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मछली पालन ठेका में मनमर्जी का आरोप, फायदे के लिए अपने भाई को दिया जा रहा फर्जी ठेका !

ग्रामीण इलाकों में तालाबों में पानी भरने के बाद कई तालाबों को मछली पालन के लिए ठेका दिया जाता है जिसका राजस्व ग्राम पंचायत को ही मिलता है. लेकिन कई बार निस्तारी को ठेका में दिए जाने के बाद ग्रामीणों को इसका विपरीत प्रभाव देखने को मिलता है. कई बार तालाबों में मछली पालन के लिए अपशिष्ट पदार्थों को डालने के बाद बीमारियों को बढ़ने का आशंका बढ़ जाती है.

मामला है पिथौरा ब्लाक के ग्राम लाखागढ़ का जहाँ ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि गांव के पंच एवं सरपंच ने मिलकर अपने परिवार के सदस्य को ठेका में दे दिया है. पूर्व में भी इसकी जानकारी राजस्व अधिकारी को दिया गया था जिसके बाद इस तालाब को निस्तारी घोषित कर दिया था, मगर एक बार फिर इसी तालाब को सरपंच फर्जी तरीके से ठेका में देने की बात सामने आ रही है जिसको पुनः सुरक्षित रखने की मांग ग्रामीणों ने प्रशासन से की है.

जानकारी के अनुसार इस तालाब को वर्ष 2015 में सरपंच द्वारा अपने ही भाइयो को फर्जी तरह से ठेके में दे दिया गया था. जिससे यहां के लोगो मे भारी आक्रोश था. शिकायत की गई है कि इस गाँव में नकली ठेकेदारो द्वारा लोगों के साथ खूब मारपीट भी किया गया था, जिसकी रिपोर्ट थाने में दर्ज है.

इसके बाद गाँव के लोगों ने महासमुन्द कलेक्टर और पिथौरा SDM को आवेदन देकर फर्जी ठेके को निरस्त करवाया गया था. तब यह तालाब महासमुन्द कलेक्टर द्वारा निस्तारी घोषित किया गया था. लेकिन एक बार फिर गाँव का सरपंच अपनी मन मर्जी से बिना आम सभा किए अपने निजी लाभ के लिये पुनः ठेके पर देना चाहता है. जिसे लेकर ग्रामीणों ने इस तालाब को ग्रामीणों के निस्तारी के लिए सुरक्षित रखने का मांग किया गया है.




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