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यूनिसेफ के सहयोग से जिला पुलिस महासमुंद द्वारा सरायपाली में बच्चियों के लिए जनजागरूकता कार्यक्रम, विधायक किस्मत लाल नन्द, देवेन्द्र बहादुर सिंह सहित डीआईजी श्रीमती नेहा चम्पावत होंगी शामिल.

सरायपाली मंडी प्रांगण में यूनिसेफ के सहयोग से जिला पुलिस महासमुंद द्वारा कल एक दिवसीय एक वृहद कार्यशाला व बच्चियों के लिए जनजागरूकता कार्यक्रम रखा गया हैं। इसमें हजारों की संख्या में बच्चें सहित अन्य लोगों को आमंत्रित किया गया हैं।

कार्यक्रम में क्षेत्रीय विधायक श्री किस्मतलाल नंद, विधायक बसना श्री देवेंद्रबहादुर सिंह, आई जी रायपुर रेंज श्री आनंद छाबड़ा, डीआईजी श्रीमती नेहा चम्पावत, यूनिसेफ स्टेट हेड, रायपुर प्रशांत सहित सहित अन्य अतिथि शामिल होंगे।

क्या है यूनिसेफ ?

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष अंग्रेजी में यूनाइटेड नेशन्स चिल्ड्रेंस फंड जिसे यूनिसेफ कहा जाता है. इसके स्थापना का आरंभिक उद्देश्य द्वितीय विश्व युद्ध में नष्ट हुए राष्ट्रों के बच्चों को खाना और स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना था.  

वर्तमान में यूनिसेफ 190 से अधिक देशों में सक्रिय है जहाँ ये बच्चों एवं महिलाओं के जीवन को बचाने उसने पोषण संबंधी एवं उनकी जरूरतों को पूरा करने में मदद करने के लिए काम करता है. इसके अलावा जन्म मृत्यु दर और कई अन्य महत्वपूर्ण आंकड़े जो कि बच्चों और महिला से सम्बंधित है उनके मानिटरिंग का कार्य भी करता है. इसके अलावा बच्चों को स्वच्छ पानी, स्वच्छता, इंफेक्शंस आदि केे लिए कैम्पैन चलाती है.

यूनिसेफ ने दुनिया के विभिन्न देशों से जो आंकड़े एकत्रित रिपोर्ट बनाई है वो चौकाने वाली है, आंकड़ों के मुताबिक साल 2016 से साल 2030 के बीच 5 साल से कम उम्र के लगभग 19 मिलियन बच्चों की विभिन्न कारणं से मौत हो जाएगी.

यूनीसेफ के अनुसार अगर दुनिया में फैली असमानता को मिटाया नहीं गया तो साल 2030 तक लगभग 167 मिलियन बच्चे भीषण गरीबी में जीवन जीने को मजबूर होंगे और साल 2030 तक करीब 60 मिलियन बच्चे प्राथमिक शिक्षा से वंचित हो जाएंगे.

एक आंकड़ों के मुताबिक यूनिसेफ हर साल पूरी दुनिया में नवजात बच्चों के टीकाकरण के लिए लगभग 3 बिलियन से अधिक टीके प्रदान करता है. यूनिसेफ की वजह से 2006 तक लगभग 12 मिलियन बच्चे पढ़ाई के लिए स्कूल वापस जा सके.  

कभी सन 1949 में यूनिसेफ की टीम में केवल 3 ही सदस्यों ने भारत में काम शुरू किया. आज काम करते-करते उनकी टीम इतनी बड़ी हो चुकी है कि भारत के लगभग 16 राज्यों में ये बच्चों के जीवन में विकास का कार्य करती है. जिसमे छत्तीसगढ़ भी शामिल है. इनके कार्य एवं आंकड़े को देखने के बाद लगता है कि देश के महिला बाल विकास के मंत्रालय के कार्यों में अहम् योगदान है.  

क्या है जिले में हालत ?

2018 यूनिसेफ के ही आकड़ों के अनुसार दुनिया में भारत के बच्चे सबसे ज्यादा कुपोषण के शिकार है, पुरे देश की तुलना में अकेले भारत में 51 % बच्चे कुपोषित है. वहीं पत्रिका डॉट कॉम ने छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले से दिसंबर 2018 में एक खबर लगाई थी जिसका शीर्षक “कुपोषण के शिकार बच्चों को नहीं मिल रही इलाज की सुविधा” था.

इस खबर में बताया गया था कि महासमुंद जिले में कुल 5469 बच्चे कुपोषण के शिकार है, और बताया था कि जिले में कुपोषण के मामले बढ़ रहे है. जिसमे जिले में सबसे ज्यादा बसना में कुल 1223 बच्चों को कुपोषण का शिकार बताया गया था जबकि पिथौरा में 1157, सरायपाली में 1093, बागबाहरा में 903, महासमुंद ग्रामीण में 866, महासमुंद (शहरी) में 227 बच्चों को कुपोषण के शिकार बताया गया.




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