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मिचेवाड़ा में हुआ कोलांग महोत्सव, आदिवासी संस्कृति का हुआ प्रदर्शन

दुर्गूकोंदल के ग्राम मिचेवाड़ा में कोडेकुर्से सर्किल अंतर्गत दो दिवसीय कोलांग महोत्सव का आयोजन किया गया। प्रथम दिवस समाज का ध्वज फहराने के साथ ही गायत का पुजारी के द्वारा शुरवात किया जिसके बाद सुदूर गांव के युवक-युवतियों ने देर रात तक कार्यक्रम स्थल में पहुंचकर अपनी पारंपरिक वेशभूषा में एवं टोलियां में अपनी अपनी प्रस्तुति दी रेला गाने का बहुत ही अच्छे तरीके से प्रदर्शन किया गया।

बस्तर से लुप्त होती आदिवासी संस्कृति को बचाने और सहेजने के उद्देश्य यह कार्यक्रम प्रति वर्ष कोलांग महोत्सव के रूप में मनाया जाता है। हर वर्ष पुष पुन्नी के अवसर पर इसी प्रकार का आयोजन जगह-जगह जारी रहता है। जहां आदिवासी संस्कृति को जानने पहचानने का मौका सामाजिक बंधुओं को मिले और सीखने का प्रयास लगातार जारी रहें। मुख्य अतिथि के रूप में जिला पंचायत सदस्य अमिता उइके ने समाज को संबोधन करते हुए कहा कि हमें भी गर्व है कि हम आदिवासी समाज से है। मुझे बहुत खुशी होती है कि आज भी हमारी समाज रीति, नीति परम्परा को सहेज कर रखे हुए है और आगे कहा कि हमे इसी तरह से हमारी संस्कृति को सहेज कर रखना है तभी हमारे समाज का विकास होगा।

कार्यक्रम को सफल बनाने में हामतवही सरपंच रसालु गावड़े, कराकी सरपंच हीरामन आँचला, समाज प्रमुख रतन सिंह कोवाची, सियाराम उइके, नरसू राम हिड़को, पाण्डुरंम हिड़को, सखाराम हिडको, बिरझु कोवाची, निर्भय कोवाची, हीरालाल कोमरे, भावसिंग मंडावी, दुर्जन उइके, सदाराम पुडो, नारायण पुडो आदि थे।





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