था, इसकी भी जाँच होगी. उक्त इंजेक्शन रखने के लिए रिकार्ड मेंटेन करता है और ड्रग इंस्पेक्टर इसकी जाँच करते हैं. सामान्य सर्दी, खाँसी, बुखार में यह इंजेक्शन नहीं लगा सकते. मौके पर जाकर निरीक्षण व जाँच करने के उपरांत जिस डॉक्टर के द्वारा यह इंजेक्शन लगाया गया है, उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी




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