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तो क्या अब जनप्रतिनिधियों की उपेक्षाओं का दंश झेलेगा बसना विधानसभा......?

आजादी के बाद से लेकर अब तक लगातार उपेक्षा का दंश झेलता बसना विधानसभा में सत्ता परिवर्तन के बाद आने वाले दिनों में कितना विकास होने वाला है यह तो समय ही बताएगा. प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के साथ बसना विधानसभा से कांग्रेस के प्रत्याशी श्री देवेन्द्र बहादुर सिंह की जीत हुई और जीत के बाद से अब तक बसना में उनका किसी प्रकार से कोई भव्य स्वागत नहीं हुआ है.

देखा जाए इस चुनाव में “राजा साहब” जीते जरुर लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव की अपेक्षा इस वर्ष उन्हें कम ही वोट पड़े. इसे बीजेपी पार्टी की अंतर्कलह कहें या कांग्रेस के घोषणा पत्र का जादू, जीत तो “राजा साहब” की ही हुई है और इस जीत के बाद उनका एक बयान भी आया जिसमे उन्होंने सरायपाली को जिला बनाने के लिए प्रयत्न करने की बात कही. इस बयान से मानों सरायपाली के नागरिकों की मुराद पूरी हो गई. “राजा साहब” की जीत के बाद सरायपाली को शायद दो विधायक मिल गए और बसना अनाथ हो गया अब विधायक जी से मिलना भी हो तो बसना विधानसभा के लोगों को सरायपाली के महल की तरफ रुख करना पड़ेगा.

सरायपाली में जहाँ केंद्रीय विद्यालय से लेकर नवोदय विद्यालय है तो वहीं बसना में एक ढंग का सरकारी अंग्रेजी माध्यम का स्कूल भी अब तक संचालित नहीं हो पाया. यहाँ के लोग आज भी अंग्रेजी माध्यम के लिए महँगी शिक्षा लेने को मजबूर है.

जहाँ इस समय कर्जमाफी से किसानों के चहरे पर प्रसंन्नता दिखाई दे रही है वहीं बसना विधानसभा में नहर नहीं बन पाने के कारण किसान अब भी केवल प्राकृतिक श्रोत पर ही कृषि करने के लिए मजबूर है. आने वाले समय में यह व्यवस्था नहीं की गई तो शायद आने वाले समय में केवल कर्जमाफी का वादा कर ही सरकार सत्ता में आयेगी.

पानी की समस्या के साथ बसना विधानसभा के बसना जनपद मुख्यालय से आस-पास के 5 किलोमीटर तक गाँव पहुँचने के लिए आज भी बरसात में कीचड़ तो बरसात के बाद धुल से नाहाते हुए अपने गंतव्य तक पहुचंना पड़ता है. बसना से गनेकेरा, नौगढ़ी, गढ़फुलझर, खटखटी, अरेकेल, सिरकों सहित लगभग आधे से ज्यादा सड़कों की स्थिति ऐसे ही है. इनको छोड़ अगर केवल बसना नगर की ही बात की जाए तो यहाँ की स्थिति तो गाँव की सड़कों से भी बत्तर है. तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह की घोषणा के बाद ठेकेदार कार्य नहीं किये या बजट के लिए राशि नहीं मिली कारण चाहे जो भी हो मगर नगर की जनता गौरव पथ के बनने का इंतज़ार कर रही है.

इसके साथ ही अगर पदमपुर रोड के व्यापारियों की बात करें तो धुल के कारण उनकी क्या स्थिति है यह तो उन्हें देखकर ही पता चल जाता है. लेकिन इस धुल से होने वाले प्रदुषण के खिलाफ ना कोई बोल राहा है और ना ही उन्हें ऐसी किसी समस्या निजाद मिलने वाला है ऐसा प्रतीत हो रहा है.

यदि बसना के मुख्य मार्ग की बात करें तो फोर लेन बनने के बाद बसना की मुख्य सड़क भी मानो बाजार की तरह बन गया है, लोग कहीं भी अपने वाहन को खड़े कर देते है. इसके साथ मुख्य सड़क में भी कई गड्डे हो गए है. इस समस्याओं से यहाँ के नागरिकों को कब निजाद मिलने वाला है यह तो अब भगवान भरोषे है. सत्ता परिवर्तन के बाद अब जनप्रतिनिधियों की उपेक्षाओं का दंश बसना कितना झेलने वाला है यह तो समय ही बताएगा. इसके साथ आज भी यहाँ के नागरिक गार्डन और रेल के इंतज़ार में है......





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