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राज्य स्तरीय आंकलन की योजना हुई फेल शिक्षा विभाग की खुली पोल

छत्तीसगढ़ में शिक्षा विभाग के द्वारा कक्षा 1 ली से 8 वी तक दिनाक 9 दिसम्बर से 14 दिसम्बर तक राज्य स्तरीय आंकलन के लिए दिशा निर्देश सिर्फ कागजों में ही दिखा, जबकि धरातल में दिखने के बजाय ये योजना रसातल में चली गई।

शिक्षा विभाग के अधिकारी अपनी पोल छुपाने के लिए एड़ी चोटी एक कर दिए किन्तु मामला दबा नही पाया। छत्तीसगढ़ के कई जिलों से आई ख़बरानुसार प्रश्न पत्र स्कूल में छात्र की दर्ज संख्या के अनुरूप मिले ही नही, स्कूल के शिक्षक प्रश्न पत्र कम आने के कारण शिक्षक फ़ोटो कापी कराने के भागम भाग करते नजर आए।

कई जगहों पर फ़ोटो कापी की ब्यवस्था न होने पर ब्लेक बोर्ड पर प्रश्नों को लिखकर परीक्षा ली गई । दूरस्थ अंचल पर प्रश्न पत्रों की कमी की वजह से परीक्षा हो ही नही पाई। कुछ जगहों पर विषय अनुसार प्रश्न जिस विषय का पेपर होना था अन्य विषय के पर्चे मिले इन सब कारणों से शिक्षको और छात्रो को निराशा ही हाथ लगी साथ ही परीक्षा की गोपनीयता पर सवाल खड़े हो रहे है।

इस तरह के घोर लापरवाही के जिम्मेदार कौन? इस तरह विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कब तक? क्या शासन प्रशासन परीक्षा जैसे संवेदनशील मामले की गोपनीयता भंग करने वाले अधिकारियों पर कार्यवाही करेगी? या फिर इसी तरह आगे भी लापरवाही का दंश आगामी भविष्य में बच्चो को झेलना पड़ेगा। चूक कहा किसकी ? यह विचारणीय है।




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