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वर्षों पुरानी मांग पर अब तक नहीं बन पाया पुल, बरसातों में ठप हो जाती है एमरजेंसी सुविधा

चुनाव से पहले पुल बनाने की वादे को वोट लेने के बाद नेता भूल जाते हैं. जिससे मजबूरन चुनाव नजदीक आते ही ग्रामीण चुनाव बहिष्कार की बात करते है. बावजूद इसके शासन-प्रशासन यहाँ की गंभीर हालत सुधारने की कोई सूद नहीं ले रहा है.

मामला है पिथौरा ब्लाक के साईं सरायपाली का जहां आज भी आजादी के 72 वर्ष बीत जाने के बावजूद बाढ़ आने पर ब्लाक मुख्यालय से संपर्क टूट जाता है. साईं सरायपाली एक ऐसा गांव जो छत्तीसगढ़ में सरकारी दावों की पोल खोलने में सक्षम है. आज भी महासमुंद जिले के बसना से 30 किलोमीटर की दुरी पर स्थित ग्राम साईं सरायपाली ऐसा गांव है जहा लोग आज भी लालटेन युग में जीने को मजबूर हैं.

ग्राम पंचायत साईं सरायपाली पहुँचने के लिए अब तक पत्थरी नाले पर कोई भी सरकार पुल नहीं बना पाई है. जिसके चलते आज भी इस गाँव में बरसात के दिनों में कई दिनों तक एमरजेंसी सुविधा भी बंद हो जाती है. पुल नहीं होने के कारण कई विद्यार्थी स्कूल भी नहीं पहुँच पाते है. अधिक बहाव के कारण मरीजों को खाट में ले जाना पड़ता है. जबकि कई को इलाज भी मिल पता है. नाले में बहाव होने के कारण बीमार मवेशियों का भी कई बार समय पर इलाज नहीं हो पाता जिसके चलते मवेशियों की जान चली जाती है.    

इस गाँव के ग्रामीण बताते है कि उनके साथ अब तक शौतेला व्यवहार होता आया है. राजनेता बस वोट मांगने तक ही सीमित रह पाते है. यहाँ के हालातों का जायजा लेने कोई नहीं आता है. जिसके चलते उन्होंने पहले इस गाँव में मतदान बहिष्कार की भी बात की थी. मगर फिर भी यहाँ उनकी बातों को सुनने वाला कोई नहीं है.

इसके आलावा इस गाँव वालों को राशन लेने भी अन्य गाँव जाना पड़ता है. जहाँ पहुँचने के लिए ग्रामीण को निजी खेतो के मार्ग से होकर कीचड़मय मार्ग से गुजरना पड़ता है.




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