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क्या जमीनी खनिज ख़त्म हो गयी ? समुद्र में खनिजों की तलाश का अभियान चलाएगा भारत, 3-4 महीनों में शुरू होगा काम

भारत जल्द ही गहरे समुद्र में खनिजों की तलाश (Deep Ocean Mission) के लिए एक बड़ा अभियान चलाएगा. इस बात की जानकारी पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (Ministry of Earth Sciences) के सचिव एम राजीवन ने दी. इस अभियान के तहत पानी के नीचे खनिज, ऊर्जा और समुद्री विविधता की तलाश की जाएगी. बता दें कि समुद्र के बड़े हिस्से का अब तक इस्तेमाल नहीं हो पाया है. एम राजीवन के मुताबिक इस काम के लिए जरूरी विभागों से मंजूरी लेने का काम फिलहाल चल रहा है. उम्मीद की जा रही है कि अगले तीन-चार महीनों में ये अभियान शुरू कर दिया जाएगा. उन्होंने ये भी कहा कि ये एक गेम चेंजिंग मिशन साबित हो सकता है.

4 हज़ार करोड़ का खर्च
भारत को इस अभियान में 4 हज़ार करोड़ रुपये से ज्यादा का खर्चा आ सकता है. अभियान से भारत के विशाल इकोनॉमिक जोन के प्रयास को बढ़ावा मिलेगा. राजीवन ने कहा कि मिशन के तहत गहरे समुद्री गतिविधियों के लिए खास तकनीक का विकास भी किया जाएगा. इसके लिए इसरो और डीआरडीओ जैसे संगठनों की मदद भी ली जाएगी. इस मिशन के तहत मानव पनडुब्बियों का विकास भी किया जाएगा.

बेहद खास है ये मिशन
भारत का ये मिशन हिंद महासागर में देश की मौजूदगी को भी मजबूत करेगा. फिलहाल ऐसे समुद्री मिशन में चीन, कोरिया और जर्मनी जैसे देश ही करते हैं. पिछले सप्ताह चीन ने मरियाना में खड़ी अपनी नई मानवीय खोजी पनडुब्बी की लाइव फुटेज दिखाई थी. ये चीन के इस मिशन का हिस्सा था. कहा जा रहा है कि समुद्र में खोज अभियान चलाने का फैसला बेहद अहम है. 

2016 में भारत ने किया था करार
बता दें कि भारत ने साल 2016 में इंटरनेशनल सीबेड अथॉरिटी के साथ 15 साल का करार किया था. ये करार हिंद महासागर में पॉली-मैटेलिक सल्फाइड्स (PMS) की तलाश करने के लिए है. इससे भारत को एक खास इलाके में समुद्री कानून के हिसाब से PMS की खोज करने के एक्सक्लूसिव अधिकार मिल गए हैं. आईएसए ने भारत को 10 हजार किलोमीटर में 15 साल तक PMS की खोज करने की मंजूरी दी है.

सरकार खनिज बचाने को लेकर कुछ योजनाएं और भी शामिल करे तो बेहतर होगा क्यूंकि पृथ्वी की हालत से हम सभी परिचित है, अर्थव्यवस्था तगड़ा करना और जनता तक विकास पहुंचाने के कई तरीके है, फिलहाल में जमीनी खनिज पहले की तुलना कितनी कम हो गयी है.





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