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खटारा निजी स्कूल वाहन, खतरे में बच्चों की जान, सम्बन्धित अधिकारी बने हुए है अनजान, नही ले रहे कोई संज्ञान,

बसना विकास खण्ड के भंवरपुर,सहित ग्रामीण इलाकों में निजी स्कूलों के संचालक स्कूल वाहनो को तय मानकों को ताक पर रखकर कमाई के चक्कर में बच्चों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं।इन वाहनों में सुरक्षा के मानक तो दूर बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव है।

कई वाहनों में अग्निशमन यंत्र के साथ फर्स्ट एड किट नहीं है। अधिकांश वाहन बिना बीमा के सड़कों पर दौड़ रहे हैं। स्कूल प्रबंधक और अभिभावकों की अनदेखी से हर दिन सैकड़ों नौनिहाल जान हथेली पर रखकर स्कूलों को सफर तय करने को मजबूर है।

वाहनों में बच्चे निर्धारित संख्या से ज्यादा भरकर ढोए जा रहे हैं। अधिकतर वाहनों के रंग भी पीले नहीं है और न ही बॉडी के बीच में नीली पट्टी है। खिड़कियों पर आड़ी जाली भी नहीं है। अंदर अग्निशमन यंत्र तक नहीं हैं। सीट आदि भी अच्छे हालात में नहीं हैं।

बस में ही नहीं ऑटो, टैपो ,रिक्शा और वैन में भी ठूंस-ठूंस कर बच्चे ढोए जा रहे हैं। एक के ऊपर एक बैठे इन बच्चों के साथ ईश्वर न करें कोई बात हो जाए, पर इनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी किसके ऊपर है? ये वाहन भी फिटनेस की कसौटी पर खरे नहीं हैं। किसकी अनुमति से इनका संचालन हो रहा है। यह यक्ष प्रश्न अभिभावकों के समक्ष है। प्रशासनिक अधिकारी भी इस मुद्दे पर मौन साधे रहते हैं।




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