प्रसाद ने इलेक्ट्रॉनिक्स, मोबाइल कंपनियों से भारत से विनिर्माण, निर्यात बढ़ाने का आह्वान किया
सरकार ने सोमवार को इलेक्ट्रॉनिक्स और मोबाइल उद्योग के प्रमुखों से भारत
में निवेश बढ़ाने के साथ विनिर्माण में तेजी लाने का आह्वान किया। उसने साथ
ही जोर देकर कहा कि वैश्विक स्तर पर उठा-पटक के बावजूद देश की
अर्थव्यवस्था के बुनियादी कारक मजबूत हैं।
एप्पल, डेल, ओप्पो और
सैमसंग जैसी प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक्स और मोबाइल कंपनियों के मुख्य कार्यपालक
अधिकारियों (सीईओ) और प्रमुखों को संबोधित करते हुए सूचना प्रौद्योगिकी
मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने भारत को विनिर्माण के लिहाज से वैश्विक केंद्र
बनाने की पुरजोर वकालत की और देश के प्रति अधिक प्रतिबद्धता जताने का आग्रह
किया।
उन्होंने कंपनियों से न केवल मोबाइल और वाहन इलेक्ट्रॉनिक्स
क्षेत्र में बल्कि रणनीतिक, रक्षा और चिकित्सा इलेक्ट्रानिक्स और रोबोटिक्स
के क्षेत्र में भी निवेश बढ़ाने को कहा।
प्रसाद ने कहा, ‘‘वैश्विक स्तर पर उठा-पटक के बावजूद भारतीय
अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत है, चाहे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई)
हो या विदेशी मुद्रा भंडार... सभी चीजें हमारी अर्थव्यवस्था की मजबूती को
अभिव्यक्त करती हैं।’’
मंत्री ने सरकार के वृद्धि और निवेश को बढ़ावा देने वाली नीतियों
का जिक्र किया। उन्होंने भारतीय बाजार में मजबूती, प्रतिभावान कार्यबल और
डिजिटल प्रारूप का उल्लेख करते हुए कहा कि देश की इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण
और निर्यात को लेकर आकांक्षा अतिशयोक्तिपूर्ण नहीं है।
भारत ने 2025 में 400 अरब डॉलर (करीब 28.43 लाख करोड़ रुपये) के
इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण परिवेश का लक्ष्य रखा है और विनिर्माण गतिविधियों
को गति देने के लिये नई नीति को अधिसूचित किया है।
प्रसाद ने कहा कि
5जी वृद्धि का नया केंद्र है। उन्होंने कहा कि सरकार देश को 5जी ज्ञान
आधारित अर्थव्यवस्था, पेटेंट सृजन और शोध तथा विकास गतिविधियों के मामले
में एक बड़े केंद्र के रूप में उभरते हुए देखने को लेकर गंभीर है।
मंत्री
ने कहा, ‘‘भारत को रणनीतिक इलेक्ट्रॉनिक्स के रूप में एक प्रमुख देश के
रूप में उभरना है। भारत सौर, वाहन और उपभोकता इलेक्ट्रॉनिक्स के लिये एक
बड़ा बाजार है। मैं आपसे सुनना चाहूंगा कि इसे किस प्रकार आगे बढ़ाया जा
सकता है। भारत में चिकित्सा इलेक्ट्रॉनिक्स के लिये भी काफी संभावना है।’’
उन्होंने उद्योग को सरकार की तरफ से हर संभव सहायता का आश्वासन दिया।
उन्होंने
अपने मंत्रालय को कार्यबल के रूप में एक संस्थागत व्यवस्था स्थापित करने
का निर्देश दिया। यह कार्यबल उद्योग से नियमित तौर पर बातचीत करेगा और उनके
सुझावों को लेगा तथा उनकी चिंताओं को दूर करेगा।
यह बैठक ऐसे समय
हुई है जब भारत इलेक्ट्रॉनिक्स के लिये स्वयं को अंतरराष्ट्रीय केंद्र के
रूप में स्थापित करने का प्रयास कर रहा है और अमेरिका तथा चीन के बीच
व्यापार युद्ध के कारण जो स्थिति बनी है, उस अवसर का लाभ उठाना चाह रहा है।
बंद कमरे में हुई बैठक में मोबाइल हैंडसेट, उपभोक्ता
इलेक्ट्रॉनिक्स, रणनीतिक इलेक्ट्रॉनिक्स, चिकित्सा उपकरणों, इलेक्ट्रॉनिक्स
विनिर्माण सेवाएं, कल-पुर्जे, दूरसंचार और एलईडी लाइटिंग समेत अन्य
क्षेत्रों के प्रतिनिधि शामिल हुए।
बैठक में एप्पल, सैमसंग,
शियोमी, विवो, ओप्पो, क्वालकॉम, डेल, एचपी, सिसको, फाक्सकॉन, नोकिया, एलजी,
पैनासोनिक, इंटेल जेसी कंपनियों के शामिल हुईं।