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वित्तीय प्रबंधन के मामले में राष्ट्रीय स्तर की तुलना में छत्तीसगढ़ बेहतर स्थिति में : केंद्र यदि छत्तीसगढ़ के हक के 18 हजार करोड़ रुपए दे देता तो कर्ज लेने की जरूरत ही नहीं पड़ती

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज विधानसभा में वित्तीय वर्ष 2021-22 के आय-व्ययक पर हुई सामान्य चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि कोरोना संक्रमण की चुनौतियों के बावजूद छत्तीसगढ़ का वित्तीय प्रबंधन राष्ट्रीय स्तर की तुलना में बेहतर स्थिति में है। अगले वर्ष हमारी आर्थिक स्थिति और भी बेहतर होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर जीडीपी में 7.7 प्रतिशत की कमी अनुमानित है, जबकि छत्तीसगढ़ में 1.7 प्रतिशत कमी का अनुमान है। इसी तरह राष्ट्रीय स्तर पर प्रति व्यक्ति आय में 5.41 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है, जबकि छत्तीसगढ़ में मात्र 0.14 प्रतिशत की कमी अनुमानित है। राजस्व प्राप्ति के ब्याज भुगतान के प्रतिशत में भी छत्तीसगढ़ बेहतर स्थिति में है। जहां केंद्र के स्तर पर ब्याज भुगतान राजस्व प्राप्तियों का 35 प्रतिशत है, वहीं छत्तीसगढ़ में यह अनुपात मात्र 8 प्रतिशत है। केंद्रीय बजट में अगले वर्ष लिया जाने वाला शुद्ध ऋण कुल बजट का 26 प्रतिशत है, जबकि छत्तीसगढ़ में यह 14 प्रतिशत है। केंद्रीय बजट 2021-22 में राजस्व प्राप्तियों में 11.5 प्रतिशत की कमी अनुमानित है, जबकि छत्तीसगढ़ की राजस्व प्राप्तियां गत वर्ष के बराबर ही अनुमानित हैं। भूपेश बघेल ने कहा- कोरोना आपदा के समय जब देश और दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं में गिरावट आई है, छत्तीसगढ़ में हमारे प्रयासों से इस वर्ष तुलनात्मक रूप से हम कम प्रभावित हुए हैं।

केंद्रीय बजट में वित्तीय घाटा जीडीपी का 9.5 प्रतिशत और अगले वर्ष 6.4 प्रतिशत अनुमानित है। छत्तीसगढ़ के बजट के पुनरीक्षित अनुमानों में यह इस वर्ष 6.5 प्रतिशत और अगले वर्ष 4.5 प्रतिशत अनुमानित है, जो केंद्र से इस वर्ष 03 और अगले वर्ष 02 प्रतिशत कम है। केंद्र का राजस्व घाटा इस वर्ष जीडीपी का 7.5 प्रतिशत और अगले वर्ष 5.1 प्रतिशत अनुमानित है, जबकि हमारा राजस्व घाटा इस वर्ष 3.5 प्रतिशत और अगले वर्ष मात्र 01 प्रतिशत अनुमानित है। इस प्रकार राज्य का राजस्व घाटा भी केंद्र से इस वर्ष और अगले वर्ष 04 प्रतिशत कम है। इस वर्ष और अगले वर्ष में ये दोनों ही घाटे केंद्र से राज्य को मिलने वाले राजस्व में भारी कमी (12 हजार 132 करोड़) और जीएसटी क्षतिपूर्ति (3109 करोड़) अनुदान के बजाय ऋण के रूप में देने के कारण है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि यदि जीएसटी नहीं लगता तो हम वैट में राशि वसूल कर सकते थे। जीएसटी में वसूल किए गए करों का 50 प्रतिशत हिस्सा केंद्र को जाता है और 43 प्रतिशत राज्यों को देने का प्रावधान है। उत्पादक राज्य होने के कारण छत्तीसगढ़ को इसमें भारी घाटा उठाना पड़ रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने गरीब आदमी को अपने बजट के केंद्र में रखा है। हमने पिछली सरकार के सिस्टम को एलीट ओरिएंटेड से कॉमन मैन ओरिएंटेड कर दिया है। हम लोग तो डाउन टू अर्थ हैं। हमारी

सरकार में छत्तीसगढ़ के 17 लाख 96 हजार किसानों का 8734 करोड़ 50 लाख रुपए का कर्ज माफ किया।

कृषि, उद्योग और सेवा क्षेत्र में भी छत्तीसगढ़ की स्थिति राष्ट्रीय स्तर से बेहतर है। देश में कृषि क्षेत्र में 3.4 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है, वहीं छत्तीसगढ़ में 4.61 प्रतिशत की वृद्धि हुई, इसमें हम केंद्र से बेहतर स्थिति में हैं। उद्योग क्षेत्र में केंद्र सरकार माइनस 9.6 प्रतिशत पर रही, जबकि छत्तीसगढ़ में इस कमी को हम माइनस 5.28 प्रतिशत पर रोकने में सफल रहे। इसी तरह सेवा क्षेत्र में देश में माइनस 8.8 प्रतिशत की गिरावट रही, जबकि छत्तीसगढ़ में सेवा क्षेत्र में 0.75 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। श्री बघेल ने कहा कि वर्ष 2021-22 में केंद्र सरकार का डेब्ट जीएसडीपी रेश्यो 62.22 प्रतिशत है, जबकि छत्तीसगढ़ के लिए ये अनुमान केवल 22.29 प्रतिशत है। इसी प्रकार केंद्र का इन्टरेस्ट पेमेंट और रेवेन्यू रिसीप्ट का रेश्यो अनुमानित 45 प्रतिशत है, जबकि छत्तीसगढ के लिए ये रेश्यो 8. 16 प्रतिशत है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा लगभग 18 हजार करोड़ रुपए की राशि नहीं दी गई, इस कारण ऋण लेना पड़ा। छत्तीसगढ़ में वर्ष 2019-20 में 63 हजार 147 करोड़ रुपए का ऋण रहा जो सकल घरेलू उत्पाद का 18.03 प्रतिशत है। जबकि वर्ष 2020-21 के लिए अब तक 72 हजार 12 करोड़ रुपए का ऋण लिया है, जो सकल घरेलू उत्पादन का 20.5 प्रतिशत है।

भूपेश बघेल ने कहा कि विभिन्न विभागों को बजट आबंटन में किसी तरह की कमी नहीं की गई है। लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के बजट में पिछली सरकार ने वर्ष 2018-19 में 3445 करोड़ रुपए का प्रावधान किया था, जबकि हमने वर्ष 2020-21 में 3998 करोड़ रुपए और वर्ष 2021-22 में 4088 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के बजट में वर्ष 2018-19 में 3358 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था, जबकि वर्ष 2021-22 में 3592 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में आदिवासी आबादी 30 प्रतिशत है, लेकिन हमने वर्ष 2021-22 के बजट में अनुसूचित जनजाति क्षेत्र के लिए 34 प्रतिशत, अनुसूचित जाति हेतु 13 प्रतिशत और सामान्य क्षेत्र के लिए 53 प्रतिशत राशि का प्रावधान किया है। इसी तरह सामाजिक क्षेत्र के लिए 38 प्रतिशत, सामान्य क्षेत्र में 23 प्रतिशत और आर्थिक क्षेत्र में 39 प्रतिशत बजट प्रावधान किया गया है।

मुख्यमंत्री ने केंद्र और राज्य सरकार के बजट की तुलना करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने कृषि के बजट में गत वर्ष की तुलना में लगभग 2.03 प्रतिशत की वृद्धि की, जबकि छत्तीसगढ़ में कुल बजट का लगभग 09 प्रतिशत कृषि के लिए प्रावधानित किया गया, जो लगभग 9 हजार करोड़ रुपए है। इसी तरह केंद्र सरकार ने स्वास्थ्य विभाग के बजट में गत वर्ष की तुलना में लगभग 7843 करोड़ रुपए की कटौती की, जबकि हमने गत वर्ष की तुलना में 100 करोड़ रुपए बढ़ाया है। केंद्र सरकार ने ग्रामीण विकास के बजट को 21 हजार 709 करोड़ रुपए कम कर दिया है, जबकि हमने अपने बजट का लगभग 09 प्रतिशत 8828 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है।

भूपेश बघेल ने कहा कि समर्थन मूल्य पर धान बिक्री के लिए इस साल 21 लाख 52 हजार किसानों ने पंजीयन कराया, जिनमें से 95 प्रतिशत किसानों ने धान बेचा। उन्होंने कहा कि यह सरकार किसानों की सरकार है, हम किसानों के हित में काम करते रहेंगे। केंद्र सरकार के लगातार अड़ंगे के बावजूद राजीव गांधी किसान न्याय योजना में 5703 करोड़ रुपए का प्रावधान इस बार के बजट में किया गया है। बघेल ने कहा कि पिछली सरकार में 60 से 70 लाख मीटरिक टन धान की खरीदी होती थी, और वे 24 लाख मीटरिक टन चावल एफसीआई को देते थे। हमने 92 लाख मीटरिक टन धान की खरीदी की है, हमें एफसीआई को 60 लाख मीटरिक टन चावल देने की अनुमति केंद्र द्वारा मिलनी चाहिए। मुख्यमंत्री ने बारदानों की कमी के संबंध में कहा कि राज्य सरकार रायगढ़ की जूट मिल को प्रारंभ करने के लिए प्रयासरत है। छत्तीसगढ़ में यदि कोई जूट मिल लगाना चाहता है, तो उनका स्वागत है। औद्योगिक क्षेत्र में पूंजी निवेश के संबंध में उन्होंने कहा कि पिछले सरकार ने 93 हजार करोड़ रुपए के एमओयू किए थे, लेकिन वास्तविक निवेश मात्र 02 हजार करोड़ रुपए का हुआ। हमारी नयी औद्योगिक नीति के कारण 154 एमओयू हुए, जिनमें 56 हजार करोड़ रुपए का पूंजीनिवेश संभावित है। उन्होंने कहा कि देश में पहली बार चिडफंड कंपनियों से 16 हजार निवेशकों के पैसे वापस दिलवाए गए।

वनअधिकार मान्यता पत्रों के वितरण के संबंध में उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने 12 साल में 3.87 लाख पट्टे वितरित किए थे। हमने निरस्त किए गए पट्टों का पुनर्परीक्षण किया। व्यक्तिगत और सामुदायिक वन अधिकार मान्यता पत्र के माध्यम से 46 लाख एकड़ वन भूमि पर अधिकार दिलाया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि वनोपज की खरीदी में छ्त्तीसगढ़ पूरे देश में अग्रणी राज्य है। कोरोना काल में देश में खरीदी गई वनोपजों का 99 प्रतिशत छत्तीसगढ़ में खरीदा गया। वर्तमान स्थिति में भी छत्तीसगढ़ की देश के कुल संग्रहित लघु वनोपजों में भागीदारी 72.5 प्रतिशत बनी हुई है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने तेंदूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक दर ढाई हजार रुपए प्रति मानक बोरा से बढ़ाकर 4000 रुपए प्रति मानक बोरा कर दी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के कारण कुपोषण में 25.9 प्रतिशत कमी आई है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार हमारी प्राथमिकता है। साथ ही चाहे सड़क-पुल-पुलिया की बात हो, या प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना की बात हो, इनके निर्माण में कमी नहीं आने दी गई है। उन्होंने कहा कि रेत के अवैध उत्खनन और अवैध परिवहन पर राज्य सरकार द्वारा तत्परता से कार्यवाही की जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि शराब बंदी की नीति विभिन्न राज्यों की नीतियों का अध्ययन कर सबकी सहमति से बनाई जाएगी। उन्होंने बताया कि वर्ष 2020-21 में शराब से प्राप्त राजस्व में पिछले साल की तुलना में 17 प्रतिशत और खपत में 38.4 प्रतिशत की कमी हुई है। उन्होंने कहा कि गोधन न्याय योजना के माध्यम से राज्य सरकार ने खेती में सुधार, गौ माता की सेवा और लोगों को रोजगार दिलाने की व्यवस्था करने की पहल की है। उन्होंने कहा कि 200 से ज्यादा गोठान आत्मनिर्भर बन चुके है, हमारा लक्ष्य सभी गोठानों को स्वावलंबी बनाने का है। गोठानों में 63 हजार वर्मी-टांके भरे हुए हैं, प्रति टांका लगभग 15 क्विंटल के मान से वर्मी कंपोस्ट तैयार होने का अनुमान है।





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