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पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा- आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए स्वच्छ और विश्वसनीय ऊर्जा की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है

केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस तथा इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आज दिल्ली में इंडियन ऑयल के कॉम्पैक्ट सुधारक संयंत्र का उद्घाटन किया। उन्होंने आज शहर में दिल्ली परिवहन निगम-डीटीसी के राजघाट बस डिपो-1 में बहुप्रतीक्षित हाइड्रोजन-मिश्रित सीएनजी (एचसीएनजी) पर दिल्ली की बसों को प्रायोगिक रूप से चलाने का शुभारंभ किया। परिचालन क्षेत्र के लिए स्वच्छ ईंधन के रूप में हाइड्रोजन को बढ़ावा देने की भारत की खोज में, हाइड्रोजन-मिश्रित एचसीएनजी उत्सर्जन में कमी और आयात का विकल्प प्राप्त करने के लिए एक उत्कृष्ट अंतरिम प्रौद्योगिकी के रूप में उभर रही है। सीएनजी चलित मौजूदा वाहनों को हाइड्रोजन मिश्रित सीएनजी ईंधन से चलाने के लिये बुनियादी ढांचे में न्यूनतम संशोधनों की ज़रूरत है। दिल्ली सरकार के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

इस अवसर पर प्रधान ने कहा कि 130 करोड़ से अधिक भारतीयों को स्वच्छ और विश्वसनीय ऊर्जा की आपूर्ति सुनिश्चित करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि भारत समाधान विकसित करने में एक विजेता के रूप में उभरेगा और आने वाले दशकों में दुनिया इसके लिये भारत की प्रशंसा करेगी। मंत्री ने उल्लेख किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वच्छ ऊर्जा वाले भविष्य के लिए प्रतिबद्ध हैं जिसका पर्यावरण पर न्यूनतम प्रभाव है। इंडियन ऑयल की पहल की सराहना करते हुए, पेट्रोलियम मंत्री ने कहा, "मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि इंडियन ऑयल के वैज्ञानिकों ने अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में प्रगति कर हाइड्रोजन-मिश्रित सीएनजी के उत्पादन के लिए एक नवीन संक्षिप्त सुधार तकनीक विकसित की है।" भारत में ऊर्जा उपयोग के परिवर्तन को सुविधाजनक बनाने में हाइड्रोजन के महत्व पर विस्तार से उल्लेख करते हुए, प्रधान ने कहा, "हाइड्रोजन एक खास ईंधन है, जो ऊर्जा देते समय, उत्सर्जन में स्वच्छ पानी का उत्पादन करता है। इसके अलावा, इसके कई अन्य गुण भी हैं। जैविक ईंधन के माध्यम से ऊर्जा क्षेत्र के साथ ग्रामीण क्षेत्र को शामिल करने का कार्य जारी है। पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि यह पायलट परियोजना अद्वितीय होगी। जैविक ईंधन के उपयोग से न केवल भारत को, बल्कि पूरी दुनिया को फायदा होगा।

दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने न केवल भारत में, बल्कि पूरे विश्व में इस तरह की विशेष तकनीक विकसित करने के इंडियन ऑयल के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस परियोजना को इंडियन ऑयल, इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड-आईजीएल, दिल्ली इंटीग्रेटेड मल्टी-मॉडल ट्रांजिट सिस्टम- डीआईएमटीआईएस, दिल्ली परिवहन निगम-डीटीसी और दिल्ली परिवहन विभाग ने सुसंगत वातावरण में निष्पादित किया है। उन्होंने परीक्षण को सफल बनाने के लिए दिल्ली सरकार के पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया, ताकि यह ईंधन जल्द ही पूरी दिल्ली और पूरे भारत में व्यावसायिक रूप से अपनाया जा सके। गहलोत ने सभी हितधारकों की टीम को काम पूरा करने के लिये शुभकामनाएँ दी। गहलोत ने इसका परीक्षण समाप्त होने के बाद न केवल डीटीसी बसों के लिए, बल्कि निजी बसों के लिए भी इसका उपयोग करने की बात कही।

पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय सचिव, तरुण कपूर ने कहा कि एचसीएनजी भविष्य का ईंधन है। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में एचसीएनजी का उत्पादन तो अधिक मात्रा में हो रहा है लेकिन इसकी व्यावसायिक व्यवहार्यता मुख्य चुनौती है। कपूर ने उल्लेख किया कि भारत में एचसीएनजी का उत्पादन बहुत सस्ता होगा और इससे गैस आयात पर बोझ कम होगा।

इस अवसर पर इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष- एस एम वैद्य ने कहा कि नवीनतम तकनीकी विकास, हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था की दिशा में देश का दृष्टिकोण और प्रतिबद्धता अच्छी तरह से विकसित होगी। हाइड्रोजन रिसर्च में इंडियन ऑयल के अग्रणी काम के बारे में बात करते हुए, वैद्य ने कहा, "इंडियन ऑयल ने हाइड्रोजन पहलों को बढ़ावा देने के लिए शुरुआती कदम उठाए हैं। हमने सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (एसआईएएम) और एमएनआरई के साथ एचसीएनजी पर एक शोध कार्यक्रम शुरू किया है। इंडियन ऑयल ने दो हाइड्रोजन और एचसीएनजी वितरण स्टेशन स्थापित किये हैं।: एक फरीदाबाद में हमारे अनुसंधान और विकास कैंपस में और दूसरा हमारे रिटेल स्टेशन द्वारका, दिल्ली में।" उन्होंने उम्मीद जताई कि इस दिशा में और अधिक भागीदारी बनेगी।


इस अवसर पर एक ऑडियो वीडियो फिल्म भी दिखाई गई। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण) प्राधिकरण के अध्यक्ष भूरेलाल का संदेश भी इस अवसर पर दिखाया गया।

इंडियन ऑयल के पेटेंट एच-सीएनजी निर्माण तकनीक पर एक संक्षिप्त जानकारी-

विश्व स्तर पर, सीएनजी (कम्प्रेस्ड नेचुरल गैस) में सम्मिश्रण के लिए आवश्यक हाइड्रोजन को पानी के इलेक्ट्रोलिसिस के माध्यम से उत्पादित किया जाता है, इसके बाद उच्च दबाव के साथ इसे सीएनजी के साथ सम्मिश्रण किया जाता है। इस प्रक्रिया से उच्च लागत वाली आधारभूत सीएनजी की तुलना में ईंधन अर्थव्यवस्था में लाभ से बचत होगी।

प्रचालन क्षेत्र के लिए ईंधन के रूप में हाइड्रोजन का उपयोग करने के लिए भारत की निरंतर खोज में, हाइड्रोजन मिश्रित सीएनजी (जिसे एच-सीएनजी कहा जाता है) उत्सर्जन में कमी और आयात का विकल्प प्राप्त करने के लिए एक उत्कृष्ट अंतरिम ईंधन के रूप में उभरा है। बिना किसी महत्वपूर्ण संशोधन के

मौजूदा आईसी इंजन को एच-सीएनजी पर चलाया जा सकता है और न्यूनतम ढाँचागत उन्नयन के साथ, मौजूदा सीएनजी ईंधन से चलने वाले वाहनो में भी इसका उपयोग किया जा सकता है।

एच-सीएनजी मिश्रणों का उत्पादन, ऊर्जा-गहन इलेक्ट्रोलिसिस प्रक्रिया और उच्च दबाव सम्मिश्रण लागत के बगैर सीधे सीएनजी से किया जा सकता है।

● लचीली और मजबूत प्रक्रिया कम-से-कम गंभीर परिस्थितियों में और कम दबाव में एच-सीएनजी का उत्पादन किया जा सकता है।

● यह सीएनजी की इनपुट गुणवत्ता की तुलना में 4 प्रतिशत से 5 प्रतिशत तक उच्च उपज वाली एच-सीएनजी मिश्रण प्रदान करता है।

● उपरोक्त प्रक्रिया द्वारा एच-सीएनजी उत्पादन की लागत पारंपरिक भौतिक सम्मिश्रण की तुलना में लगभग 22 प्रतिशत सस्ती है।






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