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महिला सरपंच का मनमानी रवैया, बिना प्रस्ताव निस्तारी तालाब को मछली पालन के लिए करा दिया मुनादी.

बसना ब्लाक अंतर्गत ग्राम पंचायत बंसुला के ग्रामीण महिला सरपंच के मनमानी रवैया के चलते परेशानियों का सामना कर रहें है. ग्राम पंचायत बंसुला के कई विकासखंड स्तर के कार्यालय और अघोगिक प्रशिक्षण केन्द्र है. इन जगहों तक पहुँचने के लिए अधिकारी और छात्र दोनो ही भारत के दुर्भाग्यशाली विकास को देखते है.

इतना ही नहीं इन दोनों इस सड़कों पर पंचायत का कचरा भी लाकर फेंका जा रहा है, जो कि कई प्रकार भी संक्रमित बिमारियों को जन्म दे सकता है. इन सारी समस्याओं को समाप्त करना सरपंच की इच्छा शक्ति पर निर्भर करता है.

मगर इस गाँव के सरपंच की इन्छा शक्ति ऐसी है कि जो ग्रामीणों की मांग को नजर अंदाज करते हुए अपनी दबंगई दिखाकर बिना प्रस्ताव के पंचों की सहमति लिए बिना कोटवार के माध्यम से गाँव के निस्तारी तालाब को मछली पालन के लिए ठेका में देने के लिए मुनादी करके बैठक भी रखवा दिया गया था.    

इस गाँव की महिला सरपंच मनमाना रवैया के चलते अक्सर विवादों में घिरी रहती है मगर फिर भी इनके ख़िलाफ लोग आवाज़ उठाने की हिम्मत नहीं करते.

वही क्षेत्र के जनपद सदस्य जन्म जय साव ने सरपचं के इस रवैये को मनमानी रवैया बताया और कहा कि 2 हजार की आबादी वाले गांव बंसूला में निस्तारी के लिये एक ही अच्छा तालाब है जिसका नाम चंदन तालाब है. जिसे मछली पालन में ठेका देने हेतु पंचों और गांव क़े बिना सहमति के कटवार द्वारा मुनादी करवा दिया गया था. उन्होंने बताया कि मुनादी के बाद एक बैठक हुई थी, जिसमे ग्राम पंचायत के सचिव भी नही पहुंचे फिर भी बैठक में तालाब में पानी भरने के बाद तालाब को ठेके में की बात कही.

जनपद सदस्य जन्म जय साव ने कहा की निस्तारी तालाब को ठेके में देने से ठेकेदार मानवता को दरकिनार कर तालाबों में अपशिष्ट पदार्थों को डालते है. तालाबो में मछलियों को जल्द बढाने के लिए मुर्गियों के मल यूरिया जैसे कई तरह के बीमारी फैलाने वाले पदार्थों को तालाब में डाल दिया जाता है. जिसके बाद कई तरह के बीमारियों और खुजली का खतरा बढ़ जाता है.

जन्म जय साव ने कहा कि पंचायत को कुछ पैसों के लिए निस्तारी तालाबो को ठेके में देने से बचना चाहिए और अगर ठेके में देना ही है तो निस्तारी के लिए पंचायत को व्यवस्था करना चहिए.

वहीं पंचायत के सचिव ने cgsandesh.com को बताया कि सरपंच किसी की भी बात नही सुनती है, और कहा कि ऐसा सुनने में आ रहा है कि पंचों के बिना प्रस्ताव सहमति के तालाब को ठेके के लिए मुनादी करवा दिया था. सरपंच को इतना अधिकार नही है कि नियमों को अनदेखी कर प्रस्ताव और सहमति के बिना निस्तारी तालाब को ठेके में दे दें.




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