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तहसीलदार नहीं हटे तो आंदोलन करेंगे विधायक

मंत्री एवं विधायक के निर्देश को भी अनदेखा कर रहे हैं कलेक्टर

जशपुर तहसीलदार को सरायपाली की जगह बसना में की गई पदस्थापना

सरायपाली. स्थानीय तहसीलदार की कार्यप्रणाली से नाराज आमजनों एवं क्षेत्रीय कांग्रेस कार्यकर्ताओं की मांग पर विधायक किस्मतलाल नंद के द्वारा राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल से तहसीलदार को सरायपाली से अन्यत्र स्थानान्तरित करवाने की मांग की गई थी, जिस पर मंत्री द्वारा तहसीलदार को हटाने का आदेश भी जारी कर दिया गया था. इसके बावजूद किसी कारणवश तहसीलदार का स्थानांतरण निरस्त हो गया.

विधायक द्वारा कलेक्टर महासमुंद से भी कई बार तहसीलदार को अन्यत्र स्थानांतरित करने की बात कही गई लेकिन कलेक्टर द्वारा तहसीलदार के स्थानांतरण में किसी प्रकार की रूचि नहीं दिखाई गई. इससे आक्रोशित विधायक द्वारा जल्द तहसीलदार का स्थानांतरण न होने पर आंदोलन की बात कलेक्टर महासमुंद से कही गई है.

चर्चा के दौरान विधायक श्री नंद ने बताया कि आमजनों व क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं की मांग के अनुसार सरायपाली तहसीलदार श्रीमती ललिता भगत को यहां से हटाने की मांग राजस्व मंत्री श्री अग्रवाल से की गई थी. इसके पश्चात मंत्री के आदेश पर श्रीमती भगत का स्थानांतरण सुरजपुर किया गया एवं जशपुर के तहसीलदार युवराज सिंह कुर्रे को महासमुंद जिला स्थानांतरित किया गया था.

कलेक्टर महासमुंद के द्वारा श्री कुर्रे को सरायपाली में पदस्थापना दिया जाना था. लेकिन किसी कारणवश सरायपाली तहसीलदार श्रीमती भगत का स्थानांतरण निरस्त कर दिया गया एवं श्री कुर्रे की पदस्थापना बसना में कर दी गई.

विधायक श्री नंद ने बताया कि वर्तमान तहसीलदार से सभी नाराज हैं एवं यहां के राजस्व संबंधित कार्य भी पूरी तरह से अव्यवस्थित हो गये है. इसके बावजूद उनका स्थानांतरण निरस्त हो जाने से स्थानीय लोगों में काफी आक्रोश है. उनके द्वारा कलेक्टर से बार-बार आग्रह करने के बाद भी मंत्री के निर्देश को भी ठेंगा दिखाते हुए कलेक्टर द्वारा मनमाना पूर्ण रवैया अपनाया गया है. कलेक्टर द्वारा विधायक के आग्रह को दरकिनार करने पर उन्होने चेतावनी दिया है कि जल्द तहसीलदार का स्थानांतरण नहीं हुआ तो वे आम जनता के साथ आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे.

श्री नंद ने यह भी कहा कि आज भी बडे“ अधिकारियों से लेकर छोटे अधिकारियों तक भाजपा शासन के ही ढर्रे पर कार्य कर रहे हैं, इसलिए यह स्थिति आ गई है कि अब व्यवस्था में सुधार करने के लिए कांग्रेस के पदाधिकारियों को अपने ही शासनकाल में प्रशासन के विरूद्ध आंदोलन के लिए बाध्य होना पडेगा.




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